पानीपत (सन्नी कथूरिया)। जीते जी दान तो हर कोई करता है लेकिन ऐसा दान जो हमेशा याद रखा जाए और उनके परिवार वालों को गर्व महसूस हो ऐसा दान बहुत ही कम देखने को मिलता है। शहर के राजपूताना बाजार में रहने वाले 78 वर्षीय विश्वनाथ सिंगला के परिजनों अपने पिता की आखिरी इच्छा के अनुसार शरीर दान करके एक महान कार्य किया है। विश्वनाथ सिंगला जब तक जिए तब तक समाज सेवा में लगे रहे दिन-रत लोगों की मदद करते रहे और मरने के बाद भी उनका शरीर मानतलाई कार्यों के लिए समर्पित कर दिया गया।
विश्वनाथ के दो बेटे और एक बेटी है। उनकी आखिरी इच्छा थी कि जब वह इस संसार को छोड़कर जाए तब उनका शरीर आंखें अंग अंग दान कर दिया जाए ताकि आंखों से अंधेरी जिंदगियों को और रोशनी मिल सके शरीर का अंग अंग किसी ना किसी के काम आ सके। विश्वनाथ सिंगला का पार्थिक शरीर इसराना मेडिकल कॉलेज के लिए दान किया गया। विश्वनाथ शिमला की इस अंतिम यात्रा में परिजनों ने उन्हें नम आंखों से श्रद्धांजलि दी विश्वनाथ सिंगला अमर रहे के नारे लगाए। इस मौके पर विश्वनाथ सिंगला परिवार के सदस्यों के साथ जन सेवा दल की पूरी टीम मौजूद रही।
पिता की इच्छा पूरी कर हुआ गर्व महसूस
विश्वनाथ के बड़े बेटे प्रदीप सिंगला ने बताया कि आज उन्हें अपने पिता की अंतिम इच्छा पूरी कर के गर्व महसूस हो रहा है क्योंकि जब तक वह जिए तब तक समाज सेवा में लगे रहे और मरने के बाद भी उनका शरीर समाज के काम आएगा और डॉक्टर रिसर्च करके एक अच्छे डॉक्टर बनेंगे और लोगों का इलाज करेंगे। उन्होंने बताया कि अब उनकी भी इच्छा यही है कि वह भी अपना शरीर दान का फार्म भरें। उन्होंने कहा कि अगर हमारा शरीर मरने के बाद किसी के काम आते हैं यह बहुत ही नेक कार्य है।
शरीर दान के लिए धीरे-धीरे लोग हो रहे हैं जागरूक
जन सेवा दल के सदस्य चमन लाल गुलाटी ने बताया कि पहले लोग शरीर दान करने से कतराते थे। लेकिन अब धीरे-धीरे लोग शरीर दान करने के लिए जागरूक हो रहे हैं। पानीपत जिले में सबसे ज्यादा शरीर दान डेरा सच्चा सौदा सिरसा और डेरा राधा स्वामी ब्यास कि संगत ने द्वारा किया जाता है। मरने के बाद आंखें दान वे शरीर दान से बड़ा कोई दान नहीं हो सकता क्योंकि आंखें दान से दो अंधेरी जिंदगी रोशनी मिलती है और शरीर पर रिसर्च कर कर मेडिकल के विद्यार्थी डॉक्टर बनते हैं।
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