La Nina: इस साल पड़ने वाली है कड़ाके की ठंड, मौसम विभाग ने दी ये जानकारी

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La Nina: इस साल पड़ने वाली है कड़ाके की ठंड, मौसम विभाग ने दी ये जानकारी

हिसार (सच कहूँ/संदीप सिंहमार)। La Nina: भारतीय मौंसम विभाग ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया हैं कि सितंबर के अंत में ला-नीनो एक्टिव हो सकती हैं, वही मौसम विभाग ने क हां कि सितंबर के अंत में पड़ने वाली ठंड़ चेतावनी के रूप में काम कर सकती है। प्रतिवर्ष ला-नीना के चलते तापमान में काफी गिरावट देखने को मिलती हैं, जिस दौरान अक्सर भारी बारिश देखने को मिलती हैं।

15 अक्टूबर से पहले खत्म होगा मानसून | La Nina

प्रतिदिन मौसम मे बदलाव को देखते हुए मौसम विभाग ने कहा कि ला-नीनो परिस्थतियां अब मॉनसून के आखिरी हफ्ते या इसके खत्म होने पर ही विकसित हो सकती हैं। अगर सर्दियों की शुरूआत से ठीक पहले ला-नीनो परिस्थितियां बनी, तो दिसंबर के मध्य से जनवरी तक कड़ाके की ठंड़ पड़ सकती है। वहीं मौसम विभाग का अनुमान है कि ला-नीनो के सितंबर से नवंबर के दौरान 66 फीसदी सर्दी की संभावना है। वहीं नवंबर से जनवरी 2025 तक इसके उत्तरी गोलार्ध में बने रहने के आसार 75 फीसदी से भी अधिक हैं।

मौसम विभाग ने कहा कि फिलहाल पश्चिमी प्रशांत महासागर में सतह का तापमान औसत से अधिक है, जबकि पूर्वी प्रशांत महासागर में औसत नीचे बना हुआ है। दोनों छोर के ता पमान के बीच अंतर शून्य के करीब हैं। आमतौर पर 15 अक्टूबर तक मॉनसून खत्म हो जाता है। वहीं सितंबर से नवंबर के बीच मौसम में काफी परिवर्तन हो सकता है। जिस दौरान अक्टूबर के अंत तक दक्षिण भारत में उत्तर-पूर्वी मॉनसून आता है, जिस पर ला-नीना का असर हो सकता है।

क्या है ला नीनो और एल नीनो | La Nina

ला नीनो और एल नीनो दोनों ही समुद्री और वायुमंडलीय घटनाएं हैं, जो आमतौर पर अप्रैल और जून के बीच शुरू होती हैं और अक्टूबर से फरवरी तक गति पकड़ लेती हैं।

ला नीनो एक स्पेनिश शब्द जिसका अर्थ ‘एक लड़की’ होता है, यह एल नीनो के विपरीत है, यह पूरी तरह से विपरीत जलवायु में परिवर्तन के लिए जिम्मेदार है। ला-नीनो एक मजबूत पूर्वी जलधारा समुद्र के पानी का रूख पश्चिम की ओर मोड़ देती है, जिसके चलते समुद्र की सतह हमेशा ठंडी रहती हैं। वहीं भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र की सतह ठंडी हो जाती है। वहीं यह एल नीनो के बिल्कुल विपरीत है, एल नीनो का स्पेनिश में अर्थ ‘एक छोटा लड़का’ होता है और यह व्यापारिक हवाओं के कमजोर होने के कारण गर्म समुद्री परिस्थितियों को उत्पन्न करता है, जिससे गर्म पानी अमेरिका के पश्चिमी तट से होकर पूर्व की और चला जाता हैं। La Nina

हालांकि, ये जलवायु घटनाएं आमतौर पर सितंंबर से दिसंबर के महीने तक चलती हैं, परंतु कभी-कभी ये दो साल तक भी जारी रह सकती हैं। किंन्तु जब परिस्थितियां एल नीनो या ला नीनो द्वारा बाधित होती हैं, तो वैश्विक जलवायु में काफी महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं. क्योंकि अल नीनो प्रशांत महासागर के क्षेत्र में गर्म हवा के तापमान को परिणामस्वरूप, गर्म वैश्विक तापमान की ओर ले जाने का काम करती है, वहीं ला नीनो समुद्र की सतह के ऊपरी वायुमंडल को ठंडा करके इसके बिल्कुल विपरीत होता हैं। La Nina

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