सरसा (सुनील वर्मा)। जन स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव के कारण हरियाणा के गांवों में फैल रहे कोरोना संक्रमण से ग्रामीण झोलाछाप चिकित्सकों के सहारे जंग लड़ने को मजबूर हैं। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार ग्रामीण इलाकों में महामारी के प्रसार पर अंकुश के लिए शासन व प्रशासन ने सामाजिक,व्यापारिक संस्थाओं से आर्थिक सहयोग जुटाकर गांवों वितरित करने के लिए एक किट तैयार की है, जिसका वितरण गैर सरकारी संस्थाओं जैसे गौशाला प्रबंधक मंडल व युवा क्लबों के सदस्यों व गैर मान्यता प्राप्त चिकित्सकों (गांवों में लाइसेंस प्राप्त रजिस्टर्ड प्रैक्टिशनर्स की कमी है) के जरिये भी करवाया जा रहा है।
हालांकि उपरोक्त किट अभी तक गांव-गांव में पर्याप्त संख्या में नहीं पहुंच पाई है। कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या के मुकाबले राजकीय जन स्वास्थ्य सेवा का ढांचा कमजोर साबित हो रहा है, जिससे अब कोरोना संक्रमित लोग अब अपने घरों में ही आईसोलेट होकर गावों के झोलाछाप चिकित्सकों से उपचार लेने को विवश हैं। दूसरी तरफ गावों में कोरोना से जंग लड़ने के लिए आंगनबाड़ी वर्कर,आशा वर्कर व सफाई कर्मी घर-घर जाकर बुखार,जुकाम या अन्य रोगियों के डाटा एकत्रित कर रहे हैं।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक सिरसा जिले में करीब 15 लाख आबादी में से अब तक 8 लाख के मुकाबले 2 लाख 47 हजार लोगों के टीकाकारण किया गया है। कुल 3 लाख 50 हजार 175 लोगों के सैंपल लिये गए जिनमें से 332 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 26251 लोग पॉजिटिव मिले 2469 लोग होम आइसोलट है। 22 हजार 604 लोगों को उपचार के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है। 534 लोगों की रिपोर्ट आनी अभी बाकी है वहीं 22 लोगों की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। दो फीसदी महिलाएं गर्भवती है जिनका टीकाकरण हो नहीं पाएगा।
वहीं अगर धरातल पर एकत्रित की गई रिपोर्ट को देखें तो गावों में सरकारी आंकड़ों के विपरीत चार गुना अधिक लोग कोरोना संक्रमण लक्षणों के कारण होम आईसोलेणेड हैं। उदाहरण के तौर पर सिरसा जिले के दो सबसे बड़े गावों जमाल जिसकी आबादी दस हजार है में जिला प्रशासन मात्र 156 कोरोना संक्रमित रोगी बता रहा है जबकि इन गांवों में कार्यरत चिकित्सकीय सोशल वर्करों के अनुसार करीब 8 सौ लोग कोरोना से जूझ रहे हैं। इसी तरह गांव चौटाला में 1826 लोग कोरोना संक्रमित बताये जा रहे हैं जबकि गांव के पूर्व सरपंच कृष्ण बिश्नोई,समाजसेवी प्रदीप गोदारा सहित अन्य मौजिज लोगों के अनुसार इस संख्या से कहीं ज्यादा लोग अपने घरों के अलावा पड़ोसी प्रांत पंजाब व राजस्थान से उपचार ले रहे हैं।
हरियाणा अनुभवी चिकित्सक संघ के प्रदेशाध्यक्ष लाल चंद शर्मा ने यूनीवार्ता को बताया कि प्रदेश में गांव स्तर पर मेडीकल व पैरा मेडीकल स्टॉफ का बेहद अभाव है। कुछ बड़े गावों में पीएचसी व सीएचसी खोली गई हैं तो उनमें चिकित्सक से लेकर अन्य सुविधाओं का टोटा है। ऐसे में निचले स्तर पर ढाणी, ईंट भट्ठों व गांवों में जीवन बसर कर रहे लोगों के स्वास्थ्य के बिगड़ने पर ये गैर मान्यता प्राप्त चिकित्सक ही प्राथमिक उपचार देकर रोगी को बचाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गावों में राज्य सरकार के आह्वान पर ही उन लोगों ने यह बीड़ा उठाया है। हालांकि जांच के उपकरण, पीपीई किट, मॉस्क, गलब्ज, सैनेटाइजर सरीखे अत्यंत जरूरी संसाधन मुहैया नहीं कराये जा रहे। कमोबेश यही स्थिति आंगनबाड़ी वर्कर व आशा वर्कर की है।
जब इस संदर्भ में जिला उपायुक्त प्रदीप कुमार से पूछा गया तो बताया कि गावों में किट बनाकर भेज दी गई है, जिन्हें कोरोना संक्रमित लोगों में बटंवाया जा रहा है। जहां तक गांवों में शहरों के मुकाबले कोरोना संक्रमित अधिक होने का सवाल है सैंपल जांच होने पर सामने आ जाएंगे।
कोरोना के उपचार के लिए सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से तैयार की किट जिला प्रशासन बांट रहा है जिसमें-एजीथ्रोमाइसिन-10 गोली,पैरासिटामोल-20 गोली,विटामिन-सी -10 गोली,जिंक गोली-10,विटामिन ई-कैपस्यूल-02 हैं।
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