कुरुक्षेत्र (देवीलाल बारना)। हरियाणा में धान की रोपाई पूरे जोरों पर है फिलहाल किसान ज्यादातर मोटी और हाइब्रिड धान (Top Paddy Variety) की रोपाई कर रहे हैं। इसके बाद किसान बासमती धान की रोपाई का कार्य शुरू करेंगे। हरियाणा प्रदेश के 14 जिलों में धान का उत्पादन किया जाता है। इसके लिए उतरी हरियाणा के कई जिले सबसे ज्यादा मशहूर है, जिसके चलते इस क्षेत्र को धान का कटोरा भी कहा जाता है। हरियाणा की बासमती धान की भारत ही नहीं विदेशों में मांग है क्योंकि हरियाणा की बासमती धान के चावल का स्वाद और खुशबू अलग ही होती है। लेकिन कुछ किसान बासमती धान की उन्नत किस्म का चयन नहीं कर पाते जिसके चलते वह अच्छा उत्पादन नहीं ले पाते।
हरियाणा में लगने वाली बासमती धान की उन्नत किस्म कौन-कौन सी है व धान की रोपाई करने का वैज्ञानिक तरीका क्या है और उसका प्रबंधन कैसे किया जाता है। इसके लिए दैनिक सच कहूँ ने कृषि विभाग के उपनिदेशक डा. कर्मचंद से बातचीत की। डॉ. कर्मचंद का कहना है कि हरियाणा में बड़े स्तर पर बासमती धान की खेती की जाती है और हमारा बासमती चावल विदेशों में भी लोकप्रिय है लेकिन कुछ किसान भाई उचित किस्म का चयन नहीं कर पाते जिसके चलते उत्पादन प्रभावित होता है। हरियाणा में बासमती धान की प्रमुख तौर पर चार किस्म लगाई जाती है। हरियाणा में मुख्यतौर पर बासमती धान की रोपाई 25 जून से 15 जुलाई तक सही मानी जाती है।
हरियाणा के लिए कौन-सी बासमती है प्रमुख | Top Paddy Variety
हरियाणा में लगने वाली बासमती की प्रमुख चार किस्म हैं जिसमें पूसा बासमती 1692, पूसा बासमती 1509, पूसा बासमती 1121 व सीएसआर 30 शामिल हैं। ये चार किस्में हरियाणा में उन्नत किस्म मानी जाती है जो अच्छा उत्पादन देती हैं।
यूं करें धान की रोपाई | Top Paddy Variety
डॉ. कर्मचंद ने बताया कि उन्नत किस्म का सही तरीके से चयन करने के बाद किसानों के सामने धान रोपाई सही तरीके से कैसे करें, यह जानना जरूरी है। ऐसे में अपने खेत को अच्छे से तैयार कर ले, ट्रैक्टर के साथ खेत जोतने के बाद 4 घंटे तक खेत को ऐसे ही पानी से भरा हुआ छोड़ दें, ताकि उसमें जो भी कंकड़ पत्थर इत्यादि होती है वह सभी नीचे बैठ जाएं। जब नीचे गीली मिट्टी दिखने लग जाए तब धान की रोपाई करनी चाहिए।
धान की नर्सरी से पनीरी उखाड़ते समय किसान ध्यान रखें की नर्सरी उखाड़ते समय उस खेत में पानी भरा होना चाहिए क्योंकि अगर सुखे खेत में नर्सरी को उखाड़ते हैं तो पौधे के नीचे वाले हिस्से में जहां पर जड़ होती है वहां पर इंजरी हो जाती है और इससे कई प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं जिनमें से झंडा एक प्रमुख रोग है। नर्सरी को उखाड़ने के बाद ट्राइकोडर्मा नामक दवाई का घोल बनाकर उसमें कुछ समय के लिए नर्सरी के पौधों को रखें, जिसे उसके फंगस इत्यादि सभी प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं और पौधे की खेत में लगने के साथ अच्छी बढ़वार होती है।
बासमती धान में कितनी डालें खाद की मात्रा?
बासमती धान की हरियाणा में मुख्य तौर पर चार किस्में लगाई जाती हैं, लेकिन यह अलग-अलग श्रेणी में आती हैं। इनमें से कुछ किस्म लंबी होती है तो कुछ किस्म का पौधा छोटा रहता है जिसे बोनी बासमती कहा जाता है। दोनों के लिए अलग-अलग खाद की मात्रा डाली जाती है। बोनी बासमती के लिए 36 किलोग्राम शुद्ध नाइट्रोजन, 80 किलोग्राम यूरिया खाद, 12 किलोग्राम फासफोर्स और 10 किलोग्राम जिंक की मात्रा प्रति एकड़ डालें। लम्बी किस्म वाली बासमती धान में 24 किलोग्राम शुद्ध नाइट्रोजन, एक बैग यूरिया खाद और 12 किलोग्राम फासफोर्स 10 किलोग्राम जिंक प्रति एकड़ डालें।
जिंक को रोपाई के समय डालें, जबकि 80 किलोग्राम यूरिया खाद को तीन भागों में कुछ-कुछ समय के अंतराल पर डालें। खरपतवार नियंत्रण के लिए धान रोपाई के 72 घंटे के अंदर ब्यूटाक्लोर (मिचेटी) नामक दवाई खेत में डालें। खाद की इस मात्रा से किसान बंपर पैदावार बासमती धान की ले सकता है। किसान अधिक जानकारी के लिए नजदीकी जिला कृषि अधिकारी से सम्पर्क कर सकता है।
15 सेंटीमीटर रखें पौधों की दूरी
डॉ. कर्मचंद के अनुसार खेत में धान के पौधे लगाते समय उसकी संख्या पूरी होनी चाहिए ताकि उत्पादन पर कोई असर न पड़े, इसमें पौधे से पौधे की दूरी 15 सेंटीमीटर की रखें और लाइन से लाइन में पौधा लगाना चाहिए ताकि जब फसल कुछ महीने की हो जाती है तब उसमें हवा क्रॉस होती रहे। इसे बीमारियां लगने का काम खतरा होता है और उत्पादन अच्छा होता है।