
Jammu-Katra Project: कलायत, सच कहूँ / अशोक राणा। जम्मू-कटरा प्रोजेक्ट के निर्माण को लेकर मुआवजे की मांग पर ग्रामीण और प्रशासन आमने-सामने आ गए हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि चार साल बीतने के बाद भी उनके खातों में मुआवजे की राशि नहीं डाली गई। गुस्साए ग्रामीणों ने प्रोजेक्ट का काम रुकवा दिया। पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे तहसीलदार दिनेश ढिल्लों व थाना प्रभारी जय भगवान द्वारा ग्रामीणों से निर्माण कार्य शुरू करवाने का आग्रह किया गया। लेकिन ग्रामीण मुआवजा मिलने तक कार्य शुरू नहीं करने देने पर अड़े रहे। इस दौरान दर्जनों ग्रामीण महिलाओं सहित निर्माण कार्य स्थल पर धरना देकर बैठ गए।
ग्रामीणों ने बताया कि उनकी जमीन आवासीय है, लेकिन मुआवजा खेत की जमीन के भाव से दिया जा रहा है। प्रशासन ने पास की जमीन का मुआवजा एक करोड़ सात लाख रुपए प्रति एकड़ दिया है। जबकि उन्हें केवल 35 लाख रुपए प्रति एकड़ देने की बात कही गई। मामला साल 2020 का है। तब से अब तक पैसे नहीं मिले। इस वक्त उस जमीन का बाजार भाव तीन करोड़ 21 लाख रुपए प्रति एकड़ है।
ग्रामीणों ने बताया कि जब उन्हें 35 लाख रुपए देने की बात हुई थी, तब उन्होंने कोर्ट में केस दायर कर दिया था। अब तक मामला कोर्ट में विचाराधीन है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी के अधिकारी ग्रामीणों से बात करने से बचते रहे। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि मामला कोर्ट में है, कोर्ट जाने और किसान जानें।नेशनल हाईवे अथॉरिटी ने प्रशासनिक अमले को बुलाकर किसानों से बातचीत की। लेकिन अधिकारियों ने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उन्हें सही मुआवजा नहीं मिलेगा, तब तक वे प्रोजेक्ट का काम नहीं होने देंगे।
तहसीलदार दिनेश ढिल्लों ने बताया कि ग्रामीणों को अधिग्रहण की गई जमीन की मुआवजा राशि नहीं मिली है इसको लेकर ग्रामीणों और एन एच ए आई अधिकारियों के शिष्ट मंडल के साथ बैठक हुई है। पूरा मामला माननीय जिला उपायुक्त के संज्ञान है। जल्द ही ग्रामीणों की समस्या का समाधान हो जाएगा ।