देश में चुनाव भले छोटा हो या बड़ा, नेता लोग मतदाताओं को तमाम जरू री बातें, मुद्दों, समस्याओं से भुलावा देकर ‘मुफ्त’ पर ला खड़ा करते हैं। अभी दिल्ली में विधानसभा चुनाव हैं जो कि 8 फरवरी को सम्पन्न हो जाएंगे। दिल्ली में अभी सबसे गंभीर समस्या प्रदूषण एवं भीड़ की है। पूरी दिल्ली दूषित हवा एवं आवास की कमी से जूझ रही है। लेकिन पब्लिक को मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी, मुफ्त यात्रा आदि इतने अच्छे लग रहे हैं कि सब कुछ भूल गए। इस बात में कोई दोराय नहीं कि आम आदमी पार्टी ने लोगों को अच्छी सरकार दी है। लेकिन फिर भी क्यों मतदाता वोट के लिए सब कुछ ‘मुफ्त’ चाह रहा है? राष्ट्रीय पार्टियां यहां मतदाताओं को देश के संसाधन लुटाती हैं वहीं बिना दल के नेता या किसी पार्टी में टिकिट का जुगाड़ लगा रहे नेता भीड़ जुटाने के लिए मुफ्त भोजन, मुफ्त कपड़े, मुफ्त बर्तन, मुफ्त इलैक्ट्रानिक सामान ही नहीं बांटते बल्कि मुफ्त नशों का भी वितरण करते हैं। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, यूपी, तमिलनाडू, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना देश का कोई सा भी राज्य देख लीजिए ‘मुफ्त’ के लिए राजनीतिक पार्टियों, नेताओं के पीछे मतदाताओं की भीड़ लगी है। इस तरह का रूझान तब और ज्यादा चिंताजनक है जब देश का शिक्षित एवं कमाने-खाने वाला वर्ग भी ‘मुफ्त’ के लिए लालायित है। सब जानते हैं कि कोई भी नेता या पार्टी कोई भी सुविधा व सामान अपने घर से नहीं देते बल्कि वह देश का धन है जो या तो सीधे लुटाया जाता है या फिर आगे-पीछे भ्रष्टाचार से एकत्रित कर उसमें से लुटाया जाता है। चुनाव के बाद फिर यही मतदाता रोज सड़क पीटता है कि उसके यहां पानी नहीं आ रहा, बिजली नहीं है, वह चैन से सो नहीं पा रहा, उसका व उसके बच्चों का गन्दी हवा में दम घुट रहा है, सरकारी कार्यालयों में बिना रिश्वत के उसका कोई काम नहीं हो रहा। चुनाव महज सरकार नहीं चुनते यह देश एवं आने वाली पीढ़ियों का पूरा भविष्य तय करते हैं। भविष्य में कितने समय तक गरीबी रहेगी, कितना भ्रष्टाचार चलेगा, आबादी की वर्षों से चली आ रही समस्याओं का कब व कैसा हल होगा यह चुनाव तय करते हैं। देशवासियों को चाहिए कि वह चुनाव के वक्त ‘मुफ्त’ के शोर से कान बंद कर यह जरूर देखें कि जिसे वह वोट देकर विधानसभा, संसद या पंचायत में भेज रहा है क्या वह उसकी, उसके क्षेत्र की समस्याओं से वाकिफ है? चुनाव से पहले क्या वह अपने क्षेत्र के लिए कुछ कर भी रहा है ? या अचानक से किसी गली से प्रकट हुआ है, नेता की सोच व उसकी छवि कैसी है? सबसे महत्वपूर्ण कि वह व्यक्ति राजनीतिक क्षेत्र में क्यों है? जब तक मतदाता अपने द्वारा चुने जा रहे नेता पर ध्यान केन्द्रित नहीं करता ‘मुफ्त’ की कोई भी वस्तु उसके व उसके जैसों का कभी कोई भला नहीं कर सकती, न ही देश व समाज को आगे ले जा सकती है।
Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।