नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल और असम की कुल 77 सीटों पर शनिवार को पहले चरण का मतदान हुआ। पहले चरण में बंगाल की 30 और असम की 47 सीटें शामिल हैं। चुनाव आयोग के मुताबिक, शाम 6 बजे तक यानी 11 घंटे में बंगाल में 79.79% और असम में 72.14% मतदान हुआ। मतदान का समय शाम 6 बजे तक तय किया गया था। कोरोना की वजह से इसे 1 घंटे बढ़ाया गया था। बंगाल में कई पोलिंग बूथों पर ईवीएम से छेड़छाड़ की शिकायतें सामने आई हैं। कुछ जगह ईवीएम में तकनीकी दिक्कत की वजह से वोटर्स को 2 घंटे तक इंतजार करना पड़ा।
इस बीच, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खड़गपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है। ममता ने कहा कि चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री बांग्लादेश गए हुए हैं और वहां बंगाल पर भाषण दे रहे हैं। यह चुनाव आचार संहिता का खुला उल्लंघन है। हम चुनाव आयोग में इसकी शिकायत करेंगे।
ओपिनियन पोल में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस में कांटे की टक्कर बताई गई है, ऐसे में सबकी उत्सुकता यह जानने में है कि इतनी भारी तादाद में वोटरों के पोलिंग बूथ पर जुटने के पीछे का संदेश क्या है? इतनी भारी तादाद में वोटिंग से फायदा किसका होने वाला है? क्या ममता वापसी करेंगी या भाजपा राज्य में ऐतिहासिक उलटफेर करने में कामयाब रहेगी?
तृणमूल कांग्रेस नेता माला रॉय और सुदीप बंधोपाध्याय के नेतृत्व में पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल कोलकाता में मुख्य चुनाव अधिकारी से आज मिला और राज्य चुनाव में पहले चरण और अन्य मुद्दों पर चुनाव आयोग को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों में विसंगतियों पर उंगली उठाई। बनर्जी ने चुनाव आयोग से मिलने के बाद कहा, ‘आज हमने मुख्य चुनाव अधिकारी से मुलाकात की। पोलिंग एजेंटों को संबंधित इलाके का ही होना चाहिए, लेकिन भाजपा ने चुनाव आयोग से अनुरोध किया है कि पार्टी जिसको तय करेगी उसी व्यक्ति को एजेंट बनाना चाहिए। हम चुनाव आयोग से दूसरे चरण के चुनाव से इस नियम को बदलने का अनुरोध करते हैं।
बंधोपाध्याय ने कहा, ‘भाजपा ने एक ज्ञापन सौंपकर कहा कि किसी को किसी भी बूथ पर एजेंट बनाने की अनुमति दी जानी चाहिए। यह नया नियम हमें स्वीकार्य नहीं है। हम मांग करते हैं कि अगले चरण के मतदान में एजेंट संबंधित पोलिंग बूथ का स्थानीय व्यक्ति ही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब पहले चरण का मतदान समाप्त होने वाला है। हम बूथ एजेंटों के लिए स्थानीय लोगों को तैनात करने की मांग करते हैं, फिर सभी के लिए उन्हें पहचानना आसान होगा। मुख्य चुनाव अधिकारी ने हमें आश्वासन दिया है कि वह इस मामले को गंभीरता से लेंगे।
तृणमूल ने आरोप लगाया कि वोटिंग मशीनों को कुछ स्थानों पर ‘फिक्स्ड’ किया गया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, ‘ टीएमसी यह जानती है कि वह चुनाव हार रही है और इसलिए वह इस तरह के आरोप लगा रही है। ऐसी शिकायतों के लिए टीएमसी को चुनाव आयोग के पास जाना चाहिए। इससे पहले तृणमूल ने दावा किया कि लोग हमारे हक में मतदान कर रहे हैं लेकिन उनकी वोट वीवीपेट मशीन पर भाजपा चुनाव चिह्न पर वोट पड़ना दर्शा रही है। इस पर तृणमूल कांग्रेस ने ट्विटर पर चुनाव आयोग पर सवालिया निशान उठाया है कि मतदान के पांच मिनट के भीतर मतदान प्रतिशत कैसे घटकर आधा रह सकता है। उन्होंने कहा कि यह कैसे हो रहा है। चुनाव आयोग क्या आप बता सकते हैं कि मात्र पांच मिनट के अंतराल में मतदान प्रतिशत कैसे घटकर आधा रह सकता है। यह आश्चर्यचकित करने वाला मामला है। पश्चिम बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी इसे शीघ्र अपनी संज्ञान में लें।
तृणमूल राज्य सभा सांसद डेरेक ओह्णब्रायन ने चुनाव आयोग को लिखे पत्र में कहा कि कांठी दक्षिण (216) और कांठी उत्तर (213) सुबह नौ बजकर 13 मिनट पर क्रमश: 18.47 फीसदी और 18.95 फीसदी मतदान हुआ था लेकिन चार मिनट बाद नौ बजकर 17 मिनट पर मतदान 10.10 फीसदी और 9.40 फीसदी तक कम हो गया। इस तरह की विसंगति चुनाव आयोग की वास्तविकता पर सवाल खड़ा करती है।
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