विपक्षी दलों का वॉकआउट
नई दिल्ली (एजेंसी) तलाक-ए-बिद्दत या तीन तलाक को गैर-कानूनी बनाने (Three Divorce Bill passed in Lok Sabha) तथा ऐसा करने पर तीन साल की कैद एवं जुमार्ने के प्रावधान वाला मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2018 कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के बहिर्गमन के बीच आज लोकसभा में पारित हो गया। विधेयक में यह प्रावधान है कि सिर्फ पीड़ित महिला, उससे खून का रिश्ता रखने वाले तथा विवाद से बने उसके रिश्तेदार ही प्राथमिकी दर्ज करा सकेंगे। साथ ही पीड़िता का पक्ष सुनने के बाद मजिस्ट्रेट को सुलह कराने और आरोपी को जमानत देने का भी अधिकार होगा, हालाँकि थाने से जमानत की अनुमति नहीं होगी।
करीब साढेÞ चार घंटे चली चर्चा
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विधेयक पर करीब साढेÞ चार घंटे चली चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि विधेयक मुस्लिम महिलाओं को सम्मान और बराबरी का हक देता है। इसमें पीड़ित महिला प्राथमिकी दर्ज करायेगी और यदि वह नहीं करा पायी तो उससे खून का रिश्ता रखने वाले संबंधी प्राथमिकी दर्ज करा सकेंगे। आरोपी को तीन साल की कैद और जुर्माने का इसमें प्रावधान है। इससे पहले पिछले साल मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 लोकसभा से पारित हुआ था, लेकिन अभी वह राज्यसभा में लंबित है। उसकी जगह सरकार नया विधेयक लेकर आयी है जो इस साल सितंबर में लागू किये गये मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अध्यादेश का स्थान लेगा।
11 संशोधनों पर मतविभाजन भी मांगा लेकिन सभी संशोधन भारी अंतर से गिर गये
एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवेसी, आरएसपी के एन.के. प्रेमचंद्रन तथा बीजू जनता दल के भर्तृहरि महताब ने विधेयक में 13 संशोधन पेश किये, लेकिन सदन ने सभी को अस्वीकार कर दिया। इनमें विपक्षी दलों के सदस्यों ने 11 संशोधनों पर मतविभाजन भी मांगा लेकिन सभी संशोधन भारी अंतर से गिर गये। इससे पहले कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे तथा अन्नाद्रमुक के पी.वेणुगोपाल ने विधेयक का विरोध किया और कहा कि इसे संयुक्त प्रवर समिति को भेजा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि उनकी बात नहीं मानी जाती है तो वे सदन से बहिर्गमन करेंगे। इसके साथ ही समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी तथा अन्नाद्रमुक ने सदन से बहिर्गमन किया।
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