पशु चिकित्सकों की हड़ताल के कारण गोगामेड़ी में पशु प्रतियोगिता रद्द
हनुमानगढ़ (सच कहूँ न्यूज)। पशु चिकित्सकों की नॉन प्रेक्टिस अलाउंस (एनपीए) की मांग के चलते राजस्थान प्रदेश में बेमियादी हड़ताल से पशुपालकों के मवेशियों का जीवन संकट में पड़ गया है। बीमार पशुओं का उपचार नहीं होने के कारण क्षेत्र में कई पशु मरने के कगार पर हैं। वर्तमान समय में पशु चिकित्सालय पशुधन सहायकों के भरोसे खोले जा रहे हैं। पशु चिकित्सकों की हड़ताल जारी रही तो हड़ताल का खामियाजा आर्थिक रूप से कमजोर पशुपालक को भुगतना पड़ेगा। पशु चिकित्सकों की हड़ताल के चलते कामधेनु पशु बीमा योजना के लाभ से भी पशुपालक वंचित रह रहे हैं। Hanumangarh News
रविवार को सातवें दिन पशु चिकित्सकों की हड़ताल जारी रही। रविवार को रावतसर तहसील के गांव निरवाण में आसमानी बिजली गिरने के कारण एक गाय की मौत हो गई। उक्त पशुपालक कामधेनु बीमा योजना के अन्तर्गत गारंटी कार्ड से लाभान्वित था, परन्तु कामधेनु बीमा योजना की शुरूआत राजस्थान में न होने के कारण उक्त पशु का बीमा पशुपालक को नहीं मिल पाएगा, क्योंकि हाल फिलहाल पूरे राजस्थान के पशु चिकित्सक हड़ताल पर हैं। इसी के साथ पशु चिकित्सकों की हड़ताल के कारण गोगामेड़ी में आयोजित होने वाली पशु प्रतियोगिता भी इस वर्ष रद्द कर दी गई है तथा मेले से मिलने वाले लाभ से भी पशुपालक वंचित रह गए हैं। Hanumangarh News
हड़ताल के कारण अगर महंगे जानवरों की मौत होती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। हड़ताल के चलते गोशालाओं का पैसा अटका हुआ पड़ा है। बैंक ऋण वाले मवेशियों की मृत्यु हो जाती है तो मृत्यु प्रमाण पत्र, कामधेनु बीमा योजना में स्वास्थ्य प्रमाण पत्र, गंभीर बीमारी वाले पशुओं के ऑपरेशन, जांच आदि सभी कार्य हड़ताल से प्रभावित हो रहे हैं। हनुमानगढ़ पशु चिकित्सक संघ के जिलाध्यक्ष डॉ. महावीर सहारण ने बताया कि राजस्थान राज्य में ही नॉन प्रेक्टिस अलाउंस नहीं दिया जा रहा, जबकि अन्य 17 राज्यों में नॉन प्रेक्टिस अलाउंस दिया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि पूर्व में आंदोलन के दौरान सरकार की ओर से सहमति जताई गई थी कि कामधेनु बीमा योजना की शुरुआत के दिन ही नॉन प्रेक्टिस अलाउंस की घोषणा कर दी जाएगी। सरकार की ओर से कामधेनु बीमा योजना 6 सितम्बर को लागू कर दी गई पर पशु चिकित्सा अधिकारियों के नॉन प्रेक्टिस अलाउंस की घोषणा में सरकार वादे से मुकर गई, परेशान होकर राजस्थान पशु चिकित्सा संघ की ओर से बेमियादी हड़ताल की घोषणा की गई।
हड़ताल होने के कारण पशु चिकित्सालयों में सन्नाटा छाया हुआ है। पशुपालकों को पता नहीं होने के कारण दूर-दराज से अपने पशुओं को लेकर के अस्पताल तक आते हैं और निराश होकर लौट जाते हैं। हड़ताल होने के कारण केन्द्र एवं राज्य सरकार की पशु कल्याणकारी योजनाएं प्रभावित होने के साथ पशुपालकों को पशु बीमा जैसी लाभकारी योजनाओं से वंचित होना पड़ रहा है। रविवार को भी पशु चिकित्सकों ने धरनास्थल पर नारेबाजी कर एनपीए की मांग दोहराई।
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