विश्व में अमन शांति कायम रखने के उद्देश्य से बनाई राष्ट्रीय संस्था United Nations Weakens On Terrorism संयुक्त राष्ट्र विश्व भर में बढ़ रहे आतंकवाद के सामने कमजोर पड़ती दिख रही है। यह संस्था किसी विवाद से संबंधित विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों का पक्ष रखने का स्थान बनकर रह गई है। कार्रवाई पर अमल न के बराबर है। आतंकवाद के मुद्दे पर भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ पेश तथ्यों पर गौर नहीं किया जा रहा। एक देश (पाकिस्तान) आतंकवाद को सरकारी सरंक्षण देकर भी संयुक्त राष्ट्र का सदस्य रह सकता है। पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर में मारे गए आतंकवादी बुरहान वानी के नाम पर टिकट जारी कर यह दिखाया है कि इस्लामाबाद आतंकवाद को खुला समर्थन करता है। जबकि वानी की आतंकी कार्रवाईयों को उसके पिता सहित परिवार का कोई भी सदस्य स्वीकार नहीं करता।
संयुक्त राष्ट्र भी इस्लाम व आतंकवाद को एक नहीं मानता लेकिन पाकिस्तान United Nations Weakens On Terrorism में इस्लाम व आतंकवाद को जोड़कर पेश किया जा रहा है। पाकिस्तान की दोगली नीतियों का खुलासा करने के बावजूद संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान लगातार बचता आ रहा है और चीन जैसा देश सुरक्षा परिषद् में उसका समर्थन कर रहा है। चीन ने एक बार फिर भारत को वांछित आतंकवादी मसूद अजहर को आतंकवादी घोषित करने में बाधा डालकर संयुक्त राष्ट्र को बेजान संस्था साबित कर दिया है। दरअसल संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, चीन व रूस के लिए एक खिलौना बनकर रह गया है। यह संस्था आतंकवाद के कारण उजड़े परिवारों के लिए हजारों अरबों रुपए की मदद बांट रही है, लेकिन आंतकवाद के खिलाफ निष्पक्ष व असरदार कार्रवाई के लिए ताकतवर देशों की मर्जी से आगे नहीं बढ़ पा रही।
भारत-पाक के बीच संबंधों में बड़ी रुकावट आतंकवाद है और भारत निरंतर आतंकवाद के खात्मे से पहले बातचीत के लिए राजी नहीं। संयुक्त राष्ट्र को इन बातों पर विचार करना चाहिए कि अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान ने ही शरण दी थी। अमेरिका द्वारा आतंकवादी घोषित हाफिज मौहम्मद सैय्यद भी पाकिस्तान में सरेआम घूम रहा है। फिर भी पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र का सदस्य होने के साथ-साथ आतंकवाद प्रभावित देशों के साथ बहस कर रहा है। यदि संयुक्त राष्ट्र की भूमिका केवल बैठक की व्यवस्था करवाने तक सीमित है तब पाकिस्तान की तरह अन्य देश भी अंतरराष्ट्रीय संस्था के भय से मुक्त हो जाएंगे। भारत को सर्जिकल स्ट्राईक तक की नौबत आ गई। यदि यह तनातनी यूं ही बढ़ती रही तब युद्ध के हालात बनने तय हैं। संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद की परिभाषा के तहत पाकिस्तान के हालातों का विश्लेषण कर ठोस निर्णय ले ताकि संयुक्त राष्ट्र की प्रतिष्ठा कायम रह सके।
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