संयुक्त राष्ट्र विश्व जल विकास रिपोर्ट 2022 का गहनता से अध्ययन करें तो पाएंगे भारत, विश्व में भूजल का सबसे अधिक उपयोग करने वाला देश है। इस मामले में भारत के बाद चीन और पाकिस्तान का स्थान है। हाल ही जारी इस रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में वैश्विक आबादी घरेलू उपयोग के लिए भूजल के लगभग 50 प्रतिशत भाग का उपयोग कर रही है। इसी प्रकार, सिंचाई के लिए भूजल के लगभग 25 प्रतिशत भाग का उपयोग किया जा रहा है। दुनिया भर में लगभग चार अरब लोग ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं, जहां साल में कम-से-कम एक महीने के लिए जल का गंभीर संकट बना रहता है। भूजल की स्थिति भारत में अत्यंत चिंताजनक है। हमारे देश में भूमि में जितना पानी रिचार्ज होता है उसका 62 प्रतिशत वापस निकल लिया जाता है। यदि मानसूनी वर्षा ने धोखा दे दिया तो देश में जल संकट उपस्थित होते देर नहीं लगेगी। देश में भूजल का गिरता स्तर स्पष्ट संकेत देने लगा है कि भविष्य में हालात और भी ज्यादा गंभीर हो सकते हैं।
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आज जिस तरह से मानवीय जरूरतों की पूर्ति के लिए निरंतर व अनवरत भूगर्भ जल का दोहन किया जा रहा है, उससे साल दर साल भूगर्भ जल का स्तर गिरता जा रहा है। आज दुनिया अपनी जल जरूरतों की पूर्ति के लिए सर्वाधिक रूप से भूगर्भ जल पर ही निर्भर है। लिहाजा, अब एक तरफ तो भूगर्भ जल का अनवरत दोहन हो रहा है तो वहीं दूसरी ओर तेज औद्योगीकरण के चलते प्रकृति को हो रहे नुकसान और पेड़-पौधों के अनियंत्रित दोहन के कारण बरसात में भी काफी कमी आ गई है। तेजी से गिरता भूजल स्तर दुनियाभर के लिए चिंता का सबब बना हुआ है। पेयजल का मुख्य स्रोत भूगर्भ जल ही है। भूजल वह जल होता है जो चट्टानों और मिट्टी से रिस जाता है और भूमि के नीचे जमा हो जाता है।
जिन चट्टानों में भूजल जमा होता है, उन्हें जलभृत कहा जाता है। भारी वर्षा से जल स्तर बढ़ सकता है और इसके विपरीत, भूजल का लगातार दोहन करने से इसका स्तर गिर भी सकता है। एक सर्वेक्षण अनुसार धरती का तीन चौथाई हिस्सा पानी से ढका हुआ है अर्थात लगभग 71 प्रतिशत पानी धरती के ऊपर मौजूद है और 1.6 प्रतिशत पानी धरती के नीचे नीचे है। जो पानी धरती के ऊपर मौजूद है, वह पानी पीने लायक नहीं है। शेष 3 प्रतिशत पानी पीने लायक है, जिसमें से 2.4 प्रतिशत पानी उत्तरी और हिस्से और ग्लेशियर में बर्फ के रूप में जमा हुआ है। सिर्फ 0.6 प्रतिशत पानी ही है, जो नदी और तालाब में मौजूद है जो पीने लायक है। यही 0.6 प्रतिशत पानी बढ़ती हुई आबादी और प्रदूषण के कारण पर्याप्त नहीं है, इसलिए धरती के नीचे जो पानी मौजूद है, उस पानी की भी बहुत ज्यादा आवश्यकता है।
भूजल की वर्तमान स्थिति को सुधारने के लिये भूजल का स्तर और न गिरे इस दिशा में काम किए जाने के अलावा उचित उपायों से भूजल संवर्धन की व्यवस्था हमें करनी होगी। पानी की कमी के चलते निरन्तर खोदे जा रहे गहरे कुओं और ट्यूबवेलों द्वारा भूमिगत जल का अन्धाधुन्ध दोहन होने से भूजल का स्तर निरन्तर घटता जा रहा है। देश में जल संकट का एक बड़ा कारण यह है कि जैसे-जैसे सिंचित भूमि का क्षेत्रफल बढ़ता गया वैसे-वैसे भूगर्भ के जल के स्तर में गिरावट आई है। भूजल दोहन के अंधाधुंध दुरुपयोग को यदि समय रहते रोका नहीं गया, तो आने वाली पीढियों को इसके भयानक परिणाम भुगतने होंगे। सरकार को जनता में जागरूकता लाने के लिए विशेष प्रबन्ध और उपाय करने होंगे। बाल मुकुन्द ओझा
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