सरसा (सच कहूँ/सुखजीत मान)। डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज से नाम की अनमोल दात प्राप्त करने वाले डेरा श्रद्धालु बताते हैं कि जो वचन साईं जी ने किए या पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज ने किए, वह लगातार पूरे होते देख रहे हैं। इन श्रद्धालुओं का यह भी कहना है कि भले कहने वाले कुछ भी कहते रहें, लेकिन डेरा सच्चा सौदा सभी धर्मों का सत्कार करता है व सभी को सभी धर्मों का सत्कार करना सिखाता है, क्योंकि उन्होंने बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज से लेकर अब तक कभी भी कोई ऐसे वचन-विलास नहीं सुने जो किसी के दिल को ठेस पहुंचाने वाले हों। Sirsa News
1. सन् 1954 में बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज से नाम की अनमोल दात प्राप्त करने वाले गांव रामपुर थेड़ी से मोहन सिंह इन्सां (94) बताते हैं कि ‘वही आवाज, वही अंदाज और वचन सुनने’ पर लगता है कि बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज ही पावन वचन फरमा रहे हैं, कहीं कोई फर्क नहीं है, दिल को सुकून देती है आवाज। उन्होंने कहा कि जो लोग भांत-भांत की बातें डेरा सच्चा सौदा के बारे में करते हैं, उनकी देखने वाली आंख में फर्क हो सकता है, लेकिन सार्इं शाह मस्ताना जी से लेकर पूज्य गुरु जी तक किसी भी बात में कोई फर्क नहीं है। उन्होंने अपने आप को भागों वाला समझते कहा कि उनके घर पूजनीय बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज, पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज व पूज्य हजूर पिता जी ने पावन चरण-कमल टिकाए हैं। Sirsa News
2. वहीं जिला सरसा के गांव कुत्तावढ़ के दो डेरा श्रद्धालुओं और दोनों के नाम ही स्वर्ण सिंह इन्सां हैं, जिन्होंने शाह मस्ताना जी से जुड़ी यादों को सांझा किया। इन दोनों की आयु में बड़े स्वर्ण सिंह ने कहा कि जब उसने नाम की अनमोल दात प्राप्त की थी तो तब डेरे (सार्इं शाह मस्ताना जी धाम) की चारदीवारी कांटों से की हुई थी। उस समय में पूजनीय बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज द्वारा फरमाए जाते पावन अनमोल वचनों संबंधी पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि वह वचन आज ज्यों के त्यों पूरे हो रहे हैं, जो हमनें अपने कानों से सुने थे और आज अपनी आंखों से वह वचन पूरे होते देख रहे हैं। Sirsa News
3. वहीं दिल्ली निवासी दरबारा सिंह (76) ने बताया कि उन्होंने 1960 में बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज से गांव चोरमार में नाम-शब्द प्राप्त किया था। उन्होंने बताया कि भले ही शाह मस्ताना जी महाराज के ज्यादा दर्शन करने का उस समय मौका नहीं मिला, लेकिन जिस तरह शाह मस्ताना जी साध-संगत के सेवाकार्यों से खुश होकर हौंसला अफजाई करते थे, उसी तरह ही पूज्य हजूर पिता जी भी करते हैं। उन्होंने बताया कि उनके पिता हाथी राम बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज के आगे घूंघरू बांधकर नाचते थे। बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज ने पावन वचन फरमाए कि इतनी साध-संगत होगी, नेजिया से थाली फैंकी तो शहर तक नीचे नहीं गिरेगी और अब वह वचन ज्यों के त्यों पूरे होते दिखाई दे रहे हैं। Sirsa News
4. गांव जोतावाली निवासी मुकंद सिंह इन्सां ने बताया कि उन्होंने मलोट में पूजनीय बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज से नाम की अनमोल दात प्राप्त की। उनकी चौथी पीढ़ी भी डेरा सच्चा सौदा के साथ जुड़ी हुई है।
5. दिल्ली निवासी अल्का इन्सां ने बताया कि वह शाह मस्ताना जी महाराज से लेकर लगातार अब तक डेरा सच्चा सौदा के साथ जुड़ी हुई हैं। डेरा सच्चा सौदा द्वारा सभी से प्रेम करना सिखाया जाता है। वह कल भी डेरा सच्चा सौदा के साथ थीं, आज भी हैं और आगे भी हमेशा इसी तरह जुड़ी रहेंगी।
6. अमरदाना (राजस्थान) निवासी सजना इन्सां ने बताया कि उनके गांव लालपुरा में उनके घर पूजनीय बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज का उतारा था तो तब उन्होंने नाम की अनमोल दात प्राप्त की थी। उन्होंने बताया कि तीनों पातशाहियों के उनके घर अपने पावन चरण-कमल टिकाए हैं। पूजनीय बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज बूंदी, कपडेÞ, लड्डू बांटते, पूजनीय परम पिता जी भी इसी तरह ही करते और पूज्य हजूर पिता जी द्वारा और तेज रफ्तार से उसी तरह मानवता भलाई के कार्य कर रहे हैं।
7. वहीं मलोट में पूजनीय बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज से नाम शब्द हासिल करने वाले फाजिल्का निवासी चरनजीत कौर इन्सां ने भी बेपरवाह सार्ईं जी के साथ जुड़ी यादों को सांझा किया। Sirsa News
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