केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने लिखी भगवंत मान को चिट्ठी, कहा, गरीबोंं के मामले में छोडें टैक्स
- आरडीएफ के रूप में लिया जा रहा 3 फीसदी टैक्स, केन्द्र सरकार ने उठाए सवाल
चंडीगढ़। (सच कहूँ/अश्वनी चावला) पंजाब में गरीबों को सब्सिडी वाली बांटी जाने वाली गेहूं पर ही पंजाब सरकार द्वारा लगातार टैक्स लिया जा रहा है, जिसे देखकर केन्द्र सरकार ने न सिर्फ हैरानी जताई है, बल्कि पंजाब सरकार को बकायदा चिट्ठी लिखकर कहा गया है कि कम से कम इस मामले में तो ‘रहम’ किया जाए। पंजाब सरकार द्वारा गेंहू की खरीद पर 3 फीसदी देहाती विकास फंड के रूप में टैक्स लिया जा रहा है। इस टैक्स द्वारा ही पंजाब सरकार को करोड़ों रूपये इकट्ठे हो रहे हैं, जबकि गेहूं के वितरण में पंजाब सरकार और केन्द्र सरकार को अपने-अपने सब्सिडी देकर कम रेट पर दिया ज रहा है। जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एक्ट के तहत केन्द्र सरकार द्वारा पंजाब में हर माह 1 करोड़ 50 लाख के लगभग लाभपात्रियों को 5 किलो गेहूं दी जा रही है।
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पंजाब में गेहूं की खरीद होने के चलते केन्द्र सरकार द्वारा अलॉट की जाने वाले गेंहू को पंजाब सरकार अपने गोदामों से ही सीधे लाभपात्रियोें को सप्लाई कर देती है। पंजाब में हर साल सैंकड़े करोड़ों रूपये की गेहूं पर सब्सिडी देकर 2 रूपये किलो के रूप में इन लाभपात्रियों को बांट दिया जाता है। इस सब्सिडी में पंजाब और केन्द्र सरकार अपना-अपना हिस्सा डालती है। पंजाब में गेहूं की खरीद करने मौके केन्द्र सरकार से 3 फीसदी टैक्स लिया जाता है, जिसे देहाती विकास फंड का नाम दिया गया है। पंजाब सरकार इस देहाती विकास फंड के रूपयों को गांवों की सड़कों और विकास कार्यों पर खर्च करती आ रही है।
केन्द्रीय खाद्य और सिविल सप्लाई मंत्री पीयूष गोयल ने सीएम मान को 15 नवम्बर 2022 को एक पत्र लिखा है कि पंजाब सरकार लगातार केन्द्र सरकार से 3 फीसदी आरडीएफ लेती आ रही है और अब खड़े बकाये की मांग कर रही है। इस सारे मामले को उनके विभागीय अधिकारियों द्वारा देखा गया है लेकिन फिर भी वह अपील करना चाहते हैं कि राष्ट्रीय खाद्य सुुरक्षा एक्ट के तहत जिन गरीबों या फिर वर्ग को सब्सिडी के तहत गेंहू दी जा रही है, उस तरह की गेहूं की खरीद पर कम से कम यह देहाती विकास फंड के रूप में टैक्स न लिया जाए। इससे आम जनता पर पड़ने वाला बोझ भी घटेगा। केन्द्रीय मंत्री के इस पत्र के आने के बाद पंजाब सरकार द्वारा अब तक वापिसी कोई जवाब नहीं भेजा गया है।
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