डॉक्टरी की पढ़ाई करने वालों को सरकारी सेवा के लिए नहीं किया जाएगा मजबूर

Those studying for a doctor will not be forced to serve the government

प्रदेश सरकार ने किया दावा 

  • एमबीबीएस डिग्री के लिए हर साल भरना होगा 10 लाख का बॉण्ड

चंडीगढ़ (अनिल कक्कड़)। प्रदेश की मनोहर लाल सरकार ने (Studying for a Doctor) एमबीबीएस करने वाले छात्रों के लिए 10 लाख रुपए बांड की शर्त तय किए जाने वाली योजना को अनूठी व इसे प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी की योजना करार देने की कवायद शुरू हो गई है। सरकार ने दावा किया है कि इस योजना के अंतगर्त छात्रों को सरकारी सेवा के लिए मजबूर करने के बजाय कहीं भी काम करने के विकल्प को बरकरार रखा गया है।

इस बाबत एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि राज्य में डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार सरकार द्वारा हाल ही में नई नीति की शुरूआत की गई है। इस नीति के अधीन, जो छात्र एम.बी.बी.एस. डिग्री के लिए चयनित होता है तो उसे प्रवेश के समय 10 लाख रुपए वार्षिक बॉण्ड का भुगतान करना होगा, जिसमें एम.बी.बी.एस. कोर्स की पूरी अवधि की वार्षिक फीस शामिल नहीं होगी। उम्मीदवार के पास सरकार द्वारा प्रदान की गई सुविधा अनुसार बैंक से शिक्षा ऋण प्राप्त करने या ऋण लिए बिना संपूर्ण बॉन्ड राशि का भुगतान करने का विकल्प होगा।

कर्ज लेने से वंचित नहीं रहेगा कोई विद्यार्थी, सरकार देगी गारंटी

प्रवक्ता ने बताया कि किसी भी अभ्यर्थी को शिक्षा ऋण प्रदान करने से इनकार या वंचित नहीं रखा जाएगा। राज्य सरकार शिक्षा ऋण सुविधा का लाभ उठाने वाले प्रत्येक छात्र को ऋण राशि की 100 प्रतिशत सीमा तक क्रेडिट गारंटी प्रदान करेगी ताकि उम्मीदवार को किसी भी कारण से ऋण देने से वंचित न किया जाए। ऋण प्राप्त करने के लिए उम्मीदवार को किसी भी प्रकार की सिक्योरिटी या कॉलेटरल देने की आवश्यकता नहीं होगी। इस उद्देश्य के लिए राज्य सरकार ने उच्च शिक्षा ऋण क्रेडिट गारंटी योजना को अलग से अधिसूचित किया है।

सरकारी नौकरी पर सरकार करेगी कर्ज का भुगतान

प्रवक्ता ने बताया कि स्नातक स्तर (इंटर्नशिप सहित) पर यदि उम्मीदवार निर्दिष्ट प्रक्रिया के अनुसार राज्य सरकार के किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान में रोजगार प्राप्त करने में सफल होता है, उसके बाद, जब तक उम्मीदवार राज्य सरकार के सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान की सेवा में कार्यरत होगा, राज्य सरकार ऋण की किस्तों (मूल राशि और ब्याज सहित) का भुगतान करेगी, जो वेतन और देय भत्ते के अतिरिक्त होगा।

निजी क्षेत्र में जाना है तो खुद भरना होगा कर्ज और ब्याज

उन्होंने बताया कि अगर उम्मीदवार राज्य सरकार के किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान में रोजगार प्राप्त करने की इच्छा नहीं रखता है, तो उम्मीदवार ऋण (ब्याज सहित) की अदायगी के लिए उत्तरदायी होगा। ऋण प्रदान करने वाले बैंक या राज्य सरकार, जैसा भी मामला हो, डिफॉल्ट राशि की वसूली करेगा या समय-समय पर अधिसूचित नीति के अनुसार वसूली के लिए कार्रवाई करेगा।

नौकरी नहीं मिली तो भी निकाला उपाय

प्रवक्ता ने बताया कि यदि उम्मीदवार स्नातक होने के बाद भी बेरोजगार रहता है या निरंतर प्रयासों के बावजूद किसी भी प्रकार का सरकारी रोजगार (अनुबंध रोजगार सहित) प्राप्त करने में असमर्थ रहता है तो राज्य सरकार द्वारा प्रदान की गई गारंटी को लागू किया जा सकता है और छात्र पर किसी भी प्रकार का दबाव डाले बिना राज्य सरकार क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट के माध्यम से ऋण राशि का भुगतान करेगी।

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।