1996 Drug-Planting Case : समय बीता और आखिर वह समय आया जब घटना के दो दशक से अधिक समय के बाद, 28 मार्च को गुजरात के पालनपुर की एक सत्र अदालत ने एक वकील को फंसाने की साजिश के तहत ड्रग्स लगाने के 1996 के मामले में बर्खास्त आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को सलाखों के पीछे भेज दिया। कोर्ट ने उसे 20 साल जेल की सजा सुनाई है। Gujarat News
आईपीएस को यह सजा 28 मार्च को सुनाई गई और इसके एक दिन बाद अदालत ने भट्ट को 1996 में यह दावा करके राजस्थान के एक वकील को झूठा फंसाने का दोषी पाया कि पुलिस ने पालनपुर के एक होटल के कमरे से ड्रग्स जब्त किया था, जहां वकील रह रहा था।
अदालत ने स्पष्ट किया है कि उक्त आईपीएस को लगातार 20 साल जेल की सलाखों के पीछे गुजारने पड़ेंगे। जिसका अर्थ है कि यह जामनगर हिरासत में मौत मामले में आजीवन कारावास की सजा समाप्त होने के बाद शुरू होगी जो वह वर्तमान में काट रहे हैं।
2018 से जेल में बंद | Gujarat News
2015 में, भट्ट को गृह मंत्रालय द्वारा बल से बर्खास्त कर दिया गया था और 2018 से वह सलाखों के पीछे हैं, जब उन्हें गिरफ्तार किया गया था और बाद में हिरासत में मौत के मामले में सजा सुनाई गई थी। बुधवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश जे.एन. ठक्कर ने भट्ट को नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत दोषी ठहराया। सजा की अवधि गुरुवार को सुनाई गई। अदालत ने उन पर 2 लाख का जुर्माना भी लगाया और कहा कि अगर वह इसका भुगतान करने में विफल रहे तो उन्हें एक अतिरिक्त वर्ष जेल में बिताना होगा। पूर्व पुलिस अधिकारी को भारतीय दंड संहिता की धारा 167 (चोट पहुंचाने के इरादे से गलत दस्तावेज तैयार करना), 465 (जालसाजी) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत दोषी ठहराया गया था।
कोर्ट ने उन्हें एनडीपीएस अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत भी दोषी ठहराया है, जिसमें धारा 21 (ड्रग्स का कब्जा), 27 ए (अवैध तस्करी का वित्तपोषण और अपराधियों को शरण देना) और 58-2 (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण रूप से किसी को गिरफ्तार करने या तलाशी लेने के लिए गलत जानकारी देना) शामिल है)। कोर्ट के फैसले के बाद भट्ट के वकील एस.बी. ठाकोर ने मीडियाकर्मियों से कहा कि उनके मुवक्किल फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे। Gujarat News