…एक शादी ऐसी भी, जो बन गई समाज के लिये प्रेरणा

Casual marriage

 ना कैश न सामान, शादी में शगुन के रूप में लिया मात्र एक तुलसी का पौधा

(Casual marriage)

  •  यमुनानगर निवासी गौरव चौधरी ने अपनी शादी में की मिशाल कायम

सच कहूँ विशेष  कुरुक्षेत्र/यमुनानगर। साधारण परिवार में जब एक बेटी जन्म लेती है तो पिता को उसकी शादी की चिंता सताने लग जाती है। चिंता हो भी क्यों न, बेटी की शादी में पिता को मोटा खर्च जो करना पड़ता है। लेकिन रविवार को कुरुक्षेत्र में एक अनोखी शादी हुई। शादी में न कैश दिया गया, न सामान दिया गया, न मिलनी हुई और न ही शगुन के रूप में पैसा दिया गया। (Casual marriage) शादी कुरुक्षेत्र जिले के बारना निवासी कृष्ण गोपाल की पुत्री पिंकी से यमुनानगर के गोविंदपुरी निवासी चंद्र शेखर के सुपुत्र गौरव चौधरी से हुई। शादी कुरुक्षेत्र-पिहोवा मार्ग स्थित एक पैलेस में सम्पन्न हुई। शादी की खास बात यह रही कि शादी में वर पक्ष की ओर से एक मांग की गई थी कि वे शादी में न कैश लेंगे और न सामान लेंगे।

न कोई मिलनी होगी और न ही शगुन के रूप में पैसे लेंगें। लेंगें तो वह था मात्र एक तुलसी का पौधा। शादी में जितने भी लोग पहुंचे, वर पक्ष की तरफ से की गई इस पहल को सुन दांतों तले उंगली दबा गए। ऐसे में स्टेज पर वधू पक्ष की तरफ से एक तुलसी का पौधा दूल्हे को व एक पौधा दूल्हन को भेंट किया गया। गौरव के भाई युजविंद्र चौधरी ने बताया कि उन्होने शादी पर कुछ भी खर्च नही किया बल्कि शादी में होने वाले खर्च को बचाकर 30 सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लास रूम तैयार करेंगें, जिससे हजारों बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकेंगें और देश का नाम रोशन करेंगे।

डेरा सच्चा सौदा की शिक्षाओं पर अमल करते हुए उठाया कदम

दूल्हे का पूरा परिवार डेरा सच्चा सौदा से जुडा हुआ है। गौरव के भाई युजविंद्र चौधरी ने बताया कि डेरा सच्चा सौदा ने बहुत पहले बेटी बचाओ के नारे पर चलते हुए अनेकों मुहिम शुरु की हैं। वे भी डेरा सच्चा सौदा की सभी मुहिमों में भाग लेते हैं। ऐसे में उनके परिवार ने डेरा सच्चा सौदा की शिक्षाओं पर अमल करते हुए इस पहल को करने की ठानी और पहल सिरे भी चढ़ गई। डेरा सच्चा सौदा 45 मैंबर कमेटी के सदस्य जसबीर सिंह, जोगिंद्र कलार, संदीप अन्नू व बाबा हरिनाराण दास ने इस पहल को समाज के लिए अच्छा कदम बताया।

एक पिता को न हो बेटी की शादी की चिंता, इसलिए की पहल: गौरव (Casual marriage)

इस बारे में जब दूल्हे गौरव चौधरी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि एक किसान या मजदूर परिवार को उस वक्त चिंता शुरु हो जाती है जब उनके घर बेटी जन्म लेती है। बेशक बहुत लोग यह बात कहते हों कि वे शादी में कुछ भी नही लेंगे, लेकिन वधू पक्ष की तरफ से समाज के डर से बहुत कुछ दे दिया जाता है। जिस कारण बेटी का पिता या परिजन कर्जदार हो जाते हैं।

उन्होंने यह बात बहुत बार महसूस भी की है। ऐसे में पहल करनी जरूरी थी और इस कार्य में उनके पिता चंद्र शेखर, माता अमरजीत कौर, भाई युजविंद्र चौधरी, भाभी उपासना व अन्य परिजनों ने उसका साथ दिया। वहीं दूसरी ओर वधू के पिता कृष्ण गोपाल सिंहमार, माता ओमी देवी, रोशन लाल, जागेराम, जयपाल, लड़की के भाई इंजीनियर रामनारायण, रामभज, सुरजीत सिंह, बलजीत, देवीलाल बारना, विक्रम व पवन सहित शादी में पहुंचने वाले सभी जनोेंं व रिश्तेदारों ने इस पहल का स्वागत किया है।

ले रखी गई थी मांग

हालांकि गौरव चौधरी व युजविंद्र चौधरी का इंडोनेशिया में कारोबार है लेकिन जब गौरव का रिश्ता पक्का हुआ उससे पहले वधू पक्ष से मांग की गई थी कि वे शादी में कुछ भी नही लेंगें। यदि मांग मंजूर है तो रिश्ता पक्का करें, वरना न करें। वधू पक्ष ने यह समझ कर रिश्ता पक्का कर दिया कि ज्यादा नहीं तो थोड़ा सामान दे ही देंगे। लेकिन शादी से कुछ दिन पहले भी वर पक्ष की तरफ से सख्त रूप से यह मांग की गई तो वधू पक्ष ने मात्र तुलसी का पौधा शगुन के रूप में वर-वधू को भेंट किया।

 

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