चालबाजी। सरकार की शैक्षणिक योग्यता के नियमों को बताया धत्ता

Trickery Bypassing governments educational qualification rules

फर्जी मार्कशीट पर सरपंच बन 5 साल जमा गए चौधर

(Bypassing Government Rules)

  • प्रशासन नहीं कर पाया कार्रवाई

सच कहूँ/संजय मेहरा तावडू। प्रदेश सरकार ने बेशक पढ़ी-लिखी पंचायतें होने का नियम बनाए, लेकिन इन नियमों पर फर्जी तरीके से खरे उतरकर तावडू खंड की कई पंचायतों में सरपंच 5 साल का कार्यकाल पूरा करने को हैं। शिकवे-शिकायतें खूब हुई, लेकिन प्रशासन इनका कुछ नहीं बिगाड़ पाया। या यूं कहें कि इनके खिलाफ शिकायतों को अनदेखा कर दिया गया।

सत्ता में आते ही भाजपा सरकार ने योजना बनाई कि पढ़े-लिखे लोग ही चुनाव लड़ें और इसके लिए बाकायदा एक्ट में संशोधन कर नया एक्ट लाया गया। जिसमें चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों की शैक्षणिक योग्यता तय की गई थी। मगर बहुत से लोगों ने फर्जी प्रमाणपत्रों के सहारे चुनाव लड़ा और चुनाव जीत भी गए। प्रदेश में अब तक अनेक ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। कई मामलों में जांच पूरी हो चुकी है तथा कई मामलों की जांच चल रही है तो कहीं पर जांच के नाम पर कुछ हुआ ही नहीं। नूंह जिला प्रशासन के समक्ष ऐसे 39 मामले आए, जिनमें जांच में तेजी तो दिखाई गई, लेकिन जांच पूरी नहीं हो पाई।

तावड़ू क्षेत्र में चार सरपंचों के खिलाफ शिकायतें

तावडू के रानियाकी, शिकारपुर, चीला व गुरनावट गांव के सरपंचों के खिलाफ खूब शिकायतें की गई। जिला परिषद के पूर्व सीईओ गजेंद्र सिंह की अध्यक्षता में गठित कमेटी लगभग 10 सरपंचों के शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच पूरी कर डीसी को रिपोर्ट प्रेषित कर चुकी थी, लेकिन उसके बावजूद भी ऐसे सरपंचों पर जिला प्रशासन ने कड़ा संज्ञान नहीं लिया। जिसको लेकर जिला प्रशासन की कार्यशैली भी सवालों के घेरे में है।

और भी कई सरपंचों पर हैं आरोप

इन सरपंचों पर आरोप है कि इन्होंने चुनाव के दौरान फर्जी प्रमाणपत्र प्रस्तुत कर चुनाव लड़ा और चुनाव जीता। शिकायत मिलने के बाद प्रशासन ऐसे सरपंचों के शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच में जुट गया है। जांच में फर्जीवाड़ा सिद्ध होने पर दोषियों को अयोग्य घोषित करने के साथ अन्य कार्रवाई भी अमल में लाई जा सकती है। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया है।

कई स्कूलों ने किया फर्जीवाड़ा

फर्जी प्रमाणपत्र जारी करने वाले शैक्षणिक संस्थान भी जांच के दायरे में हैं। आखिर किस आधार पर इन संस्थानों ने शैक्षणिक प्रमाणपत्र जारी कर दिया। फर्जी प्रमाणपत्र जारी करने वाले शैक्षणिक संस्थानों पर भी आखिर क्यों नहीं शिकंजा कसा गया। हरियाणा, यूपी व अन्य कई राज्यों में ऐसे फर्जी प्रमाणपत्र बेचने वाले प्राइवेट स्कूल संचालकों का प्रशासन द्वारा डाटा तो एकत्रित किया गया, लेकिन इस पर संज्ञान नहीं लिया गया।

क्या कहते हैं अधिकारी

जिला परिषद के पूर्व सीईओ गजेंद्र सिंह का कहना है कि काफी सरपंचों के शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच पूरी हो चुकी है। जांच रिपोर्ट डीसी को दी जा चुकी है। वहीं डीडीपीओ राकेश मोर का कहना है कि वे सोमवार को इस पर अपडेट बता सकेंगे। हां, सरपंचों के खिलाफ शैक्षणिक फर्जीवाड़े की शिकायतें काफी आई हैं।

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