क्लस्टर लेवल पर हुई ट्रेनिंग, 40 अध्यापकों ने लिया भाग
भिवानी (सच कहूँ/इन्द्रवेश)। शिक्षा विभाग ने बच्चों की सेफ्टी एवं सिक्योरिटी का ध्यान रखते हुए प्रदेश के अध्यापकों को ट्रेनिंग(Training of Teachers) देनी शुरू की है। आज भिवानी जिले के बवानीखेड़ा खंड के सुई क्लस्टर की ट्रेनिंग हुई, जिसमें 40 अध्यापकों ने भाग लिया। दो दिवसीय होने वाली ट्रेनिंग में अध्यापकों को क्लस्टर स्तर पर ट्रेनिंग दी जाएगी। क्लस्टर में ट्रेनिंग देने के लिए पुलिस की ओर से डीएसपी वीरेंद्र सिंह, स्वास्थ्य विभाग की ओर से डॉ. कमल ने बच्चों की सेफ्टी को लेकर ऑनलाइन ट्रेनिंग दी।
ट्रेनिंग के शुरूआती दौर में डॉ. कमल ने पूरे क्लस्टर को कोरोना वायरस के बारे में सभी अध्यापकों को ट्रेनिंग दी। डॉ. कमल ने अध्यापकों को ऑनलाइन जानकारी दी कि अगर किसी बच्चे को जुखाम, बुखार या गले में दर्द हो तो उन्हें नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर जरूर दिखाएं। उसके बाद डीएसपी वीरेंद्र सिंह व यातायात पुलिस प्रभारी रामनिवास ने ऑनलाइन जुड़कर सभी अध्यापकों को रोड सेफ्टी के बारे, बच्चों की सुरक्षा के बारे में जानकारी दी।
उन्होंने बच्चों के गुड व बैड टच के बारे में जानकारी दी। 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को सड़क पर वाहन ना लेकर जाने की सलाह दी और कहा कि यह कानूनन अपराध है। ऐसे में जुर्माना भी लगाया जा सकता है। वहीं उन्होंने पुलिस के 112 नंबर के बारे में भी जानकारी दी और कहा कि किसी भी प्रकार की समस्या होने पर 112 नंबर पर कॉल कर सकते है, पुलिस 15 मिनट में आपके पास पहुंच जाएगी।
इस बारे में प्राचार्य अनिल सांगवान ने बच्चों के नशे की बढ़ रही आदत के बारे में जानकारी दी। उन्हें बताया गया कि स्कूल के आसपास कोई भी नशे की दुकान नही होनी चाहिए। नशे के बारे मे जागरूकता रैली निकालना चाहिए। स्कूलों में प्राथमिक उपचार बॉक्स होना चाहिए, ताकि किसी भी स्थिति से निपटा जा सके। वही बच्चों में उम्र के साथ-साथ शारीरिक बदलाव के बारे में प्रवक्ता नरेश ढुल व देवेंद्र महेन्द्रा ने जागरूक किया।
प्रवक्ता प्रवीण ठकराल ने ऑनलाइन टीचिंग(Training of Teachers) लर्निंग के बारे में ऑनलाइन ट्रेनिंग दी। प्रवक्ता कर्मबीर लांगयन ने एग्जाम के दौरान बच्चों के स्ट्रेस के बारे में जानकारी दी और कहा कि बच्चों को स्ट्रेस ना हो इस बात का विशेष ध्यान रखना चहिये। प्राचार्य अनिल सांगवान ने बताया कि क्लस्टर लेवल पर यह ट्रेनिंग दी गई है। उन्होंने बताया कि बच्चों को किसी प्रकार का एग्जाम फीवर ना हो, इसके लिए अध्यापकों को दिशा-निर्देश दिए गए है। उन्होंने बताया कि अब अध्यापक बच्चों को ट्रेनिंग देंगे, जिससे पूरे प्रदेश के बच्चे जागरूक होंगे।
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