वेब डिजाइनिंग में आजमाएं करियर, बनें आत्मनिर्भर

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सच कहूँ करियर डेस्क | सूचना क्रांति का जिस क्षेत्र ने सर्वाधिक लाभ उठाया है, उनमें से एक है वेब डिजाइनिंग का क्षेत्र। डब्ल्यू डब्ल्यू डब्ल्यू, यानी वर्ल्ड वाइड वेब नामक क्रांति ने दुनिया को बदल कर रख दिया है। एक वेबसाइट दुनिया में क्या बदलाव ला सकती है इसे बखूबी कर दिखया है, गूगल, अमेजन और फेसबुक जैसी वेबसाइट ने। आप चाहे विकिपीडिया का नाम लें, चाहे फ्लिपकार्ट, चाहे न्यूज की दूसरी वेबसाइट का। इसने नए युग में नई क्रांति को जन्म दिया है। छोटा बिजनेस हो, बड़ा बिजनेस हो, किसी आम या खास इंडस्ट्री से संबंधित कंटेंट की वेबसाइट हो, सामान की डिलीवरी हो या फिर कोई और काम, लोगों की जिंदगी में एक वेबसाइट ने आमूलचूल परिवर्तन लाया है।

वस्तुत: यह कहने में हमें संकोच नहीं होना चाहिए कि शिक्षा तक की ट्रेडिशनल पद्धति को वेबसाइटों ने ना केवल बदला है, बल्कि इसकी बुनियाद को बदलने में भी अहम भूमिका निभाई है।अब जरा सोचिए कि अगर इसका प्रभाव इतना व्यापक है तो इस क्षेत्र में कार्य करने वाले लोग महत्वपूर्ण क्यों नहीं होंगे? सच बात तो यह है कि वेब डिजाइनर पिछले कई दशकों से महत्वपूर्ण बने हुए हैं और आज भी इनका महत्व कम नहीं हुआ है। वेब डिजाइनिंग में आप सामान्य एचटीएमएल वेबसाइट से लेकर, स्टैटिक आॅपरेशन एवं डायनेमिक बिहेवियर वाली वेबसाइट बनाते हैं और उसकी सहायता से अपने कस्टमर को लाभ भी पहुंचाते हैं।

वेब डिजाइनिंग के कई भाग हैं डिजाइनिंग पार्ट

किसी वेबसाइट का ले आउट कैसा रहना चाहिए, इसका यूजर इंटरफेस किस डिजाइन से बेहतर होगा, इसे डिसाइड करने के लिए आप इसकी स्केचिंग करते हो। साथ में किसी सॉफ्टवेयर में इसका प्रोटोटाइप भी बनाते हो। कई लोग इसे तकनीकी लैंग्वेज में पीएसडी बनाना भी बोलते हैं। यहां डिजाइन फाइनल होती है और उसके बाद ही अगले स्टेप की तरफ कोई बढ़ता है। अगर आप इस क्षेत्र में कॅरियर बनाना चाहते हैं तो एडोबी का फोटोशॉप, इलस्ट्रेटर, कोरल ड्रा जैसे सॉफ्टवेयर में आपको सिद्धहस्त होना चाहिए। इसे आप एक लेवल पर ग्राफिक डिजाइनर भी बोल सकते हैं और आप जितनी बेहतरीन डिजाइन बनाएंगे, वेबसाइट उतनी ही शानदार तरीके से तैयार होगी। इस फील्ड में उपरोक्त सॉफ्टवेयर की महारत रखने वाले लोग न केवल वेबसाइट का लेआउट बनाते हैं, बल्कि लोगों से लेकर तमाम इमेज वर्क भी इनके हाथ में होता है।

एचटीएमएल, सीएसएस की जानकारी

इसे फ्रंट एंड कोडिंग भी बोल सकते हैं। मतलब सामने वेबसाइट जो दिखती है, उसकी कोडिंग। ब्राउजर में जब आप कोई भी यूआरएल डालते हैं, तो जो फ्रंट एंड नजर आता है वह एचटीएमएल पर चलता है। एचटीएमएल मतलब हाइपरटेक्स्ट मार्कअप लैंग्वेज। इसके कई वर्जन आ चुके हैं और हाल-फिलहाल एचटीएमएल-5 पर कार्य हो रहा है। इसी प्रकार एचटीएमएल को खूबसूरत बनाने का काम करती है स्टाइलशीट जिसको सीएसएस (कैस्केडिंग स्टाइल शीट) बोलते हैं।

यह दोनों कोडिंग लैंग्वेज ही होती हैं और इन्हें आप एक तरह से स्क्रिप्टिंग भी बोल सकते हैं। वेबसाइट डिजाइन करने में जावास्क्रिप्ट भी यूज होती है, जो खासकर इवेंट के लिए प्रयोग की जाती है। जैसे माउस क्लिक करने पर क्या एक्शन होना चाहिए, माउस रोलओवर करने पर क्या एक्शन होना चाहिए, स्क्रोलिंग पर क्या एक्शन होना चाहिए, यह कार्य जावास्क्रिप्ट करती है। इसकी जानकारी आपको एचटीएमएल, सीएसएस, जावास्क्रिप्ट में मिलती है। सामान्य तौर पर इसे आसान कोडिंग लैंग्वेज कहा जाता है और आप इसमें भी महारत हासिल कर सकते हैं।

कोडिंग जोन

यह ऐसा क्षेत्र है जो असली प्रोग्रामिंग की दुनिया में बदलाव लाता है। एक सामान्य वेबसाइट और गूगल में क्या अंतर है यह डिफाइन करता है कि इसमें कोडिंग किस स्तर की हुई है? एक सामान्य एचटीएमएल वेबसाइट और फेसबुक में क्या अंतर है, एक सामान्य वेबसाइट और अमेजन में क्या अंतर है, यह कोडिंग डिसाइड करती है। कहने का तात्पर्य यह है कि मनुष्य ऊपर से जैसा भी दिखता हो, किंतु उसके मस्तिष्क में कितनी नसें हैं, ब्लड सर्कुलेशन किस प्रकार होता है यह आप प्रोग्रामिंग समझ सकते हैं। कोडिंग लैंग्वेज किसी भी वेबसाइट को नियंत्रित करती है।

वह वेबसाइट चाहते गूगल जैसा कोई सर्च इंजन हो, फेसबुक जैसा कोई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हो या फिर फ्लिप्कार्ट जैसी कोई शॉपिंग वेबसाइट हो, कोडिंग ही यह तमाम चीजें तय करती है। इसमें पीएचपी से लेकर जावा और एएसपी से लेकर पाइथन और सी प्लस प्लस जैसी हेवी लैंग्वेज होती हैं, जिसके ऊपर कोई भी फंक्शन कार्य करता है। इसमें अगर आप महारत हासिल करते हैं, तो वेबसाइट में बड़ी-बड़ी फंक्शनैलिटी ऐड कर सकते हैं, नयी खोज कर सकते हैं।

वेब कंसलटेंसी

अगर आप ऊपर में से तीन चीजों में से कुछ नहीं करते हैं तो भी आपको निराश होने की जरूरत नहीं है। आप तमाम सीएमएस में से किसी एक सीएमएस में महारत हासिल करके लोगों को कंसल्टेंसी दे सकते हैं। बहुत सारी ऐसी कंपनियां हैं जो ड्रैग एंड ड्रॉप पर चलती हैं, किंतु लोगों को उसकी जानकारी नहीं होती है। जैसे वर्डप्रेस, ब्लॉगर, टंबलर इत्यादि। तो किस प्रकार से कोई वेबसाइट बनती है, कार्य करती है, आपको इसकी जानकारी देनी होती है, जो सामान्यत: उसके ट्यूटोरियल में दिया भी होता है। इसे आप यूट्यूब से भी स्टेप बाय स्टेप सीख सकते हैं और अच्छा खासा पैसा भी कमा सकते हैं।

स्किल्स

इस क्षेत्र में सफलता की सीढ़ी चढ़ने के लिए सबसे पहले व्यक्ति का रचनात्मक व अपने काम के प्रति रूचि होना बेहद आवश्यक है। इसमें शैक्षणिक योग्यता से अधिक जरूरी है कि आपको हरदम कुछ नया करने की चाहत होनी चाहिए। उसे न सिर्फ कंप्यूटर की जानकारी हो, बल्कि नए टेंड को देखते हुए वेबसाइट डिजाइन करना आना चाहिए। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखे कि कभी भी दूसरी वेबसाइट की कॉपी न करें। एक वेबसाइट डिजाइनर को वेबसाइट डिजाइनिंग के दौरान काम आने वाली हर तकनीक का भली-भांति ज्ञान होना चाहिए।

ये होनी चाहिये योग्यता

वेब डिजाइनिंग के क्षेत्र में किसी विशेष योग्यता की आवश्यकता नहीं होती। आप 12वीं के बाद वेब डिजाइनिंग में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा व पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा कोर्स करके अपना कदम आगे बढ़ा सकते हैं।

संभावनाएं

वेब डिजाइनिंग के क्षेत्र में काम की कोई कमी नहीं है। जिस तरह हर छोटी-बड़ी कंपनियां खुद ही आॅनलाइन उपस्थिति दर्ज कराने की चाह रखती है, उसे देखते हुए वेब डिजाइनर्स के पास काम बहुत है। इस क्षेत्र की खासियत यह है कि आप सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि विदेशी क्लाइंट्स के लिए भी काम कर सकते हैं। एक वेब डिजाइनर कई तरह की मल्टी नेशनल कंपनियों से लेकर डिजाइन स्टूडियो, मार्केटिंग फर्म, पब्लिशिंग हाउस, मीडिया हाउसेज, एड कंपनियों, वेब प्रॉडक्शन कंपनियों के साथ काम कर सकते हैं। वहीं इस क्षेत्र में फ्रीलांसिंग के भी काफी अवसर हैं। इसके अतिरिक्त आईटी सेक्टर में भी एक वेब डिजाइनर काम कर सकता है।

प्रमुख संस्थान

  •  इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली। 
  •  जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली। 
  •  नेशनल इंस्टीटयूट आॅफ डिजाइन, अहमदाबाद। 
  •  दिल्ली स्वरोजगार समिति, नई दिल्ली। 
  •  अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई। 
  •  माखनलाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी, भोपाल। 

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