देश में तेल की बढ़ रही कीमतों ने हर वर्ग को परेशान कर दिया है, जिस वर्ग के पास निजी के वाहनों की कमी है, वह जरूरी वस्तुओं की महंगाई कारण परेशान हैं, जहां तक मध्य वर्ग का सवाल है, उनको गाड़ियों के लिए तेल की बढ़ रही कीमतें बड़ी समस्या बनी हुई हैं। मध्य वर्ग के लिए दो रास्ते ही बचे हैं, एक तो साधनों का संयम के साथ कम से से कम इस्तेमाल हो, दूसरा इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रयोग किया जाए या अन्य बदल तलाशे जाएं। सीएनजी के इस्तेमाल से खर्च घट रहे हैं परन्तु सीएनजी गैस स्टेशनों की संख्या कम होने के कारण गाड़ियों की लम्बी लाईनें इस विकल्प के लिए आसान नहीं। इलेक्ट्रिक वाहनों का विकल्प अच्छा है परन्तु चार्जिंग की बड़ी समस्या है। अब हाईड्रोजन से चलने वाले वाहन इस मसले के हल के लिए एक नये विकल्प के तौर पर सामने आ रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का ट्योटा की हाईड्रोजन से चलने वाली गाड़ी मिराई में सवार होकर संसद में आना इस बात का संदेश है कि सरकार प्रदूषण के खात्मे के लिए तेल के विकल्प के तौर पर हाईड्रोजन कारों को प्रोस्तसाहन देगी। नि:संदेह यह समय की मांग है और इस संबंधित सरकारों को ठोस योजनाबंदी बनानी होगी। बिजली की तरह ही तेल का मुद्दा महंगाई के साथ-साथ प्रदूषण के साथ भी जुड़ा हुआ है, जहां तक नयी गाड़ियों की कीमतों का सवाल है। इसे लेकर दमदार नीति बनानी होगी। अक्सर कार निर्माता कंपनियां उच्च कीमतें तय करती हैं, जिससे किसी योजना के अच्छे परिणमा मिलने में देरी होती है। इलैक्ट्रॉनिक वाहन इसकी मिसाल हैं। नि:संदेह तेल कीमतों में भारी वृद्धि के कारण लोग इलेक्ट्रिक स्कूटियों को अपनाने लगे थे परन्तु अनुचित अधिक कीमतों और गुणवत्ता की कमी कारण लोग फिर तेल से चलने वाले साधनों की तरफ लौट रहे हैं।
यदि सरकार अपने स्तर पर सस्ते और गुणवत्ता वाले साधन मुहैया करवाए तो जनता को फिर बिना तेल वाले साधनों की तरफ मोड़ा जा सकता है। केंद्र सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक साधनों पर टैक्स में राहत जरूर दी गई है परन्तु इसका फायदा ग्राहकों को नहीं मिला। कंपनियों की तरफ से वाहनों की कीमती ही इतनी ऊंची तय की जातीं हैं कि टैक्स में छूट के बावजूद आम ग्राहक को सस्ता साधन नहीं मिलता। यह आवश्यक है कि केंद्र और राज्य सरकारें साइकिल के प्रयोग को एक मुहिम बनाएं। साईकिल से खर्च का बचाव तो होता ही होता है साथ ही प्रदूषण भी नहीं फैलता। स्वास्थ्य के लिए साईकिल को दवा माना जाता है। यदि कर्मचारियों को फिर साइकिल से जोड़ा जाये तो तेल की खपत घटने के साथ-साथ प्रदूषण की समस्या भी घटेगी। अच्छा हो यदि सरकारें तेल के बिना चलने वाले साधनों को उत्साहित करें और साथ-साथ साईकिल को फिर से लोकप्रिय बनाएं।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter, Instagram, LinkedIn , YouTube पर फॉलो करें।