इंडियन रेलवे सर्विस के अधिकारी एके श्रीवास्तव सुरक्षित निकाले
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नवनियुक्त उपायुक्त निशांत कुमार यादव और मेडिकल टीम की सुझबूझ के चलते कटने से बचा पाँव
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राहत एवं बचाव अभियान हुआ पूरा
सच कहूँ/संजय मेहरा, गुरुग्राम। यहां सेक्टर-109 स्थित चिंतल पैराडिसो रिहायशी सोसायटी में बहुमंजिला ईमारत में छह मंजिल का लैंटर गिरने से हुए हादसे में 16 घंटे लगातार बचाव ऑपरेशन चलाया गया। इस घटना में दो महिलाओं की मृत्यु हो गई, जबकि दो व्यक्तियों को जीवित बाहर निकाल लिया गया। इनमें एक ए.के. श्रीवास्तव इंडियन रेलवे सर्विस के अधिकारी हैं। बता दें कि वीरवार देर सायं सूचना आई थी कि गुरुग्राम-द्वारका एक्सप्रेस-वे के पास सेक्टर-109 में चिंतल पैराडिसो रिहायशी सोसायटी में छठी मंजिल पर डाइनिंग रूम की छत गिर गई और इसी प्रकार पहली मंजिल(Accident in Gurugram) तक छत गिरती चली गई।
इसकी सूचना मिलते ही नवनियुक्त उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने तत्काल वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों तथा सिविल डिफेंस की टीम को मौके पर भेजा। इस दौरान उन्होंने एनडीआरएफ और एसडीआरएफ को भी सूचित करते हुए मौके पर पहुंचने के लिए कहा। इस बीच गुरुग्राम पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीमें भी वहां पहुंच गई। उन्होंने एक महिला को उसी समय जीवित निकाल लिया। इसके बाद पता चला कि तीन लोग और मलबे में फंसे हुए हैं, जिनको निकालने के लिए राहत व बचाव कार्य तत्काल शुरू किए गए।
उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने मौके पर सोसायटी के अन्य लोगों से भी बातचीत की और उनकी हिम्मत बंधाई। देर रात बिल्डिंग की दूसरी मंजिल से एक महिला को मृत निकाला गया। इस हादसे की जांच उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने गुरुग्राम के अतिरिक्त जिलाधीश विश्राम कुमार मीणा को सौंपी है।
मलबे में दबे श्रीवास्तव का पांव काटने की दी थी सलाह
हादसे के बाद पहली मंजिल(Accident in Gurugram) पर फंसे ए.के. श्रीवास्तव तथा एक महिला को निकालने का कार्य जारी रहा। ए.के. श्रीवास्तव का दाहिने पांव पर छत का लेंटर सीधा गिर गया था, जिसके कारण वे निकल नहीं पा रहे थे। मलबा इतना ज्यादा था कि उसे उठाना भी कठिन था। इस बीच एक सुझाव यह आया कि श्रीवास्तव के पांव को काटकर उन्हें बाहर निकाल दिया जाए। उपायुक्त ने सिविल सर्जन की टीम को इस पहलू पर विचार करने के लिए कहा। जिस पर टीम ने पांव काटना मुनासिब नहीं समझा। फिर उपायुक्त ने निर्णय लिया कि जितना मलबा हटाया जा सकता है उसे हटाया जाए। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने श्रीवास्तव को आईवी फ्ल्यूड और सेडिशन की दवाएं देकर रखीं, ताकि उन्हें दर्द महसूस ना हो।
नारियल तेल से चिकना करके निकाला पांव
सुबह तक मलबा हटाने का कार्य चलता रहा और एक बार फिर एनडीआरएफ की टीम ने श्रीवास्तव के पांव को काटने का सुझाव दिया। इसके बाद उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने सिविल सर्जन को मौके पर पहुंचकर तमाम परिस्थितियों को देखते हुए स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश दिए। सिविल सर्जन व उनकी टीम ने देखा कि श्रीवास्तव का दांया पांव ठीक है। उसमें कोई फ्रेक्चर भी नहीं है। अगर पांव काटा जाता है तो सदमे में ए.के. श्रीवास्तव की जान भी जा सकती है। ऐसी स्थिति में उपायुक्त ने फिर से जैसे-तैसे पांव को निकालने के निर्देश दिए।
सिविल सर्जन व उनकी टीम ने उन्हें सेडेटिव देकर मलबे के नीचे से पांव को खींचकर बाहर निकालने की योजना बनाई, लेकिन उनका जूता उसमें आड़े आ रहा था। पांव के हिस्से को नारियल तेल से चिकना करके उनके पांव को सुरक्षित निकालने में सफलता हासिल की। श्रीवास्तव पहले से ही मैक्स अस्पताल में इलाज करवा रहे थे, इसलिए उन्होंने उसी अस्पताल में इलाज के लिए जाने की इच्छा जाहिर की, अन्यथा सिविल सर्जन की टीम ने ईलाज के पूरे प्रबंध कर लिए थे।
सूझबूझ से बच गई एके श्रीवास्तव की जान
इसके बाद पहली मंजिल(Accident in Gurugram) पर फंसी महिला को निकालने का कार्य शुरू किया गया, जोकि चिकित्सकों द्वारा मृत घोषित की गई। इस तरह से वीरवार शाम से 16 घंटे के निरंतर राहत व बचाव कार्य चलाकर बिल्डिंग में फंसे चार लोगों में से दो को जीवित बाहर निकालने में सफलता मिली। उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने सोसायटी के निवासियों से बात की। उन्हें विश्वास दिलाया कि इस मामले में दोषियों के खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने इस दौरान सोसायटी के अन्य निवासियों से धैर्य बनाए रखने की भी अपील की।
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