अस्पतालों ने गेट पर आयुष्मान कार्ड पर सेवांए बंद को लेकर चस्पा किए नोटिस
सरसा (सच कहूँ/सुनील वर्मा)। Ayushman Card: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) हरियाणा के फैंसले के अनुसार जिले के 77 निजी अस्पतालों में शनिवार को आयुषमान व चिरायु कार्ड पर मिलने वाली सभी सेवाएं पूर्ण रूप से बंद कर दी हैं। वहीं निजी अस्पतालों के बाहर मेन गेट पर आयुष्मान व चिरायु कार्ड पर सेवांए बेद को लेकर नोटिफिकेशन से लेकर फ्लैक्स तक चस्पा कर दिए गए हैं। पूर्व आइएमए प्रधान आशीष खुराना के अनुसार जिला के निजी अस्पतालों में प्रतिमाह 1500 से 2000 के करीब मरीजों का उपचार आयुष्मान व चिरायु योजना के तहत उपचार करते है।
जिले के 77 निजी अस्पतालों में से लगभग 35 अस्पताल ऐसे हैं, जिनको चलाने वाली ही सरकार है यानि यह अस्पताल पूर्ण रूप से आयुष्मान कार्ड के माध्यम से आने वाले मरीजों का उपचार करते हैं। अब इन अस्पतालों के ऊपर आर्थिक संकट मंडराने लगा है। बता दें कि गरीब और जरूरतमंद लोगों के आयुष्मान और चिरायु कार्ड की बेहतर उपचार करवाने का एकमात्र साधन है। शनिवार को सेवाएं बंद हो जाने के कारण अब इन लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आहवान पर चिकित्सकों ने 30 मार्च तक चिकित्सकों ने फिलहाल यह सेवाएं बंद करने का निर्णय लिया है।
अस्पतालों पर मंडराने लगा आर्थिक संकट | Ayushman Card
जिला के आईएमए के पूर्व प्रधान डॉ. आशीष खुराना ने बताया कि आईएमए की स्टेट बॉडी के आह्वान पर आयुष्मान व चिरायु योजना में राज्य के हजारों चिकित्सकों का करोड़ों रुपया फंसा हुआ है। सरकार की ओर से इस पैसे को जारी करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। जबकि सरकार के साथ कई बार बातचीत हो चुकी है। डॉ. खुराना ने बताया कि स्टेट बॉडी ने सरकार को 15 मार्च का समय दिया था।
लेकिन 15 मार्च तक भी सरकार ने इनका समाधान नहीं किया। इसलिए निजी अस्पतालों की ओर से 16 मार्च को ईलाज पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया है। वहीं आयुष्मान के तहत जिन मरीजों का इलाज हमारे पास चल रहा है उनका इलाज पूरा किया जाएगा। नए आने वाले मरीजों के लिए आयुष्मान व चिरायु कार्ड पर ईलाज नहीं किया जाएगा।
यह है मुख्य समस्याएं | Ayushman Card
- सरकार के बनाए पोर्टल में बार बार परेशानी आती है, इसमें सुधार किया जाए।
- सरकार की ओर से निर्धारित समय पर राशि का भुगतान किया जाए।
- सरकार की ओर से ईलाज खर्च का तीसरा हिस्सा ही दिया जाता है। टुकड़ों में राशि देने से बड़ी परेशानी आती है।
- लाखों रुपये उपचार का अटकने से अस्पताल चलाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।
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