Source of inspiration: जीवोद्धार यात्रा के दौरान पूजनीय बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज श्री गंगानगर में पधारे हुए थे। किसी सेवा संस्था का मुखिया मेहर चंद नामक एक व्यक्ति आप जी के पास आया और सत्संग के दौरान आप जी से प्रेमपूर्वक सेवा मंजूर करवा ली। मेहर चंद के साथ कुछ और लोग भी आए हुए थे। उस समय पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज सत्संग फरमा रहे थे। बिना सेवा लिए ही आप जी ने खुश होकर उन लोगों को एक सौ रूपये दिए। सच्चे फकीर के दर्शन पाकर उन सभी पर गहरा प्रभाव पड़ा। सत्संग के दौरान आप जी ने भारी संख्या में आई हुई साध-संगत को बुराईयों को त्यागने का संदेश देते हुए समझाया, ‘‘फकीरों को दुनिया से कुछ भी लेना नहीं होता। किसी न किसी बहाने हकदार जीवों को काल से बचाते हैं। Shah Satnam Ji
ऐ इन्सान! जे तूं परमेश्वर दा नाम जपें ते खूबसूरत चन्न वरगे सतगुरू को देखें, जे रात नूं तूं ना सोवें, तां तैनू अमर पद्दवी दा खजाना दिस्स पवे। अक्खां खुल जाण। ते तूं उस नूर नूं देख सकें।’’ समस्त साध-संगत पूजनीय शाह मस्ताना जी महाराज का आध्यात्मिक सत्संग सुनकर मंत्रमुग्ध हो रही थी। नाम की बख्शिश के समय श्री मेहर चंद भी अपने कुछ साथियों के साथ नाम-शब्द लेने वालों में आकर बैठ गया। मेहर चंद के मन में प्रश्न उठा कि उसने एक सन्यासी से पहले ही नाम लिया हुआ है। जब नाम-शब्द देने का समय आया तो मेहर चंद को उठाकर बाहर भेज दिया गया, वह बहुत ही निराश हुआ। उसके नाम लेने की तड़प और बढ़ गई।
प्रार्थना करने से मन की मैल धुल गई। तब उसको नाम लेने वाले जीवों में बैठा दिया गया। नाम देते समय सभी को आप जी ने समझाया कि जो मांस खाते हैं उनको मांस का बदला मांस देना पड़ेगा। शराब बिल्कुल नहीं पीएं, ये नर्कों की नानी है। पराई स्त्री को मां तथा बहन समझो। स्त्रियां पराये मर्द को बाप व भाई समझें। अब जो नाम आपको दिया है, उसे जपें। आगे से मांस, शराब, पर-स्त्री, पर-मर्द का परहेज है। भक्त मेहर चंद ने आप जी से अपने घर चरण टिकाने की प्रार्थना की। उसकी प्रार्थना को स्वीकार करते हुए आप जी उसके निवास स्थान पर जा पधारे।
उस समय घर में मेहर चंद की धर्मपत्नी ज्वर से पीड़ित थी। आप जी ने अपने कर-कमलों से उसे एक तरबूज का टुकड़ा खाने को दिया। थोड़ी देर बाद भक्त मेहर चंद की धर्मपत्नी का रोग ठीक हो गया और वह खुशी के साथ साध-संगत की सेवा में लग गई। भक्त ने आप जी को बताया कि मुझे बीड़ी पीने की लत है जो छूट नहीं रही है, आप जी कृपा करें। शहनशाह जी ने सहज रूप से फरमाया कि आपकी लत छूट जाएगी। हुक्म मानकर उसी समय भक्त ने बीड़ी का बंडल तोड़कर फैंक दिया। फिर उसने जीवनभर बीड़ी नहीं पी। Shah Satnam Ji
सचखंड व रूहानियत का अजूबा है शाह सतनाम-शाह मस्तान जी धाम व मानवता भलाई केंद्र, डेरा सच्चा सौदा सरसा