30 सितंबर को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और जो बाइडेन के बीच पहली डिबेट हुई। जिस डिबेट को देखकर यकीनन ऐसा लगा कि अमेरिका में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार आजकल भारतीय न्यूज चैनलों पर होने वाली डिबेट्स को देख रहे हैं और उसकी नकल भी कर रहे हैं क्योंकि 90 मिनट की बहस में ट्रंप और बाइडेन लगातार एक-दूसरे पर निजी हमले ही करते रहे। दोनों उम्मीदवार बहस के लिए तय किए गए छह मुद्दों से दूर रहे। जैसा शोर कि अक्सर भारतीय न्यूज चैनलों की डिबेट्स में देखने को मिलता है।
अमेरिकी मीडिया के मुताबिक ट्रंप ने बाइडेन को 73 बार टोका, उन्हें सही तरीके से जवाब देने का मौका ही नहीं दिया। वैसे इस डिबेट में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बातें सुनकर भारतीयों को बड़ी निराशा हुई क्योंकि इस बार अमेरिका में हुई चुनावी चर्चा में ट्रंप ने भारत पर बड़े आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि अमेरिका कोरोना से मौत के सही आंकड़े दे रहा है लेकिन चीन, रूस और भारत सही आंकड़े नहीं दे रहे हैं, यानी ट्रंप ने उस चीन को भारत के बराबर मान लिया, जिसने पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का संक्रमण फैलाया व ट्रंप इतने पर ही नहीं रूके, उन्होंने जलवायु परिवर्तन के समझौते पर भी भारत पर आरोप लगाए।
बहरहाल कोरोना संक्रमण के शुरूआती दौर में भारत ने अमेरिका को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा दी थी तब ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत की बड़ी तारीफ की थी, लेकिन जब कोरोना पर अमेरिका के सामने जवाब देने का समय आया तो ट्रंप चीन और रूस के साथ भारत का नाम जोड़ने से नहीं चूके। जो बेशक ही आपत्तिजनक हैं। वैसे भारत को अमेरिका से रिश्ते बढ़ाने चाहिए थे परन्तु भारत के प्रधानमंत्री इन रिश्तों को ट्रंप के साथ दर्शाने की भूल कर गए जोकि सही नहीं है, अब अमेरिका में जनता जो बाइडेन को पसंद कर रही है और ट्रंप अगर सत्ता से चले जाते हैं तब वह जाते-जाते भारत की छवि खराब कर के जा रहे हैं। भारतीय मीडिया भी बहुत से मुद्दोें पर दोषी है यहां पत्रकारिता में व्यक्तियों पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है जबकि देशों की संस्कृति-मुद्दे, इतिहास, समाज को जोड़ा जाना चाहिए।
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