नई दिल्ली (एजेंसी)। उज़्बेकिस्तान (Uzbekistan) ने अफगानिस्तान के रास्ते ईरान तक रेल लाइन बिछाने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करने का प्रस्ताव किया है।
उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शौकत मिर्जियोयेव की अगले सप्ताह होने वाली भारत यात्रा के पहले ताशकंद से यहां आये राष्ट्रपति के विशेष राजदूत इल्होम नेमातोव ने पत्रकारों से बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि उज़्बेकिस्तान से हैरातन से मजारे शरीफ तक रेलवे लाइन परिचालन में है। मजारे शरीफ से हेरात और वहां से ईरान तक रेलवे लाइन बनाने का पुराना प्रस्ताव है।
उन्होंने कहा कि उज़्बेकिस्तान का मानना है कि यदि भारत इस परियोजना में शामिल होता है तो बहुत अच्छा होगा क्योंकि वह इस काम में सक्षम है। उन्होंने कहा कि मजारे शरीफ से ईरान तक करीब 452 किलोमीटर की लाइन बिछानी होगी जिससे सीधे अरब सागर तक कनेक्टिविटी मिलेगी। यह लाइन ईरान से रूस जाने वाले अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे का अंग हो सकती है जिससे क्षेत्रीय व्यापार एवं निवेश को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने स्पष्ट किया कि उज़्बेकिस्तान से मजारे शरीफ की रेललाइन के निर्माण में चीनी कंपनी की कोई भूमिका नहीं है।
30 दस्तावेजों पर हस्ताक्षर होने की संभावना | Uzbekistan
नेमातोव ने कहा कि उज़्बेकिस्तान के राष्ट्रपति की भारत यात्रा ऐतिहासिक होगी। इस दौरान दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने – खासकर अफगानिस्तान में स्थिरता लाने के मुद्दे पर भी बात होने की संभावना है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने माना कि गत दिसंबर में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के ऐतिहासिक ताशकंद दौरे के बाद तालिबान के एक प्रतिनिधिमंडल ने भी उज़्बेकिस्तान का दौरा किया था, लेकिन उन्होंने बातचीत का विवरण नहीं दिया।
भारत में उज्बेकिस्तान के राजदूत फरहोद आर्जिव ने कहा कि राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान उनकी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक होगी। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच शैक्षणिक, कृषि, सांस्कृति, औषधि, पर्यटन एवं जनता के बीच संपर्क एवं सहयोग के करीब 30 दस्तावेजों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि मोदी के क्षेत्रीय एवं प्रांतीय संपर्कों को बढ़ावा देने की नीति के अनुरूप समरकंद और आगरा, अंदीजान और गुजरात, ताशकंद और दिल्ली, बुखारा और हैदराबाद के बीच साझी सांस्कृतिक विरासत को मिलकर बढ़ावा देने एवं आदान प्रदान बढ़ाने संबंधी करार भी किये जाएंगे।
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