लॉकडाउन की गम्भीरता को समझना होगा

Lockdown in Haryana
जनता कर्फ्यू लगाने के पीछे मंशा यही थी कि लोग कम से कम संख्या में घरों से बाहर निकले। सार्वजनिक स्थलों पर भीड़-भाड़ कम से कम हो। लेकिन जनता कर्फ्यू की निर्धारित अवधि समाप्त होते ही काफी संख्या में लोग सड़कों दिखाई दिये। सरकार व स्थानीय प्रशासन ने जरूरी सेवाओं को खुला रखा है। लेकिन सरकार व पुलिस-प्रशासन के आग्रह के बावजूद लोग दिशा-निदेर्शों के पालन में घोर लापरवाही बरत रहे हैं। लोगों के असंयमित व्यवहार को देखते हुए सरकार को कई राज्यों में लॉकडाउन करना पड़ा। पंजाब और महाराष्ट्र सरकार ने अपने राज्यों में कर्फ्यू लगा दिया है।
बीती 22 तारीख को प्रधानमंत्री के आह्वान पर देशभर में जनता कर्फ्यू रहा। इस संकट के समय में देशसेवा में लगे डॉक्टरों, पुलिस कर्मियों, सफाई कर्मचारियों, मीडिया प्रतिनिधियों एवं अन्यों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए इसी दिन शाम पांच बजे पांच मिनट तक देशवासियों ने थाली, ताली, शंख, घंटी अपने-अपने तरीके से बजाई। समस्त देशवासी संकट काल में कार्यरत लोगों के प्रति अति कृतज्ञ दिखाई दिये। जनता कर्फ्यू लगाने के पीछे मंशा यही थी कि लोग कम से कम संख्या में घरों से बाहर निकले। सार्वजनिक स्थलों पर भीड़-भाड़ कम से कम हो। लेकिन जनता कर्फ्यू की निर्धारित अवधि समाप्त होते ही काफी संख्या में लोग सड़कों दिखाई दिये। सरकार व स्थानीय प्रशासन ने जरूरी सेवाओं को खुला रखा है। लेकिन सरकार व पुलिस-प्रशासन के आग्रह के बावजूद लोग दिशा-निदेर्शों के पालन में घोर लापरवाही बरत रहे हैं। लोगों के असंयमित व्यवहार को देखते हुए सरकार को कई राज्यों में लॉकडाउन करना पड़ा। पंजाब और महाराष्ट्र सरकार ने अपने राज्यों में कर्फ्यू लगा दिया है। साथ ही, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस महामारी से निपटने के लिए राज्य में सेना बुलाने के संकेत भी दिये। लेकिन देशवासी स्थिति की गंभीरता को समझने को तैयार नहीं है।
जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए उपाय के तौर पर जनता कर्फ्यू का आह्वान किया तो, कुछ लोगों ने इसका उचित अर्थ न समझते हुए रोजमर्रा के प्रयोग में आने वाली चीजों की जमाखोरी करना शुरू कर दी, जबकि जनता कर्फ्यू का मतलब है कि ये कर्फ्यू जनता का खुद पर लगाया गया एक प्रतिबंध था। इसके लिए पुलिस या सुरक्षाबलों की तरफ से कोई भी पाबंदी नहीं लगाई गई। लोग खुद ही अपने काम टाल सकते हैं और घर से बाहर निकलने से बचें, जबकि जो लोग आवश्यक सेवाएं उपलब्ध कराते हैं वे घर से काम के लिए निकल सकते हैं। वैसे ही लॉकडाउन का मतलब स्वयं अनुशासित और संयमित रहना है।
कोरोना वायरस तेजी से भारत में पैर पसार रहा है। हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि देश के 30 राज्यों के कुल 548 जिलों में पूर्ण और आंशिक लॉकडाउन किया जा चुका है। करीब 100 करोड़ आबादी इसके दायरे में है। लॉकडाउन के बावजूद यह दावा नहीं किया जा सकता कि कोरोना वायरस तीसरे चरण में नहीं पहुंचेगा। वायरस का सामुदायिक प्रसार नहीं होगा। वह चरण ही भारत के लिए जानलेवा साबित होगा, क्योंकि हमारे पास इलाज की व्यवस्था नहीं है। करीब 138 करोड़ के देश में सिर्फ 30,000 के करीब वेंटिलेटर ही हैं। कई चिकित्सा विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि यह बीमारी अभी बढ़ेगी, लिहाजा मौतें भी स्वाभाविक हैं, क्योंकि स्थानीय संक्रमण जारी है।
दरअसल भारत में लॉकडाउन देरी से घोषित किए गए हैं। अब भी लगभग आधे देश में लॉकडाउन लागू नहीं किया गया है। चूंकि राज्यों में सेवाओं, फैक्ट्रियों, निर्माण कार्यों को बंद अभी दो दिन पहले ही किया गया है, लिहाजा उनसे जुड़े मजदूर और अन्य लोग अपने गांवों को लौट गए हैं। जिस तरह यह जमात रेलगाड़ियों में ठुंसकर बैठी और यात्रा की, उससे आशंका पुख्ता होती है कि संक्रमण का सामुदायिक विस्तार होगा या हो रहा है। फिल्मी गायिका कनिका कपूर की महफिलों और कोरोना के संक्रमण को अभी हम नहीं भूले हैं। बेशक 63 लोगों के टेस्ट नेगेटिव आए हैं, लेकिन अभी 120 टेस्ट के नतीजे आने हैं। प्रख्यात हृदय रोग विशेषज्ञ डा. नरेश त्रेहन ऐसे लोगों को ‘देशद्रोही’ करार देते हैं, क्योंकि सामुदायिक प्रसार का संकटमय खतरा उन्हीं से गहराता है।
ऐसे कई मामले पंजाब, उत्तर प्रदेश और बिहार आदि राज्यों में सामने आए हैं। पंजाब में तो लॉकडाउन के बाद पूर्ण कर्फ्यू भी लागू कर दिया गया है। पुडुच्चेरी में भी कर्फ्यू घोषित किया गया है। कर्फ्यू में कोई ढील नहीं दी जाएगी। विशेष स्थितियां अपवाद हो सकती हैं। इटली, अमरीका, ब्रिटेन में हालात इसलिए भयानक हुए, क्योंकि उन देशों ने या तो लॉकडाउन नहीं किया अथवा देर से किया। नतीजतन इटली में मौत का आंकड़ा 5500 पार कर चुका है। अमरीका में भी करीब 400 मौतें हो चुकी हैं। भारत में भी लॉकडाउन व्यापक स्तर पर किया जा रहा है, ताकि व्यक्ति-दर-व्यक्ति कोरोना वायरस न फैल सके।
भारत में कोरोना की गिरफ्त में 511 से ज्यादा केस दर्ज किए जा चुके हैं और मौतें भी 10 हो गई हैं। डाक्टरों का मानना है कि इन आंकड़ों से हकीकत को नहीं जान सकते। अभी कई जांच के नतीजे आने हैं, लिहाजा संक्रमण के आंकड़े भी बढ़ेंगे। आगामी 15 दिन देश के लिए बेहद नाजुक हैं। शायद इसी के मद्देनजर संसद का बजट सत्र तय वक्त से पहले स्थगित किया गया है। दिल्ली हाईकोर्ट 4 अप्रैल तक बंद रहेगी। सर्वोच्च न्यायालय कुछ अहम मामलों की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही करेगा। वकीलों के चैंबर सील करने का भी निर्णय लिया गया है। शीर्ष अदालत ने जेल में सजा काट रहे कुछ कैदियों को परोल देने का भी फैसला दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टेड्रोस गेब्रियिसोस ने सोमवार को कहा कि कोरोनावायरस महामारी तेजी से बढ़ रहा है। हालांकि, हम इसकी ट्रैजेक्टरी को बदल सकते हैं। उन्होंने कहा कि इसके पहले मामले से एक लाख तक पहुंचने में 67 दिन का समय लगा है। दो लाख पहुंचने में 11 दिन और दो से तीन लाख पहुंचने में केवल चार दिन का समय लगा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने भी चिंता और गुस्सा जताया है कि अब भी लोगों ने लॉकडाउन को गंभीरता से नहीं लिया है। कृपया करके वे खुद को बचाएं और परिवार को भी बचाएं। राज्य सरकारें सख्ती से इसका पालन कराएं। प्रधानमंत्री ने टीवी चैनलों के मालिकों, समूह संपादकों और पत्रकारों से भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की। यूपी में नोएडा पुलिस ने धारा 144 तोड़ने के आरोप में 96 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया है। साथ ही 1995 वाहनों पर चालानी कार्रवाई की गयी हैं। जनता पुलिस-प्रशासन को सख्ती बरतने पर मजबूर कर रहे हैं। जाहिर है कि हालात सामान्य नहीं हैं। कोरोना संक्रमितों के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार केंद्र वैसा हर कार्य कर रहा है, जो वह कर सकता है। लेकिन, लोगों द्वारा गैरजिम्मेदार ढंग से व्यवहार करते हुए देखना दुखद ही है। सहयोग बहुत महत्वपूर्ण है। सामाजिक दूरी बरतना एकमात्र वैसा असरदार उपाय है, जो इस वायरस को बढ़ने से रोक सकता है। पर हम आज भी लोगों को यात्राएं करते हुए देख रहे हैं और सड़कों पर भीड़भरी आवाजाही बदस्तूर जारी है। इसे रुकना ही चाहिए। प्रत्येक देशवासी को यह समझना होगा कि ये संकट का समय है, ये आपदा का वक्त है। ऐसे में संयम बरतकर ही इससे निपटा जा सकता है। सरकार के दिशा-निदेर्शों का पालन करना हर नागरिक की जिम्मेदारी है। और एक जिम्मेदार नागरिक के नाते हमें संकट काल में पूर्ण संयम एवं अनुशासित व्यवहार का परिचय देना चाहिए।

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