वाराणसी (एजेंसी)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि खिलौने बच्चे के जीवन का अटूट हिस्सा है, जिसके साथ समय बिता कर वह काफी कुछ सीखते हैं। वर्चुअल ‘द इंडिया टॉय फेयर-2021’ के उद्धाटन अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से देश भर के कई लोगों से संवाद के दौरान मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में इस उद्योग से जुड़े लोगों से भी बातचीत की। उन्होंने कश्मीरी गंज खोजवा निवासी रामेश्वर सिंह से बातचीत के दौरान लकड़ी के खिलौने बनाने पर विशेष जोर दिया तथा कहा कि बच्चे और खिलौने एक दूसरे को देखते हैं। बच्चे खिलौनों का नकल करते हैं। इस तरह से खिलौने बच्चों की जिंदगी का हिस्सा बन जाते हैं।
गौरतलब है कि यह मेला 27 फरवरी से दो मार्च तक चलेगा। वर्चुअल प्रदर्शनी में 30 राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के 1000 से अधिक उत्पाद प्रदर्शित किए जाने की योजना है। मेले में परंपरागत भारतीय खिलौनों के अलावा इलेक्ट्रॉनिक खिलौने भी प्रदर्शित किए जाएंगे।
मोदी ने कहा कि पिछले सात दशकों में भारतीय कारीगरों की, भारतीय विरासत की जो उपेक्षा हुई, उसका परिणाम यह है कि भारत के बाजार से लेकर परिवार तक में विदेशी खिलौने भर गए हैं और केवल वो खिलौना नहीं आया है, एक विचार प्रवाह हमारे घर में घुस गया है। भारतीय बच्चे अपने देश के वीरों, हमारे नायकों से ज्यादा बाहर के नायकों के बारे में बात करने लगे। इस बाढ़ ने, ये बाहरी बाढ़ ने हमारे लोकल व्यापार की बड़ी मजबूत चेन भी तोड़ के रख दी है, तहस-नहस कर दी है।
कारीगर अपनी अगली पीढ़ी को अपना हुनर देने से बचने लगे हैं, वो सोचते हैं कि बेटे इस कारोबार में ना आएँ। आज हमें इस स्थिति को बदलने के लिए मिलकर काम करना है। हमें खेल और खिलौनों के क्षेत्र में भी देश को आत्मनिर्भर बनाना है, वोकल फॉर लोकल होना है। इसके लिए हमें आज की जरूरतों को समझना होगा। हमें दुनिया के बाजार को, दुनिया की प्राथमिकताओं को जानना होगा। हमारे खिलौनों में बच्चों के लिए हमारे मूल्य, संस्कार और शिक्षाएं भी होनी चाहिए, और उनकी गुणवत्ता भी अंतर्राष्ट्रीय मानकों के हिसाब से होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस दिशा में देश ने कई अहम फैसले लिए हैं। पिछले वर्ष से खिलौनों की गुणवत्ता जांच को अनिवार्य किया गया है। आयात होने वाले खिलौनों की हर खेप में भी नमूना जांच की इजाजत दी गई है। पहले खिलौनों के बारे में सरकारें बात करने की भी जरूरत नहीं समझती थीं। इसे कोई गंभीर विषय नहीं समझा जाता था। लेकिन अब देश ने खिलौना उद्योग को 24 प्रमुख क्षेत्रों में उसका दर्जा दिया है। राष्ट्रीय खिलौना कार्य योजना भी तैयार की गयी है इसमें 15 मंत्रालयों और विभागों को शामिल किया गया है ताकि ये उद्योग प्रतिस्पर्धी बने, देश खिलौनों में आत्मनिर्भर बनें, और भारत के खिलौने दुनिया में भी जाएं।
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