कल हनुमानगढ़ जिले के सरकारी चिकित्सक भी पूरा दिन रहेंगे सामूहिक अवकाश पर
- सरकारी अस्पतालों पर बढ़ा भार
- चिकित्सा सेवाएं चरमराने की आशंका
हनुमानगढ़ (सच कहूँ न्यूज)। राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल (Right to Health Bill) के खिलाफ चिकित्सकों का आंदोलन तेज होता जा रहा है। बुधवार को प्रदेश के लगभग 19 हजार से अधिक सरकारी चिकित्सक भी सामूहिक अवकाश पर रहेंगे। निजी अस्पतालों के चिकित्सकों के समर्थन में अब सरकारी हॉस्पिटल के सभी रैंक के चिकित्सकों ने बुधवार को पूरे दिन सामूहिक कार्य बहिष्कार का निर्णय किया है। इससे प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता। क्योंकि पहले ही निजी चिकित्सक बेमियादी हड़ताल पर हैं। मुख्यमंत्री (Ashok Gehlot) लगातार निजी चिकित्सकों से हड़ताल खत्म करने की अलग-अलग तरीके से अपील कर रहे हैं वहीं अब सरकारी डॉक्टर्स के सामूहिक अवकाश पर जाने की खबर ने परेशानी खड़ी कर दी है।
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राज्य में बुधवार को पीएचसी, सीएचसी, उप जिला हॉस्पिटल, जिला हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पतालों में ओपीडी सर्विस बंद रहेगी। इससे आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इस मसले पर निजी चिकित्सकों का तर्क है कि राइट टू हेल्थ से निजी चिकित्सक का कमाने का अधिकार खत्म हो जाएगा तो चिकित्सक, अस्पताल और क्लीनिक कैसे चला पाएंगे। उधर, निजी अस्पतालों पर मंगलवार को लगातार दसवें दिन भी तालाबंदी रही। निजी अस्पतालों के बंद होने से मरीज इधर-उधर भटकने को मजबूर हैं। सरकारी अस्पतालों में पहले से ही मारामारी की स्थिति रहती थी। ऐसे में अब हालात और खराब हो गए हैं।
जिला चिकित्सालय के सरकारी चिकित्सकों ने भी सुबह नौ बजे से ग्यारह बजे तक दो घंटे कार्य बहिष्कार किया। इस दौरान चिकित्सकों के केबिन खाली नजर आए और ओपीडी में दिखाने आए मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा। इस दौरान इमरजेंसी सेवाएं सुचारू रही। सरकारी चिकित्सकों की ओर से अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के आह्वान पर दो घंटे का कार्य बहिष्कार बेमियादी समय के लिए किया जा रहा है।
निजी अस्पतालों के चिकित्सकों की हड़ताल से सभी राजकीय अस्पतालों में भीड़ नजर आ रही है। सभी सरकारी अस्पतालों की ओपीडी सामान्य अस्पतालों की तुलना में बढ़ गई है। सरकारी अस्पताल के कई चिकित्सक अपने-अपने क्लिनिक और निजी अस्पताल चला रहे हैं। सामान्य दिनों में बड़ी संख्या में मरीज वहां इलाज के लिए जाते हैं, लेकिन हड़ताल के कारण अभी सरकारी चिकित्सक भी अपने क्लिनिक-निजी अस्पताल में इलाज नहीं कर रहे हैं, जिसके कारण भी सरकारी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढ़ गई है।
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