Toyota Lunar Cruiser Updates: आज टैक्नोलॉजी का जमाना है और इसके दम पर बहुत सी कंपनिया अलग-अलग क्षेत्रों में धमाल मचा रही हैं। कंपनियाँ इन्हीं टैक्नोलॉजी के बलबूते ऐसी ऐसी चीजें इजाद कर देती हैं जो इतिहास में दर्ज हो जाती हैं। इसी प्रकार टोयोटा ने जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) के साथ मिलकर हाइड्रोजन से चलने वाले एक मून रोवर को ड्वेल्प करने का ऐलान किया था। उसी ऐलान के चलते दुनिया की सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी टोयोटा एक ऐसे ही ‘‘लूनर-कू्रजर’’ नामक मून रोवर को ईजाद करने जा रही है। Chandrayaan3
यह एक प्रेशराइज्ड मून रोवर होगा जो अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा अथवा मंगल ग्रह पर रहने और खोत करने में मदद करेगा और जिसमें फ्यूल के रूप में पानी को इस्तेमाल किया जाएगा। यानि इस लूनर क्रूजर में टोयोटा रिजेनरेटिंग फ्यूल टैक्नोलॉजी का उपयोग करके इसे और भी खास बना रही है। तो कैसी होगी ये कार और कैसे होगा इसमें पानी का इस्तेमाल, इन सबकी जानकारी इस लेख के माध्यम से हम आपके साथ साझा कर रहे हैं:-Toyota Lunar Cruiser
सबसे पहले और सबसे बड़ी बात तो ये है कि इस कार को बनाने के लिए टोयोटा ने जापान ऐयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी के साथ साझेदारी की है। बता दें कि अमेरिका और चीन को स्पेस रेस में उभरता देख जापान भी अपनी महत्वाकांक्षा को बढ़ावा दे रहा है।
अमेरिका ऐतिहासिक मून लैंडिंग के लगभग 50 वर्षों के बाद अर्टेमिस नामक एक और मून मिशन की तैयार में जुटा हुआ है एवं चंद्रमा की कक्षा में गेटवे नाम से एक आउटपोस्ट स्थापित करने जा रहा है। वहीं जापान भी इस आउटपोस्ट पर अपने अंतरिक्ष यात्री भेजने की प्लानिंग कर रहा है। वह JAXA से आर्टेमिस मिशन पर अमेरिका के साथ मिलकर कार्य भी कर रहा है। टोयोटा ने जानकारी देते हुए एसोसिएटेड प्रेस को बताया है कि उनका लक्ष्य 2040 तक चंद्रमा पर और बाद में मंगल ग्रह पर इंसान की मौजूदगी को बनाए रखने के लिए यह खास तरह के वाहन को बनाने का है, उस लक्ष्य को टोयोटा ने लूनर कू्रजर नाम दिया है।
4 सीटर लूनर कू्रजर में अंतरिक्ष सूट जरूरी नहीं
मून मिशन के लिए टोयोटा जो मून रोवर तैयार करने जा रहा है उसमें अंतरिक्ष यात्रियों को अंदर अंतरिक्ष सूट पहने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसमें 460 क्यूबिक फीट रहने का स्थान होगा और यह आपातकालीन स्थिति में 4 लोगों के लिए पर्याप्त होगा, लेकिन अंदाजा लगाया जा रहा है कि इसमें दो लोगों के लिए ही स्थान दिया जाएगा। वैसे इस मून रोवर का इस्तेमाल चंद्रमा के धु्रवीय क्षेत्रों का पता लगाने के लिए किया जाएगा और प्रमुख इस्तेमाल तो यह होगा कि क्या अंतरिक्ष यात्री जमे हुए पानी और अन्य संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं। 10 टन तक भारी यह मून रोवर चंद्रमा पर धूल भरे वातावरण एवं अत्याधिक तापमान का भी आसानी से सामना कर सकेगा।
इसके द्वारा चांद पर यात्रा करने वाले यात्रियों को सुरक्षित ढंग से अंतरिक्ष में खोज करने में आसानी होगी। उल्लेखनीय है कि अंतरिक्ष कंपेन में भेजे जाने वाले रोवर्स खास तौर पर बिजली उत्पन्न करने के लिए सोलर पेनल्स का उपयोग करते हैं। दिन में ये सूर्य की रोशनी से बैटरी चार्ज करते हैं और रात को जो एनर्जी बैटरी में जमा होती है उससे मूवमेंट या फिर टेंप्रेचर मेंटेन करने में उपयोग में लेते हैं। बता दें कि चंद्रमा पर जो रात होती है वो पृथ्वी पर होने वाली 14 दिनों की रात के बराबर होती है। ऐसे में बैटरी की एनर्जी सेव रखना बहुत ही मुश्किल होता है लेकिन असंभव नहीं होता। टोयोटा इसी को ध्यान में रखते हुए खास तकनीक के इस्तेमाल करने का दावा कर रहा है जिससे कि एनर्जी भी मेंटेन की जा सकेगी।
अंतरिक्ष यात्री कर सकेंगे सुगमता से खोज
बता दें कि चंद्रमा पर प्रेशराइज्ड रोवर इससे पहले किसी ने भी नहीं भेजा था। अपोलो मिशन के दौरान इस्तेमाल किया गया लूनर रोविंग व्हीकल भी खुली हवा में था और यह पहला ऐसा वाहन होगा जो आॅफ वर्ल्ड रिसर्च के लिए बड़ा वरदान साबित हो सके गा। हर दिन एक फिक्स बेस से बंधे रहने की बजाय अंतरिक्ष यात्री अपनी खोज को और भी बेहतर और सुगम बनाने के लिए अपना बेस अपने साथ ले जाने में समर्थ हो सकेंगे। लूनर कू्रजर की दूरी 6200 मील से भी कहीं अधिक हो सकती है जोकि पृथ्वी से लाए गए फ्यूल का इस्तेमाल करते हुए तय की जाती है और जो भूमध्य रेखा पर चंद्रमा का चक्कर लगाने के लिए काफी है। अगर चंद्रमा या मंगल ग्रह पर अंतरिक्ष यात्रियों को अधिक र्इंधन मिल जाए तो वो और भी दूर तक यात्रा कर सकते हैं।
नासा से मिली एक रिपोर्ट के अनुसार ‘‘एक प्रेशराइज्ड रोवर अंतरिक्ष यात्रियों को रहने और कार्य करने के लिए एक ऐसा स्थान मुहैया कराएगा ताकि वो लंबे समय तक चंद्रमा की सतह पर अपना रिसर्च अभियान चला सकें’’ इस संबंध में जाक्षा के अध्यक्ष हिरोशी यामाकावा ने मार्च 2019 में कहा था कि ‘‘’एक पे्रशराइज्ड रोवर वाला केबिन ही एक ऐसा एलिमेंट है जो चांद की सतह पर रिसर्च और उपयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।’’ टोयोटा ने जानकारी देते हुए बताया कि लूनर क्रूजर में रीजेनरेटिंग फ्यूल टैक्नोलॉजी का उपयोग किया जा रहा है।
अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर लंबे समय के दौरान इलैक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया के द्वारा पानी को हाइड्रोजन और आॅक्सीजन में बांटेगा जिसे फ्यूल सेल में सेव किया जाएगा तथा जिसका उपयोग रात में किया जा सकेगा। इसके बाद फ्यूल सेल में सेव की गई एनर्जी को बिजली में चेंज किया जाएगा और रोवर को पावर देने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा। इससे पहले लूनर रोवर उस पानी का इस्तेमाल करेगा जो उसके साथ पृथ्वी से भेजा जाएगा। वैसे टोयोटा अपने रोवर को पॉवर देने के लिए लूनर पोल्स से बर्फ से निकाले गए पानी का भी इस्तेमाल कर सकेगा। अनुमान लगाया जा रहा है कि अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर ले जाने के लिए उम्मीद से ज्यादा पानी की जरूरत पडेÞगी और टोयोटा भी उम्मीद जता रहा है कि एक अन्य स्पेस कंपनी बर्फ के खनन या चंद्रमा पर अपने र्इंधन सेल के लिए आवश्यक कंपोनेंट्स के ट्रांसपोर्टिंग का प्रबंध कर सकती है।