शहीद ऊधम सिंह का 82वें राज्यस्तीय बलिदान दिवस समारोह
(Gumnaam Shaheed Punjabi)
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दो करोड़ 63 लाख की लागत से बनी शहीद की यादगार का उद्घाटन
गुरप्रीत सिंह/खुशप्रीत जोशन/ कर्म थिंद
सुनाम उधम सिंह वाला। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शनिवार को शहीद ऊधम सिंह के 82वें राज्यस्तीय बलिदान दिवस समागम में शिरकत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई के गुमनाम पंजाबी शहीदों की याद में एक भव्य यादगार बनाई जाएगी। अंडमान निकोबार में कई पंजाबी शूरवीर शहीद हुए थे, जिनकी जानकारी किसी को नहीं है। अंग्रेजी हुकूमत यहां काले पानी की सजा देकर शूरवीरों पर अत्याचार करती रही थी। वहां की जेल में भी यातनाएं दी जाती थीं। वहां से शहीदों के नाम लिए जा रहे हैं और एक सांझा यादगार पर उनके नाम अंकित करके उनकी शहादतों को नमन किया जाएगा।
कैप्टन ने कहा कि शहीद ऊधम सिंह की कुबार्नी को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। लंदन में जनरल डायर को मारने के बाद ऊधम सिंह वहां से भागे नहीं बल्कि हंसते हुए खुद को ब्रिटिश पुलिस के हवाले किया था। उन्होंने कहा कि जलियांवाला बाग में हुए हत्याकांड से ऊधम सिंह, बेहद आहत थे। 21 साल तक इस आग को अपने मन में रखे हुए थे और आखिरकार लंदन में पहुंचकर उन्होंने अपनी इस आग को शांत किया था।
लंबी समय से चलती आ रही मांग हुई पूरी
कैप्टन ने कहा कि जब 1980 में वह सांसद बने थे तब उनके मन में था कि यदि संभव हुआ तो शहीद ऊधम सिंह की यादगार बनाएंगे। इस दौरान कैप्टन ने दो करोड़ 63 लाख रुपये की लागत से बनाई गई शहीद की यादगार का उद्घाटन किया। कांग्रेस की हलका प्रभारी दामन बाजवा ने कहा कि शहीद की नगरी के लोगों की लंबे समय से उठाई गई मांग को पूरा किया गया है। इस मौके पर कैबिनेट मंत्री विजय इंदर सिंगला, हरमन बाजवा, मुनीष सोनी, निशान सिंह टोनी, हिम्मत बाजवा हाजिर थे।
शहीदी समागम रहा कैप्टन का वन मैन शो, बैठे तक नहीं
शहीद ऊधम सिंह के 82वें बलिदान पर पंजाब सरकार द्वारा आयोजित समागम में कांग्रेस की रार फिर दिखाई दी। सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह इस समागम में विशेष रूप से शामिल हुए। इस कार्यकाल में मुख्यमंत्री बनने के बाद कैप्टन पहली बार सुनाम में शहीदी समागम में पहुंचे थे लेकिन समागम में कांग्रेस के दिग्गज नेता गैर हाजिर रहे।
टकसाली नेताओं को नजरअंदाज किया: राजिंदर राजा
सिद्धू के प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के बाद जिले के कई दिग्गज कांग्रेसी नेता सिद्धू के समर्थन में खुलकर आए थे। शनिवार को कैबिनेट मंत्री विजय इंदर सिंगला भी मंच पर तब पहुंचे जब कैप्टन समागम को संबोधित कर रहे थे। समागम में कैप्टन अमरिंदर सिंह आधा घंटा ही रहे लेकिन मंच पर रखी कुर्सी पर बैठे तक नहीं। मंच पर आते ही उन्होंने यादगार का पदार्पण किया और वारिसों का सम्मान कर गाड़ी में बैठकर निकल गए।
वहीं कांग्रेस के कार्यकारी जिलाध्यक्ष राजिंदर सिंह राजा ने कहा कि इस समागम को लेकर कांग्रेस के तमाम टकसाली नेताओं को नजरअंदाज किया गया। समागम की तैयारियों को लेकर हुई बैठकों की जानकारी तक नहीं दी गई। ऐसे में कांग्रेस के सभी नेताओं व वर्करों की भावनाओं की कद्र करते हुए उन्होंने समागम में नहीं जाने का फैसला किया है। कांग्रेस पार्टी के वर्कर को एकजुट रखना उनका नैतिक फर्ज है।
शहीद की डायरी-पिस्टल यूके वापिस लाने की मांग रखेंगे
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह शहीद की डायरी व पिस्टल को यूके से वापस लाने संबंधी पूरे मामले को केंद्रीय विदेश मंत्रालय (भारत सरकार) के सामने रखेंगे। उन्होंने कहा कि इससे पहले जद्दोजहद के बाद 40 वर्ष बाद विदेश से शहीद की अस्थियां उनके पुश्तैनी शहर सुनाम पहुंची थीं। अब उनके जनरल ओडवायर को मारने में इस्तेमाल किए स्काटलैंड पड़े पिस्टल व निजी डायरी को भी भारत लाया जाएगा। वह भारत सरकार से बात करेंगे कि मामले को ब्रिटिश हाई कमीशन के पास उठाएं।
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