‘सच्चे संत नेकी पर चलने की शिक्षा देते हैं’

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Saint Dr. MSG: ‘सच्चे संत नेकी पर चलने की शिक्षा देते हैं’

सरसा (सकब)। Saint Dr. MSG: सच्चे रूहानी रहबर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि सच्चे संत, गुरु, पीर-फकीर सबको नेकी व सच के राह पर चलने की प्रेरणा देते हैं। चुगली, निंदा से बचकर रहने की शिक्षा देते हैं क्योंकि निंदा करने वाले के साथ भक्ति की कितनी भी डिग्रियां लगी हों, वो आम आदमी से भी गया-गुजरा होता है। निंदा-चुगली इन्सान को बर्बाद करती है। निंदा किसी की भी अच्छी नहीं है। दूसरों की निंदा करना महापाप है और जो इन्सान निंदा-चुगली करते हैं वो दोनों जहां में नरक भोगते हैं तथा उन्हें चैन, आनन्द, सुख नसीब नहीं होता।

धर्मों के अनुसार अगर आप किसी को भी बुरा कहते हो तो आपको कोई फायदा नहीं बल्कि नुकसान ही है। निंदा-चुगली करने वाले लोग मन मुख होते हैं। वो किसी पीर-फकीर को मानने वाले नहीं होते। ऐसे लोगों का दोनों जहां में मुंह काला होता है। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि किसी को बुरा न कहो अगर आप एक अंगुली किसी की तरफ उठाते हो तो तीन अंगुलियां आपकी तरफ उठती हैं। इसका अर्थ यही होता है कि दूसरों को बुरा कहने से पहले अपने अंदर निगाह मारें। कई लोग सत्संग सुनते रहते हैं, भक्त बने रहते हैं लेकिन फिर भी चुगली, निंदा से बाज नहीं आते और निंदा, ईर्ष्या में डूबे रहते हैं। ऐसे लोग सांप जैसे होते हैं। Saint Dr. MSG

सांप जब तक चन्दन से लिपटा रहता है तब तक जहर नहीं उगलता लेकिन जैसे ही वह वहां से हटता है तो जहर उगलना शुरू कर देता है। वैसे ही वो लोग होते हैं जब तक सत्संग के दायरे में हैं, गुरू, पीर-फकीर वचन कर रहा है तब तक वो शांत रहते हैं लेकिन जैसे ही सत्संग के दायरे से बाहर होते हैं तो निंदा, ईर्ष्या करना शुरू कर देते हैं। परंतु जो इन्सान संतों के वचनों पर अमल करते हैं, निंदा-चुगली से कोसों दूर रहते हैं उन पर मालिक की दया-मेहर, रहमत जरूर बरसती है।

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