सरसा। सच्चे रूहानी रहबर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि इस संसार में वो लोग भाग्यशाली हैं, जो संतों की बात सुनकर उस पर अमल कर लिया करते हैं। आज मनमते लोग अपने-अपने काम-धंधों में लगे हुए हैं और अपनी ही वजह से दु:खी हैं। दूसरों को दोष देना सही नहीं है। आप कोई ऐसे कर्म कर बैठते हैं, कार्य में लीन हो जाते हैं, जो गुनाह बन जाता है और जब उसका फल भोगना पड़ता है तब आप सोचते हैं कि मैंने यह कर्म नहीं किया, मैंने तो ऐसा सोचकर नहीं किया था। आपके सोचने से कोई लेना-देना नहीं है बल्कि आपने कैसा कर्म किया है, यह देखने वाली बात है। इसलिए इन्सान को बुरे कर्म नहीं करने चाहिए। Gurmeet Ram Rahim Ji
आप जी फरमाते हैं कि संत, पीर-फकीर समझाते हैं, माफ करते हैं लेकिन आगे तो अल्लाह, राम के हाथ में होता है। संत ने तो दुआ करनी होती है, वो कबूल करता है या नहीं, यह उसकी मर्जी है। इसलिए आप उस परमपिता, परमात्मा का सुमिरन करते रहो। अपने आपको बुराइयों से बचाकर रखो। अगर बुराई के हाथों में अपना दामन दे दिया तो तड़पने के सिवाय कुछ भी हासिल नहीं होगा।
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि श्रीराम जी ने किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा था। फिर भी कैकेयी ने उन्हें दोषी बनाया। इसके बाद किसी ने भी किसी का नाम कैकेयी नहीं रखा। ‘राम’ शब्द तो बहुतों के साथ जुड़ा हुआ है, लेकिन कैकेयी या मंथरा किसी का भी नाम नहीं है। इसलिए इन्सान को बुराई नहीं करनी चाहिए क्योंकि बुराई इन्सान को दोनों जहान में डूबो देती है।
साध-संगत द्वारा किया गया प्रण…| Gurmeet Ram Rahim Ji
- खाना बनाते व खाते समय सिमरन किया करेंगे।
पूज्य गुरु जी को बाइज्जत बरी करना, माननीय हाई कोर्ट का सम्मानजनक फैसला