मेक अमेरिका ग्रेट अगेन नारे पर सवार ट्रंप

Donald Trump Wearing Mask

अरविंद जयतिलक ट्रंप सरकार ने एक कर कटौती पारित भी की लेकिन उसका सर्वाधिक फायदा धनिकों को मिला। ट्रंप ने नैतिक मूल्यों की दुहाई देते हुए प्रशासन में पारदर्शिता और ईमानदारी को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाने का आह्वान किया था। वाशिंगटन डीसी में फैले भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकने का संकल्प किया था। लेकिन खुद ट्रंप के दर्जन भर सहयोगियों पर गंभीर आरोप है। नॉनपार्टिसन एथिक्स वॉचडाग्स ने ट्रंप और उनके प्रशासन के मेंबरों और उनके निकट संबंधियों पर गंभीर आरोप लगाया है।

मेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव की दुंदुभि बज चुकी है। चुनाव तीन नवंबर को होंगे। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए यह चिंता का विषय है कि उनकी पार्टी का गढ़ माने जाने वाले टेक्सास, जार्जिया और आयोवा जैसे राज्यों में वे अपने प्रतिद्वंदी और डेमोक्रेट्स उम्मीदवार जोसफ बिडेन से पिछड़ रहे हैं। टेक्सास रिपब्लिकन पार्टी का हमेशा से मजबूत गढ़ रहा है। 1976 से अब तक उसे किसी भी चुनाव में पराजय नहीं मिली। इसी तरह जार्जिया में भी 1992 के बाद रिपब्लिकन पार्टी को कभी हार का सामना नहीं करना पड़ा। लेकिन अब ट्रंप का पिछड़ना दर्शाता है कि उनके प्रति लोगों की नाराजगी बढ़ी है। डेमोक्रेट्स इसे मुद्दा बना अपने विजय का ऐलान कर रहे हैं। बहरहाल ट्रंप की चुनावी टीम उनके चुनाव प्रचार मुहिम को परवान चढ़ाने के लिए आपरेशन मागा यानी मेक अमेरिका ग्रेट अगेन (अमेरिका को फिर से महान बनाने) का दांव चल दिया है।

यह दांव ट्रंप के लिए कितना फायदेमंद होगा यह तो वक्त बताएगा लेकिन चुनाव से ठीक पूर्व ट्रंप का राष्ट्रवादी रुख अख्तियार करना रेखांकित करता है कि वे राष्ट्रवाद की भावना का उबाल पैदा कर चुनाव जीतना चाहते हैं। यहीं नहीं उनकी मंशा इस मसले पर अपने प्रतिद्वंदी जोसफ बिडेन को अपने ही अखाड़े में खींच लाने की भी है। किंतु ऐसा हो पाएगा इसमें संदेह है। बहरहाल पहली प्रेसिडेंसिल बहस में जिस तरह ट्रंप और डेमोक्रेट्स उम्मीदवार जोसेफ बिडेन के बीच तल्ख अंदाज में एकदूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप हुए हैं और कोरोना, सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति, अर्थव्यवस्था, अश्वेतों से भेदभाव, आयकर चोरी, कानून-व्यवस्था और जलवायु परिवर्तन जैसे मसले पर ‘शट अप’ ‘तू बेवकूफ’ ‘तू जोकर’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल हुआ है, उससे साफ है कि इस चुनाव में व्यक्तिगत हमले तेज होंगे। मौजूदा परिस्थितियों पर गौर करें तो राष्ट्रपति ट्रंप कई मुद्दे पर घिरे हुए हैं। उनसे पूछा जा रहा है कि विकसित देश होने के बावजूद भी अमेरिका में कोरोना से दो लाख से अधिक लोगों की मौत क्यों और कैसे हुई।

उल्लेखनीय है कि अमेरिका में कनाडा से दोगुना और जर्मनी से पांच गुना अधिक लोगों की मौत हुई है। हांलाकि ट्रंप का कहना है कि अगर उनकी जगह जोसफ बिडेन राष्ट्रपति होते तो अमेरिका में कोरोना से मरने वाले लोगों की तादाद दो करोड़ से अधिक होती। ट्रंप द्वारा सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर भी जोसफ बिडेन उनपर हमलावर हैं। उनका कहना है कि दो करोड़ लोगों के स्वास्थ्य सेवा बीमा का मामला अदालत में है। क्या होगा अगर ट्रंप द्वारा नामित जज इस बीमा को खत्म करने का फैसला सुना देते हैं। अश्वेत फ्लॉयड की हत्या को भी मुद्दा बनाकर ट्रंप को घेरने की कोशिश हो रही है। बिडेन का आरोप है कि ट्रंप सरकार शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य और नौकरी में अश्वेतों से भेदभाव कर रही है। हालांकि जोसफ बिडेन पर भी आरोप है कि उन्होंने 1994 में अश्वेत अमेरिकीयों के लिए अपशब्द कहे थे। ट्रंप पर आयकर चोरी का आरोप है। 2016 के चुनाव में भी टैक्स रिटर्न का यह मुद्दा खूब उछला था। इस मुद्दे को फिर भुनाने की कोशिश हो रही है। न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के जरिए दावा किया जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले 15 सालों में से 10 साल कोई संघीय आयकर जमा नहीं किया। हालांकि ट्रंप ने इसे खारिज कर दिया है।

जोसफ बिडेन ने ट्रंप से सवाल किया है कि दक्षिणी सीमा पर महान दीवार बनाने और उसके लागत की कीमत मैक्सिको से वसूलने के वादे क्यों नहीं पूरे हुए। उल्लेखनीय है कि ट्रंप सरकार ने मैक्सिको से लगी 1984 मील की सीमा पर सिर्फ 308 मील की दीवार बनाई है। इनमें से भी अधिकांश निर्माण मैक्सिको-अमेरिका के बीच बने बैरियर को व्यवस्थित करने के लिए किए गए हैं। ट्रंप ने अपने घोषणापत्र में ऐलान किया था कि वे अमेरिका से अवैध प्रवासियों की तलाश कर उन्हें बाहर का रास्ता दिखा देंगे। लेकिन सच्चाई यह है कि ट्रंप सरकार अभी तक सिर्फ 8 लाख प्रवासियों को ही निर्वासित किया है। जबकि यह संख्या इससे कई गुना अधिक है।

जुलाई, 2016 में ट्रंप ने एक चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि जब वे सत्ता में आएंगे तब अमेरिका की कानून-व्यवस्था दुनिया भर के लिए नजीर होगी। लेकिन चार वर्ष बाद अगस्त, 2020 में वे खुद कहते सुने गए कि ‘सड़कों पर हिंसा व खतरा है।’ उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का उत्तरदायित्व है कि अपने नागरिकों की रक्षा करे। जो सरकारें ऐसा नहीं करती वह नेतृत्व करने के अयोग्य हैं। अब जोसफ बिडेन उन्हीं के इस कथन को हथियार बना उन्हें लहूलुहान कर रहे हैं। ट्रंप पर कर्ज में डूबे छात्रों को उबारने, ऋण अदायगी की शर्तों को बदलने और लोक सेवा ऋण माफी कार्यक्रम को रद्द करने का भी दबाव है। विपक्ष इसे मुद्दा बना रहा है।

ट्रंप ने वादा किया था कि वे ओबामाकेयर को रद्द करके उसकी जगह बेहतरीन और किफायती स्वास्थ्य कार्यक्रम लांच करेंगे। लेकिन अभी तक वे अपने वादे की कसौटी पर खरा नहीं उतरे। नतीजा अमेरिका में बिना स्वास्थ्य बीमा के लोगों की तादाद बढ़ रही है और चार लाख से अधिक बच्चे बिना बीमा की जद में हैं। ट्रंप ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में यह भी ऐलान किया था कि वे युवाओं को रोजगार देने वाले अमेरिका के अब तक के सबसे श्रेष्ठ राष्ट्रपति साबित होंगे। लेकिन वे अपने को सर्वश्रेष्ठ साबित करने में विफल रहे। सच तो यह है कि वे पूर्ववर्ती ओबामा सरकार के मुकाबले रोजगार देने के मामले में आगे जाना तो दूर उल्टे फिसड्डी ही साबित हुए हैं। एक आंकड़े के मुताबिक जब से राष्ट्रपति ट्रंप ने पद संभाला है 50 लाख से भी कम लोग नौकरी में हैं। यह अब तक का सबसे खराब रिकार्ड है। इधर कोरोना काल ने हालात और बदतर किए हैं। करोड़ो युवाओं की नौकरी और रोजगार खत्म हुए हैं और अर्थव्यवस्था रसातल में है। सितंबर 2017 में ट्रंप ने वादा किया था कि समाज के मध्यम वर्ग के लिए करों में कटौती करेंगे।

ट्रंप सरकार ने एक कर कटौती पारित भी की लेकिन उसका सर्वाधिक फायदा धनिकों को मिला। ट्रंप ने नैतिक मूल्यों की दुहाई देते हुए प्रशासन में पारदर्शिता और ईमानदारी को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाने का आह्वान किया था। वाशिंगटन डीसी में फैले भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकने का संकल्प किया था। लेकिन खुद ट्रंप के दर्जन भर सहयोगियों पर गंभीर आरोप है। नॉनपार्टिसन एथिक्स वॉचडाग्स ने ट्रंप और उनके प्रशासन के मेंबरों और उनके निकट संबंधियों पर गंभीर आरोप लगाया है। यही नहीं मैनहट्टन जिला अटार्नी भी कह चुका है कि लंबी आपराधिक आचरण के लिए ट्रंप और उनकी कंपनी का जांच कर रहा था। जोसफ बिडेन इन मुद्दों को हवा दे ट्रंप पर हमलावर हैं। देखना दिलचस्प होगा कि इन आरोप-प्रत्यारोपों के बीच अमेरिकी चुनाव का ऊंट किस करवट बैठता है।

 

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