53वां पावन अवतार दिवस
संतों के लिए ना कोई बैरी है न ही कोई बेगाना है। सबके लिए उनका व्यवहार परमार्थ, दूसरों की खुशी के लिए होता है। संत सबके भले के लिए हमेशा दुआ करते हैं। संत कभी भी किसी को बुरा नहीं कहते, कभी किसी का बुरा नहीं करते। वो कभी किसी का बुरा सोचते भी नहीं, करना तो बहुत दूर की बात है। संत, पीर-फकीर कभी-कभार जब किसी के प्रति सख्त अलफाजों का इस्तेमाल करते भी हैं, इसमें भी पता नहीं उस व्यक्ति के कितने ही बुरे कार्य जलकर राख हो जाते हैं जो उनके वचन सुनता है। इसलिए उनके वचनों को कभी भी गलत तरीके से नहीं जानना चाहिए। पानी चाहे कितना भी गर्म हो कभी भी घरों को जला नहीं सकता, बल्कि जख्मों के लिए और भी एंटीबॉयटिक का काम करता, जख्मों को साफ कर देता है जब उसमें नीम के पत्ते उबले हों या, नीम का रस मिला हो। इसलिए संत यदि किसी को कोई सख्त वचन करते भी हैं तो समझ लेना चाहिए कि उस इन्सान का आने वाला कोई भयानक करम खत्म हो गया है। इसलिए उनके वचनों का बुरा नहीं मानना चाहिए। बल्कि अपने अन्दर उन्हें बसा लेना चाहिए, धारण कर लेना चाहिए। यह इन्सान के भले के लिए होता है और हमेशा भला ही होता है। जिस तरह वृक्ष अपना फल खुद नहीं खाते, वो दूसरों के लिए पैदा करते हैं और सरवर अपना पानी खुद नहीं पीता। उनका यह परोपकार दूसरों के लिए होता है, उसी तरह संत, पीर-फकीर परमार्थ के लिए, दूसरों की खुशी के लिए, परमानन्द देने के लिए संसार पर आते हैं।
तरुवर फल नहीं खात है, सरवर पींवहि न नीर।
परमार्थ के कारणै संतन भइओ शरीर।।
पूजनीय गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां का पाक-पवित्र जीवन उपकारों की प्रत्यक्ष मिसाल है। जिस प्रकार आप जी का नूरी बचपन परोपकारों से भरा है, उसी तरह डेरा सच्चा सौदा में आप जी ने परोपकारों की लहर चलाई है। आप जी के मानवता के प्रति परोपकार वर्णन से परे हैं।
4-5 वर्ष की उम्र में परम पिता जी से प्राप्त किया गुरूमंत्र
आप जी ने बाल अवस्था के दौरान ही 4-5 वर्ष की उम्र में परम पिता शाह सतनाम जी महाराज से गुरूमंत्र की अनमोल दात ग्रहण की तथा निरंतर रूहानी सत्संग पर आते और परम पिताजी का प्यार प्राप्त करते। पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज के पावन आदेश पर आप जी ने घर परिवार का त्याग करते हुए 23 सितम्बर 1990 को अपना सर्वस्व परम पिता जी के चरणों में समर्पित कर दिया। इस पाक पवित्र अवसर पर पूजनीय परमपिता जी ने ‘हम थे (पूज्य बेपरवाह साईं मस्ताना जी महाराज के रूप में), हम हैं (परमपिता शाह सतनाम जी के रूप में) और हम ही (पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के रूप में) रहेंगे’ वचन फरमाकर रूहानियत में एक नई मिसाल कायम की। यही नहीं, सभी शंकाओं का निवारण करते हुए लगभग सवा साल तक पूज्य परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने पूजनीय हजूर पिता जी को अपने साथ शाही स्टेज पर सुशोभित किया।
…और बनते चले गए मानवता भलाई के विश्व कीर्तिमान
पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने 6 करोड़ लोगों को बुराइयों की दलदल से निकालकर मानवता, सच्चाई व नेकी के मार्ग चलाया। पूज्य गुरु जी ने 134 मानवता भलाई कार्य शुरू कर सामाजिक व नैतिक क्रांति का आगाज किया। जो आज पूरी दुनिया के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। मानवता भलाई कार्यों में आज डेरा सच्चा सौदा के नाम एक-दो नहीं बल्कि 79 गिनीज वर्ल्ड रिकॉडर्स व एशिया बुक ऑफ़ रिकॉडर्स दर्ज हैं। अब तक मिले 79 वर्ल्ड रिकॉर्डों में से पूज्य गुरू जी के नाम रक्तदान, नेत्रदान, महा सफाई अभियान, पौधारोपण, रक्तचाप (ब्लडप्रैशर) जांच, कोलेस्ट्राल जांच, डाइबीटिज जांच व दिल की इको जांच सहित विभिन्न क्षेत्रों में गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स दर्ज हैं।
दिनांक- 15 अगस्त सन् -1967 को परम पिता जी ने किए वचन
स्थान- शाह सतनाम जी धाम सरसा सुबह का समय, परम पिता शाह सतनाम जी महाराज मजलिस के लिए तेरावास (गुफा) से बाहर आए, चेहरे पर विशेष रूहानी तेज, मंदमंद मुस्कान आते ही सेवादारों को हुक्म फरमाया, ‘‘ आज स्टेज का मुंह पश्चिम की ओर करो, बेपरवाह मस्ताना जी ने जिस तीसरी बॉडी के लिए वचन किए थे, उस ताकत ने आज इधर (अंगुली से पश्चिम दिशा की ओर इशारा करते हुए) जन्म लिया है।
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