सरसा। (सच कहूँ न्यूज) डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां का 55वां पावन अवतार दिवस पर सोमवार को डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत में अनुपम श्रद्धा, अद्वितीय विश्वास और अद्भुत जोश व ज़ज्बा देखने को मिला। एक ओर जहां लहराते तिरंगे ध्वज राष्ट्रभक्ति का संदेश दे रहे थे। वहीं गुरू वचनों पर चलते हुए 155 परिवारों को राशन, अनाथ मातृ-पितृ सेवा मुहिम के तहत 15 जरूरतमंद बुजुर्गों को राशन व खाद्य सामग्री, केयर फॉर इनोसेंट मुहिम के तहत 15 गरीब बच्चों का उपचार करवाया और पौष्टिक आहार (फल-फ्रुट किटें) दी गई। इसके अलावा शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल में आयोजित जन कल्याण परमार्थी चिकित्सा शिविर में विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा हजारों लोगों की नि:शुल्क जांच और फ्री में दवाई दी गई।
इससे पूर्व पावन अवतार दिवस के उपलक्ष्य में 14 अगस्त को डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत ने देश और दुनिया में 37 लाख 30 हजार 462 पौधे रोपित कर धरा को हरियाली की सौगात देकर पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। रविवार रात्रि से ही शाह सतनाम जी धाम व शाह मस्ताना जी धाम में साध-संगत का आना शुरू हो गया, जो कि अनवरत जारी रहा। 15 अगस्त सुबह 11 बजे जब पावन भंडारे की नामचर्चा की शुरूआत से पहले ही पूरा पंडाल साध-संगत से खचाखच भर चुका था। इसके साथ ही आश्रम की ओर आने वाले सभी मार्गों पर जहां तक नजर पहुंच रही थी, साध-संगत का हुजूम नजर आया। मार्गों पर कई-कई किलोमीटर तक साध-संगत के वाहनों की लंबी-लंबी कतारें नजर आई। इस शुभ अवसर पर डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालु अपनी पारंपरिक वेशभूषाओं और वाद्ययों पर नाचते थिरकते हुए नामचर्चा पंडाल में पहुंचे और एक-दूसरे को बधाइयां देकर खुशी जताई।
पावन भंडारे की नामचर्चा का आगाज पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को ‘धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ के पवित्र नारे के रूप में बधाई के साथ हुआ। इसके पश्चात कविराजों ने विभिन्न भक्तिमय भजनों के माध्यम से गुरु महिमा का गुणगान किया। तत्पश्चात पूज्य गुरू जी के पावन अनमोल वचन चलाए गए, जिन्हें साध-संगत ने एकाग्रचित होकर श्रवण किया। इस अवसर पर पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि सत्संग, सेवा, सुमिरन तीन ऐसी बातें हैं, जो बेहद जरूरी हैं आत्मा के लिए। इन्सान का मन जब अहंकारी हो जाता है, गुरूर, घमंड करने लग जाता है तो इन्सान दुनियादारी में, राम नाम में पिछड़ जाता है।
सत्संग में आकर पता चलता है कि कौन से कार्य करने चाहिए और कौन से कार्य नहीं करने चाहिए। इस दौरान पूज्य गुरु जी द्वारा मानवता पर किए गए उपकारों को दर्शाती एक डॉक्यूमेंट्री भी चलाई गई तथा पूज्य गुरू जी की 11वीं चिट्ठी साध-संगत को सुनाई गई। नामचर्चा की समाप्ति पर साध-संगत को कुछ ही मिनटों में लंगर, भोजन और प्रशाद खिलाया गया। बता दें कि पूज्य गुरु जी ने 15 अगस्त 1967 को श्रीगुरुसर मोडिया, श्री गंगानगर ( राजस्थान) में पावन अवतार धारण किया था।
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