सतत विकास लक्ष्य का न विजन दस्तावेज, न पैसे की व्यवस्था

Vision documents, not money management of sustainable development goals
  • संयुक्त राष्ट्र ने सभी देशों 17 बड़े लक्ष्य दिए थे उसमेंं गरीबी समाप्त करना था

  • कैग के अनुसार भारत ने राज्यों के स्तरों पर उठाए कई कदम

नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। लोगों के जीवन में खुशहाली और संपन्न्ता लाने तथा उनका जीवन स्तर बेहतर बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा तय सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के प्रभाव में आने के चार साल बाद भी देश में इसके लिए न तो विजन दस्तावेज तैयार हो पाया है और न ही पैसे की व्यवस्था की गयी है। संयुक्त राष्ट्र ने सभी देशों की सहमति से सतत विकास लक्ष्य 2015 में तय किए थे जिन्हें 2030 तक हासिल किया जाना हैं।

इसमें 17 बड़े लक्ष्य हैं तथा हर लक्ष्य के अंदर कई छोटे-छोटे लक्ष्य हैं। ए 17 बड़े लक्ष्य हैं -गरीबी समाप्त करना, कोई भूखा न सोए यह सुनिश्चित करना, अच्छा स्वास्थ्य एवं आरोग्य, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, लैंगिक समानता, साफ पानी एवं स्वच्छता, सस्ती एवं स्वच्छ ऊर्जा, सम्मानपूर्ण रोजगार एवं आर्थिक विकास, औद्योगिक नवाचार एवं बुनियादी ढाँचा, असमानता में कमी, स्थायित्व वाले शहर एवं समुदाय, जवाबदेह उपभोग एवं उत्पादन, जलवायु के लिए काम, पानी के भीतर जीवन, जमीन पर जीवन, शांति, न्याय एवं सशक्त संस्थान और इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सहभागिता।

  • कैग ने हरियाणा सहित सात राज्यों को लेकर की समीक्षा

निरीक्षक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने केंद्र सरकार के साथ सात राज्यों – असम, छत्तीसगढ़, हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश एवं पश्चिम बंगाल में एसडीजी को लेकर हुई प्रगति की समीक्षा की। संसद में पिछले सप्ताह पेश कैग की रिपोर्ट में कहा गया,‘सरकार ने केंद्र तथा राज्य के स्तरों पर कई कदम उठाए हैं… हर क्षेत्र में कई ऐसे पहलू हैं जिन पर ध्यान देने के साथ ही सुधारात्मक उपायों की जरूरत है।

केंद्र तथा राज्यों के स्तर पर एसडीजी को लेकर नीतिगत दस्तावेज तैयार करने का काम अब भी पूरा नहीं हो सका है। संयुक्त राष्ट्र के एसडीजी लक्ष्यों के अनुरूप 2020, 2025 और 2030 के लिए पूर्व परिभाषित लक्ष्यों को रोडमैप तैयार करने का काम अभी बाकी है। धन की व्यवस्था के बारे में कैग का कहना है ‘एसडीजी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए संसाधन जुटाने के संबंध में धनराशि की जरूरत का आँकलन भी अभी तक नहीं किया गया है। सरकारी लेखा और बजट में एसडीजी को शामिल करने का काम केंद्र सरकार और राज्यों के स्तर पर अभी अधूरा है।

  • राज्यों द्वारा लक्ष्यों के निर्धारण का काम जारी

कैग की रिपोर्ट में सरकार द्वारा की गयी पहलों के बारे में कहा गया है कि सांख्यिकी विभाग ने एसडीजी के लिए राष्ट्रीय सूचकांक फ्रेमवर्क (एनआईएफ) तैयार कर लिया है। राज्यों ने भी अपने फ्रेमवर्क बनाए हैं। राष्ट्रीय फ्रेमवर्क में 306 सूचकांकों को जगह दी गयी है। हालाँकि चार साल बीत जाने के बावजूद 306 में से 137 सूचकांकों के आँकड़े अभी उपलब्ध भी नहीं हैं। एसडीजी के लागू करने की प्रक्रिया की निगरानी की जिम्मेदारी नीति आयोग को दी गयी है। कैग ने कहा कि एसडीजी का विजन दस्तावेज अभी तैयार नहीं हुआ है। राज्यों ने नीतिगत दस्तावेज तैयार नहीं किए हैं जबकि नीति आयोग और राज्यों द्वारा लक्ष्यों के निर्धारण का काम अब भी जारी है।

 

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