दिल्ली पुलिस की बर्बरता

Vandalism of Delhi Police

दिल्ली पुलिस द्वारा एक आटो चालक व उसके पुत्र की बेरहमी से पिटाई करने की वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हुई, जिसके बाद विभाग ने इस घटना पर कार्रवाई करके दो सहायक इंस्पेक्टरों को निलंबित कर दिया है। वीडियो की शुरूआत में आटो चालक पुलिस के साथ तकरार करता और पुलिस को धमकाता भी दिख रहा है। चालक के इस व्यवहार को सही नहीं कहा जा सकता, लेकिन पुलिस ने जिस तरीके से आॅटो चालक को सबक सिखाया वह पुलिस की कार्यप्रणाली पर ही सवाल उठाता है। पुलिस अधिकारी खुद पर हमला करने वाले किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने और उसके खिलाफ मुकदमा चलाने का अधिकार रखते हैं। आरोपी के साथ पशुवत व्यवहार करना और उसके परिवार के साथ मारपीट करना यह कतई उचित नहीं।

ऐसा घिनौना कृत्य करने वाले अधिकारियों को निलंबित करना ही काफी नहीं। अधिकतर मामलों में यही होता है कि केस लंबा चलने के बाद आरोपी अधिकारी किसी न किसी तरह सजा से बच निकलता है। यूं भी पुलिस के लिए यह बात आम हो गई है कि या तो पुलिस अपराधियों को हाथ नहीं डालती या फिर सीमा ही लांघ जाती है। पता नहीं कितने अपराध दिल्ली पुलिस की नाक तले बढ़ रहे हैं। दिल्ली में अपराधिक घटनाओं का ग्राफ निरंतर बढ़ता जा रहा है। कहने को पुलिस जनता के सहयोग व सेवा के लिए है लेकिन पुलिस की कार्यप्रणाली में यह रवैया नजर नहीं आता। दरअसल हमारे देश में पुलिस की परिभाषा ही नहीं बन सकी। पुलिस का कार्य करने का तरीका व मानसिकता आज भी अंग्रेजों के शासनकाल का बना हुआ है। अंग्रेज पुलिस का इस्तेमाल जनता को दबाने के लिए करते थे। सार्वजनिक स्थानों में भीड़ पर लाठीचार्ज आम बात थी। स्वतंत्रता के बाद भी पुलिस में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं आया।

पुलिस को पिटाई करने वाला विभाग ही समझा जाता है, जिस कारण पुलिस हिरासत में होने वाली मौतें भी देश भर में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। सिपाही से लेकर उच्च अधिकारियों पर मुकदमें चल रहे हैं। आंतरिक सुरक्षा की अहम जिम्मेदारी पुलिस की है, जिसे निभाने के लिए पुलिस के रवैये में परिवर्तन करने की आवश्यकता है। अच्छा करने वालों को पुरूस्कार व गलत करने वालों को सजा मिलनी चाहिए।

 

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