लापरवाही नहीं, जिम्मेदारी समझें

Understand responsibility, not negligence
भारत में कोरोना के जब दो-चार मरीज मिले थे, तब करोड़ों भारतीय सोशल मीडिया पर व्यंग्य भरे वीडियो बना और देख रहे थे। हालांकि उस वक्त चीन में 2000 से अधिक मौतें हो चुकी थी और वायरस अन्य देशों में तेजी से बढ़ रहा था। किसी ने सोचा नहीं होगा कि इटली जैसे देश के साथ भी इतनी बड़ी त्रासदी होगी और अमेरिका में भी मृतकों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है, फिर भी भारतीय लोगों की हंसी लापरवाही भरी है।  देश भर में 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लगाया गया। अधिकतर लोगों ने इस मुहिम में योगदान दिया लेकिन लॉकडाउन के दौरान वही कुछ किया जो भारतीय लोगों के बारे में अक्सर कहा जाता है।
आखिरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लोगों की लापरवाही के लिए ट्वीट करना पड़ा। इसी तरह पंजाब व महाराष्ट्र सरकार को कर्फ्यू लगाने की नौबत आई। निडरता व लापरवाही में बहुत बड़ा अंतर है। लापरवाही इंसानियत के खिलाफ अपराध है। भले ही भारतीयों की परम्परा ज्यादा घुलने वाली है, इसीलिए देशवासी यदि अपनी सुरक्षा के लिए सरकार के दिशा-निर्देशों की पालना नहीं कर सकते तब यह बात बहुत हानिजनक साबित हो सकती है। लॉकडाउन या कर्फ्यू कोई मजाक नहीं बल्कि यह अपनी सूझबूझ से निर्णय और स्थिति को समझने का वक्त है। 130 करोड़ की जनसंख्या वाले देश और इटली में बहुत अंतर है।
भारत उदारवाद व मानवतावाद पर आधारित देश है, लेकिन देशहित के लिए सख्ती भी आवश्यक है। सभी देशवासियों को इस मामले में अपनी नैतिक व कानूनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। सोशल मीडिया का दुरुपयोग बंद करना चाहिए। सोशल मीडिया पर यह प्रचार भी किया जा रहा है कि वायरस इतना खतरनाक नहीं, यह राजनीतिक नाटक है या इसका इलाज देसी जुगाड़ से हो सकता है, डॉक्टर लूट रहे हैं या मास्क, सैनेटाईटजर बनाने वाली कंपनियां लूट रही, यह कहने वालों को इटली और चीन से लौटे लोगों से वहां की स्थिति को जान लेना चाहिए। पाबंदी कड़वी होती है लेकिन कड़वी दवा ही असर करती है। लापरवाही के कारण हम उन डाक्टरों, पुलिस कर्मचारियों, प्रशासनिक आधिकारियों की मेहनत पर पानी फेर देंगे, जो बहादुरी से दिनरात एक कर कोरोना के साथ लड़ रहे हैं।

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