वॉशिंगटन (एजेंसी)। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर एक नोटिस जारी कर संयुक्त राष्ट्र को सूचित किया है कि वह पेरिस जलवायु समझौते से बाहर हो जाएगा। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र को भेजे गए नोटिस में अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यदि अमेरिका के लिए इस समझौते की शर्तों में सुधार होता है तो वह बातचीत की प्रक्रिया में शामिल रहेगा। विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि अमेरिका लगातार जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र की होने वाली बैठकों में भाग लेता रहेगा।
समझौते से बाहर होने में कम से कम लगेंगे तीन साल
अमेरिका को पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते से बाहर होने में कम से कम तीन साल का समय लगेगा। विदेश मंत्रालय ने अपनी विज्ञप्ति में कहा कि अमेरिका जलवायु नीति के लिए एक ऐसे संतुलित दृष्टिकोण का समर्थन करता है, जो आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के अलावा उत्सर्जन को कम करता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जून में पेरिस जलवायु समझौते से बाहर होने की घोषणा की थी। इसे लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी काफी आलोचना हुई थी। ट्रंप ने कहा था कि यह समझौता अमेरिका को ‘दंडित’ करता है और अमेरिका में इसकी वजह से लाखों नौकरियां चली जाएंगी। ट्रंप ने इस समझौते से अमेरिका को अरबों डॉलर का नुकसान होने के अलावा तेल, गैस, कोयला और विनिर्माण उद्योगों में बाधा आने की आशंका जाहिर की थी।
अमेरिका की ओर से किए गए इस ऐलान को सांकेतिक तौर पर ही देखा जा रहा है। इसका कारण यह है कि पेरिस जलवायु समझौते से अलग होने की इच्छा रखने वाला कोई भी देश चार नवंबर 2019 से पहले आधिकारिक तौर पर अपने उद्देश्य का ऐलान नहीं कर सकता है। इसके बाद समझौते से अलग होने की प्रक्रिया में एक साल का समय और लगेगा। इसका मतलब यह है कि यह प्रक्रिया साल 2020 में होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के कई सप्ताह बाद पूरी होगी। गौरतलब है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पेरिस जलवायु समझौते के तहत ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती करने के लिए वचन दिया था। श्री ओबामा ने 2025 तक 28 प्रतिशत तक की कटौती करने का वचन दिया था।
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