चक्रवाती तूफान बिपरजॉय जखौ पोर्ट पर टकराया, टकराने की प्रक्रिया देर रात तक जारी
गांधीनगर (एजेंसी)। Biparjoy Cyclone: भीषण चक्रवाती तूफान ‘बिपरजॉय’ के लैंडफॉल की प्रक्रिया इसके पूर्वोत्तर अरब सागर के ऊपर सौराष्ट्र-कच्छ तट के करीब गुरुवार शाम साढ़े छह बजे शुरू होने के बाद रात साढ़े नौ बजे भी जारी है और यह प्रक्रिया देर रात तक जारी रहेगी।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) की ओर से रात 1030 बजे यहां जारी बुलेटिन के अनुसार अति प्रचंड चक्रवाती तूफान ‘बिपरजॉय’ गुरुवार को रात साढ़े नौ बजे पूर्वोत्तर अरब सागर, सौराष्ट्र-कच्छ तट के करीब केंद्रित था। जखौ बंदरगाह (गुजरात) से 20 किमी पश्चिम-दक्षिण पश्चिम, देवभूमि द्वारका से 120 किमी उत्तर पश्चिम और नलिया से 50 किमी पश्चिम-दक्षिण पश्चिम केंद्रित था और लैंडफाल की प्रक्रिया जारी है। बारिश और बाढ़ से जुड़ी घटनाओं में अब तक 2 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 22 लोग घायल हैं।
बाढ़ जैसे हालात | Biparjoy Cyclone
चक्रवात के लैंडफॉल की प्रक्रिया शाम साढ़े छह बजे शुरू होकर आधी रात के बाद तक चलेगी। तूफान सौराष्ट्र, कच्छ और पाकिस्तान के आसपास के तटों तक अपना असर दिखायेगा। इस दौरान हवा की रफ्तार 115 से 125 किलोमीटर रह सकती है और यह बढ़कर 140 किलोमीटर प्रति घंटा तक जा सकती है।
खगोलीय ज्वार के ऊपर लगभग दो मीटर की तूफानी लहर के लैंडफॉल के दौरान कच्छ, देवभूमि द्वारका, पोरबंदर, जामनगर और मोरबी जिलों के निचले इलाकों में बाढ़ आने की संभावना है। इस बीच द्वारका, कच्छ सहित कई जिलों में तेज बारिश होने, बिपरजॉय तूफान से बिजली के खंभे गिरने, बिजली उपकेंद्र बंद होने तथा समुद्र में ऊंची लहरें उठने की सूचनाएं मिल रही हैं।
आखिर क्यों आते हैं चक्रवाती तूफान, कैसे रखे जाते हैं इनके नाम?
अरब सागर में उठे इस साल के पहले प्री-मानसून चक्रवाती तूफान बिपरजॉय का डर देश के कई राज्यों में बना हुआ है और इसीलिए समुद्र तट वाले जिलों को हाई अलर्ट घोषित करते हुए वहां एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और सेना मोर्चा संभाल चुके हैं। हालांकि सरकार का कहना है कि उसका उद्देश्य ‘जीरो कैजुअल्टी’ सुनिश्चित करना और इस चक्रवाती तूफान से होने वाले संभावित नुकसान को न्यूनतम करना है लेकिन माना जा रहा है कि यह तूफान कई इलाकों में काफी तबाही मचा सकता है।
Cyclone Biparjoy: चक्रवाती तूफान बिपरजॉय को लेकर अब तक की बड़ी खबर! जानिए क्या है ताजा अपडेट
मंगलवार को यह तूफान गंभीर चक्रवात से बेहद गंभीर चक्रवात में बदल गया था। ईस्ट सेंट्रल अरब सागर की खाड़ी में बना हुआ यह तूफान धीरे-धीरे उत्तर दिशा की ओर बढ़ रहा है और 15 जून की शाम गुजरात के सौराष्ट्र-कच्छ से इसके टकराने की संभावना है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक भारत के कई राज्यों में इस तूफान के कारण तेज हवाएं चलने के साथ बारिश हो सकती हैं। Cyclone Biparjoy
इस दौरान अधिकतम 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक हवाएं चलने के आसार हैं। इसी कारण गुजरात में इस तूफान को लेकर हाई अलर्ट जारी किया गया है। आशंका है कि यह तूफान अति प्रचंड रूप ले सकता है, जिसका अलर्ट मौसम विभाग लगातार दे रहा है। आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा के मुताबिक बिपरजॉय से काफी ज्यादा नुकसान हो सकता है, गुजरात में कच्छ, देवभूमि द्वारका, जामनगर जिलों में तो 15 जून तक 20 सेंटीमीटर से भी ज्यादा बारिश हो सकती है। आमतौर पर इस समय इतनी तेज बारिश नहीं होती है, इसलिए निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा होने की संभावना है। Cyclone Biparjoy
चक्रवाती तूफान बिपरजॉय अरब सागर में केन्द्रित है और मौसम विज्ञान के महानिदेशक के मुताबिक 15 जून को इससे सर्वाधिक खतरा है, उत्तरी गुजरात में 15 और 16 जून को इसका असर रहेगा। इसलिए प्रभावित स्थानों पर लोगों को घर के अंदर सुरक्षित स्थान पर रहने की सलाह दी गई है क्योंकि इसके आने से पेड़, बिजली के खंभे, सेलफोन टावर उखड़ सकते हैं, जिससे बिजली और दूरसंचार में व्यवधान आ सकता है और इस भीषण तूफान की वजह से खड़ी फसलों को भी नुकसान होगा। Cyclone Biparjoy
मौसम विभाग द्वारा 8 राज्यों लक्षद्वीप, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, केरल और आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में इस तूफान के कारण तेज हवाओं के साथ भारी बारिश की चेतावनी दी जा चुकी है। भारत के तटवर्ती राज्य अक्सर ऐसे चक्रवाती तूफानों से प्रभावित होते रहे हैं।
इस तरह के चक्रवाती तूफान अपने पीछे केवल बर्बादी छोड़ जाते हैं। इससे पहले आए अम्फान, निसर्ग, निवार जैसे चक्रवाती तूफान भी भारी तबाही मचा चुके हैं। भीषण तबाही मचाकर गुजर जाने वाले ऐसे तूफानों के बाद भी तूफान प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को लंबे समय तक अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बहरहाल, बिपरजॉय के कहर से निपटने के लिए की गई तमाम तैयारियों के बाद भी तबाही होनी तो तय है ही, इसलिए जरूरी है कि इसके गुजर जाने के बाद लोगों को भावी मुसीबतों से निजात दिलाने के लिए युद्धस्तर पर कार्य किए जाएं। Cyclone Biparjoy
वैसे भारी तबाही मचाने वाले ऐसे तूफान अपने नामों को लेकर भी चर्चा में रहते हैं। चूंकि यह तूफान बांग्लादेश से उठा है, इसलिए बांग्लादेश ने ही इस तूफान को बिपरजॉय नाम दिया है। बंगाली में ‘बिपरजॉय’ के नाम का अर्थ है आपदा या विपत्ति। दरअसल, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में जो भी चक्रवात आते हैं, उनके नाम बारी-बारी से इस इलाके के देश ही रखते हैं। ये सिस्टम पहले से ही तय होता है। Cyclone Biparjoy
भयंकर तूफानों का नामकरण किए जाने के पीछे भी अहम कारण हैं। साइक्लोन या चक्रवात ग्रीक शब्द ‘साइक्लोज’ से बना है, जिसका अर्थ है, वैसा सांप, जिसने कुंडली मार रखी हो और हमले के लिए तैयार बैठा हो। इसमें कम दबाव के क्षेत्र में हवा अंदर की ओर चक्कर काटती रहती है। कोई भी तूफानी हवा चक्रवात तभी कहलाती है, जब वह कम से कम 74 मील प्रतिघंटा (करीब 119 किलोमीटर प्रतिघंटा) की रफ्तार पकड़ ले।
जब तूफान चक्रवात का रूप धारण कर लेता है, तब उसका एक नाम दिए जाने की परम्परा है। किसी तूफान को नाम इसलिए दिया जाता है ताकि उसका कोई नाम होने से लोगों को उसकी भयावहता को लेकर समय रहते चेतावनी दी जा सके और प्रभावित होने वाले क्षेत्र में लोग उसे गंभीरता से ले सकें। नामकरण के बाद ऐसे तूफानों से निपटने के लिए तैयारी करने में भी मदद मिलती है। किसी भी तूफान की श्रेणी हवा की गति के आधार पर ही तय की जाती है। तूफान की श्रेणी हवा की गति बढ़ने के आधार पर 1 से 5 की स्केल पर चली जाती है। Cyclone Biparjoy
जब हवा 63 किलोमीटर प्रतिघंटा या उससे अधिक रफ्तार से चलती है तो उसे ट्रॉपिकल तूफान कहा जाता है। हवा की गति 119 किलोमीटर प्रतिघंटा से भी अधिक होने पर उसे ‘ट्रापिकल साइक्लोन’ कहते हैं। किसी चक्रवाती तूफान की रफ्तार प्राय: 62 से 88 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है लेकिन तूफान की रफ्तार 221 किलेमीटर प्रतिघंटा से भी ज्यादा होने पर उसे सुपर साइक्लोन कहा जाता है। Cyclone Biparjoy
चक्रवाती तूफानों का सिलसिला प्राय: मौसम में गर्मी की शुरूआत से ही शुरू हो जाता है। सूर्य की गर्मी जब समुद्र में भूमध्य रेखा के पास बढ़ती है तो समुद्र का पानी 27 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा गर्म हो जाता है, जिससे भाप बनती है और गर्म हवा तेजी से ऊपर उठती है। जब गर्म हवा ऊपर की ओर उठती है तो ऊपर की नमी वाष्प के साथ मिलकर बादल बनाती है और वहां कम वायु दाब का क्षेत्र बन जाता है। गर्म हवा ऊपर उठने पर नीचे की खाली जगह भरने के लिए ठंडी हवा तेजी से आ जाती है और इस प्रकार हवा चक्कर काटने लगती है तथा नमी से भरे बादल भी घूमने लगते हैं, जिससे समुद्री तूफान पैदा होता है। तूफान की तीव्रता गर्मी और नमी की अधिकता पर निर्भर करती है।