पर्यावरण एवं प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में जैव-विविधता के महत्व देखते हुए अंतरराष्ट्रीय जैव-विविधता दिवस 22 मई को मनाया जाता है। जैव विविधता का सम्बन्ध पशुओं और पेड़ पौधों की प्रजातियों से है। जैव विविधता को बनाये रखने के लिए यह महत्वपूर्ण है की हम अपनी धरती के पर्यावरण को बनाये रखे। जैव विविधता का संबंध मुख्य रूप से अलग अलग तरह के पेड़ पौधों और पशु पक्षियों का धरती पर एक साथ अपने अस्तित्व को बनाये रखने से है। लाखों विशिष्ट जैविक की कई प्रजातियों के रूप में पृथ्वी पर जीवन उपस्थित है और हमारा जीवन प्रकृति का अनुपम उपहार है। पेड़-पौधे, अनेक प्रकार के जीव-जंतु, मिट्टी, हवा, पानी, महासागर-पठार, समुद्र-नदियां इन सभी का संरक्षण जरुरी है क्योंकि ये सभी हमारे अस्तित्व एवं विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
दुनियाभर की 34 चिह्नित जगहों में से भारत में जैवविविधता के तीन हॉटस्पॉट हैं- जैसे हिमालय, भारत बर्मा, श्रीलंका और पश्चिमी घाट। यह वनस्पति और जीव जंतुओं के मामले में बहुत समृद्ध है और जैव विविधता के संरक्षण का कार्य करता है। पर्यावरण के अहम मुद्दों में से आज जैवविविधता का संरक्षण एक अहम मुद्दा है। जैविक विविधता के संवंर्धन और उसके संरक्षण की बड़ी चुनौती है साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों से लोगों की जरूरतों को भी पूरा करना होता है।
जैव विविधता सभी जीवों एवं पारिस्थितिकी तंत्रों की विभिन्नता एवं असमानता को कहा जाता है। हमारा जीवन प्रकृति की अनुपम देन है। हरे-भरे पौधे, विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु, मिट्टी, हवा, पानी, पहाड़, नदियां, समुद्र, महासागर आदि सब प्रकृति की देन है, जो हमारे अस्तित्व एवं विकास के लिये आवश्यक है। मरुस्थलों से लेकर महासागरों की गहराई तक विभिन्न आकार, प्रकार, रंग और रूपों में मानव विद्यमान है, जिनमें काफी विविधता होती है, जिसे हम जैव विविधता के रूप में जानते हैं।
जैव विविधता के हृास से प्राय: परितंत्र की उत्पादकता कम हो जाती है, जिसके कारण विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं को प्रदान करने संबंधी उनकी क्षमता भी कम हो जाती है। जिनका हम लगातार उपभोग करते हैं। इससे परितंत्र में अस्थिरता आती है और प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, सूखा और तूफान एवं मानव जनित दबावों जैसे प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से लड़ने की क्षमता भी कम हो जाती है।
वातावरण में तीव्र गति से होते नकारात्मक बदलाव के कारण बहुत से पेड़-पौधे और पशु-पक्षी विलुप्त हो चुके है जिससे जैव विविधता को बनाये रखने के स्तर में भी काफी गिरावट आई है। इसलिए यह जरुरी हो जाता है की मानव के अस्तित्व को बचाये रखने के लिए और अपने वातावरण की शुद्धता के लिए इन नकारात्मक बदलावों को काबू किया जाये ।
जैव विविधता वातावरण की शुद्धता को बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देते है। पशुओं और पौधों का प्रकृति ने असामान्य तरीके से बटवांरा किया है। कहीं ज्यादा तो कहीं कम। प्रकृति द्वारा किये इस असामान्य वितरण के पीछे मूल कारण है जलवायु का अनियमित होना। धरती के अलग अलग भागों का मौसम एक दूसरे से भिन्न है और इसी वजह से हर जगह का जीवन एक दूसरे से विविध है। वातावरण में भीषण बदलाव हुए जिसके कारण जैव विविधता को बनाये रखने में गिरावट आयी है । यह बिगड़ते हालात मनुष्य जीवन के लिए किसी भंयकर खतरे से कम नहीं है। भौगोलिक परिस्थितियों पर ध्यान देना जरूरी है ताकि जैव विविधता के लिए कोई संकट उत्पन्न न हो और जीव-जन्तुओं, पेड़-पौधों के जीवन पर भी किसी तरह का कोई खतरा नहीं आये।
जैव-विविधता से हमारे रोजमर्रा की जरूरतों यथा रोटी, कपड़ा, मकान, ईधन, औषधियों आदि आवश्यकताओं की पूर्ति होती है। यह पारिस्थितिक संतुलन को बनाये रखने तथा खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने में भी सहायक होती है। पर्यावरण संरक्षण, पारिस्थितिक स्थिरता, फसल उत्पादन में बढ़ोत्तरी के साथ-साथ तपन, बाढ़, सूखा, भूमि क्षरण आदि से बचाव के लिए जैव-विविधता संरक्षण समय की सबसे बड़ी जरूरत है।
वर्तमान में मनुष्य का तकनीक की तरफ इतना ज्यादा झुकाव हो गया है वह इसके दुष्परिणाम को भी नहीं समझना चाहता । मानव के लिए यह सही समय है कि वह इस संकट को गंभीरता से ले और वातावरण को शुद्ध बनाने का संकल्प ले। साफ सुथरा वातावरण ही समृद्ध जैव विविधता को बढ़ावा दे सकता है। हर एक वनस्पति तथा जीव को रहने योग्य बनाने में अलग-अलग उद्देश्य है। इसलिए हमें अपने वातावरण की शुद्धता को उच्च स्तर तक पहुँचाना है तो जैव विविधता के संतुलन को बनाये रखने पर अपना ध्यान केंद्रित करना होगा। जिससे मानव जाति को जीवनयापन में किसी तरह की कठिनाई का सामना न करना पड़े।
बाल मुकुन्द ओझा