कैंसर से पीड़ित थे अजमेर सिंह (Liver Donation)
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ससुर बोले-मोनिका जैसी बहुएं हर घर को स्वर्ग बना सकती हैं
सच कहूँ/बिन्टू श्योराण नरवाना। गांव बेलरखां स्थित धत्तरवाल पट्टी में रहने वाले प्रदीप धतरवाल की पत्नी मोनिका ने अपने ससुर को जिगर का टुकड़ा देकर ऐसी मिसाल पेश की है, जिसे पेश कर पाना हर किसी के बस की बात नहीं है। प्रदीप की शादी आठ वर्ष पहले मोनिका से हुई। मोनिका जब से इस संयुक्त परिवार का हिस्सा बनी, तभी से वो अपने ससुर अजमेर की दरियादिली, पूरे परिवार को संभालने और उनके परिवार के प्रति समर्पण भाव को देखती आ रही थी। जब ससुर को लीवर कैंसर हुआ और उनकी जान पर बन आई तो बहु ने बेटी बन ससुर की जान बचाने का निश्चय किया। कागजी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद दिल्ली स्थित मेदांता अस्पताल में डॉ. ए.एस. सोएन द्वारा आॅप्रेशन किया गया।
- यह आॅप्रेशन पूरी तरह से सफल रहा और ससुर अजमेर की जान बच गई।
- मोनिका भी वापस घर लौट आई है और स्वास्थ्य लाभ ले रही है।
- बहु मोनिका के इस कार्य की हर तरफ चर्चा हो रही है।
मोनिका के लिए जटिल नहीं रहा निर्णय लेना
मोनिका को दो बच्चे (एक लड़का व एक लड़की) हैं। संयुक्त परिवार होने के चलते सभी एक साथ रहते हैं। ससुर अजमेर दरिया दिल इंसान हैं और पूरे परिवार को संभाले हुए हैं। एक दिन परिजनों को पता चला कि अजमेर लीवर कैंसर से पीड़ित हैं। चिकित्सकों के पास उपचार के लिए ले जाया गया तो पता चला कि डेढ़ माह में कोई डोनर नहीं मिला तो कुछ भी हो सकता है। ऐसे में अजमेर के ब्लड ग्रुप ओ पॉजिटिव होने के चलते डोनर की तलाश शुरू हुई, लेकिन ढूंढने से भी डोनर नहीं मिला।
- तब मोनिका आगे आई और उसने अपने खून की जांच करवाई तो वह ओ पॉजिटिव मिला।
- जिस पर मेदांता अस्पताल के चिकित्सक डॉ. ए.एस. सोएन द्वारा जांच की गई तो मोनिका को उपयुक्त पाया गया।
आसान नहीं था जिगर का टुकड़ा देना
मोनिका द्वारा हाँ किए जाने के बाद भी, उसका जिगर का टुकड़ा अपने ससुर को देना आसान नहीं था। कागजी कार्रवाई की जटिलता के चलते पहले मोनिका, फिर मायका पक्ष व ससुरालजनों की रजामंदी ली गई। बाकायदा पीजीआईएमएस रोहतक में बोर्ड का गठन हुआ, जिसमें मंजूरी ली गई। जब सुब कुछ सिरे चढ़ गया तो मेदांता अस्पताल में यह जटिल आॅप्रेशन किया गया।
- इसमें मोनिका के जिगर का कुछ अंश लेकर ससुर अजमेर के लीवर में ट्रांसप्लांट किया गया।
- मोनिका फिलहाल गांव वापस लौट चुकी हैं और स्वास्थ्य लाभ ले रही हैं।
- वहीं ससुर अजमेर अभी भी उपचाराधीन हैं।
बहु की सहमति के बाद उसके परिजनों से भी ली सहमति : अजमेर
ससुर अजमेर ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र होने के नाते बहु से बातचीत कम ही हो पाती है। जब बहु ने अपने जिगर का टुकड़ा देने की बात कही तो इसके लिए सबसे पहले उन्होंने उसके मायके वालों से बातचीत की और उनकी सहमति ली गई। बहुएं भी बेटियां ही होती हैं, बस ये समझ का फर्क है।
- मोनिका जैसी बहुएं हर घर में हों तो धरती पर ही स्वर्ग बन सकता है।
- मुझे अपने बेटे और बहु पर गर्व है।
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