सिर्फ सुमिरन से काबू होता है मन: पूज्य गुरु जी

Saint Dr MSG

पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि इस घोर कलियुग में मालिक के नाम का जाप करना बहुत ही मुश्किल बात है। इन्सान दुनियादारी में अन्य काम-धंधे बड़े खुश होकर कर लेते हैं लेकिन सतगुरु, मौला का नाम जपना, उसकी भक्ति-इबादत में बैठना रास नहीं आता। यदि अल्लाह, वाहेगुरु, राम से कोई काम लेना हो, कोई जरूरत हो तो इन्सान जरूर भक्ति-इबादत करता है। कई बार यह भी देखा गया है कि कोई मुश्किल, मुसीबत आ जाए तो दिन-रात भी अपने आप मालिक का नाम चलना शुरू हो जाता है।

इन्सान लगातार भक्ति-इबादत करता रहता है। लगातार बेचैन रहता है लेकिन उस समय ध्यान नहीं जमता क्योंकि ध्यान उस मुश्किल, परेशानी की तरफ ज्यादा होता है। जाप तो करता है लेकिन वो बात नहीं बनती और बिना गर्ज के जाप करना ही सच्ची भक्ति है। आप जी ने फरमाया कि अगर आपको कोई गर्ज नहीं तो सुमिरन कीजिए, फिर देखिए नजारे। ‘बिन मांगे मोती मिले, मांगे मिले न भीख’। बिन मांगे ही वो झोलियां इतनी भर देगा कि आपने कभी कल्पना भी नहीं की होगी।

वो अल्लाह, वाहेगुरु, राम ऐसी खुशियां बख्श देगा जिसके बारे में लिख-बोलकर बताया नहीं जा सकता। इसके लिए जरूरी है कि आप यह नियम बना लें कि मैं निरंतर प्रभु का नाम जपूंगा ही जपूंगा।

मैंने उसका नाम लेना ही लेना है, उसकी भक्ति-इबादत करनी ही करनी है। उसके लिए चाहे कुछ भी करना पड़ जाए जबकि कुछ करने की जरूरत नहीं पड़ती। आप बैठकर, काम-धंधा करते हुए, चलते-फिरते सुमिरन करते रहो। आप लेटे हुए हो और नींद नहीं आ रही तो लेटे-लेटे ही राम-नाम का जाप कर लो। यकीनन आप उसकी दया-मेहर, रहमत के काबिल एक दिन जरूर बन जाएंगे।

 

 

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