Diwali Festival: भारत एक ऐसा देश है जहां त्योहारों का सीधा संबंध हमारी सांस्कृतिक धरोहर, परंपराओं और खुशियों से होता है। दीपावली, होली, ईद, क्रिसमस जैसे बड़े त्योहार न सिर्फ हमारे धार्मिक आस्था का प्रतीक हैं, बल्कि ये समाज में एकजुटता और सौहार्द्र का भी संदेश देते हैं। इन अवसरों पर मिठाइयां और अन्य खाद्य पदार्थों का आदान-प्रदान हमारी परंपराओं का अहम हिस्सा है। हालांकि, समय के साथ इन त्योहारों में मिलावटखोरी और स्वार्थपूर्ण लालसा ने गंभीर रूप धारण कर लिया है। आज के दौर में त्योहारों के इस पवित्र भाव के बीच मिलावट प्रमुख चिंता का विषय बन गया है, जो न सिर्फ त्योहार की मिठास को कम कर रहा है, बल्कि हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बड़ा खतरा पैदा कर रहा है। Diwali 2024
दरअसल त्योहारों के दौरान मिठाइयों की मांग अत्यधिक बढ़ जाती है। यह अवसर न केवल परिवारों और दोस्तों के बीच मिठास बांटने का होता है, बल्कि व्यापारियों के लिए भी अधिक लाभ कमाने का समय होता है। हालांकि, कुछ विक्रेता इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए गलत तरीके अपनाते हैं और मिलावटी सामग्री का इस्तेमाल करते हैं। मिठाइयों में मिलावट की समस्या ने पिछले कुछ वर्षों में गंभीर आकार ले लिया है।
विशेष रूप से दीपावली के समय यह समस्या और भी विकराल हो जाती है, क्योंकि मावा (खोया) और अन्य सामग्री की मांग चरम पर होती है। मिलावटखोर नकली मावा, सस्ते और हानिकारक खाद्य रंगों, नकली घी, सस्ता तेल और अन्य घटिया सामग्री का इस्तेमाल करके मिठाइयां तैयार करते हैं। ये मिलावटी मिठाइयां न सिर्फ स्वादहीन होती हैं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक भी होती हैं। मिलावटी मिठाइयों का सेवन करने से फूड पॉइजनिंग, एलर्जी, पेट संबंधी समस्याएं और यहां तक कि लंबे समय तक इनके सेवन से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं।
त्योहारों के दौरान मावा (खोया) का प्रयोग विभिन्न प्रकार की मिठाइयों जैसे बर्फी, पेडे, गुलाब जामुन आदि में होता है। इस मांग को पूरा करने के लिए कुछ विक्रेता सिंथेटिक दूध, स्टार्च और सस्ता तेल मिलाकर नकली मावा तैयार करते हैं। इसके अलावा मिठाइयों में उपयोग किए जाने वाले रंग अक्सर रासायनिक होते हैं, जो हमारे शरीर पर दीर्घकालिक प्रभाव डालते हैं। खाद्य पदार्थों में रंग और स्वाद को आकर्षक बनाने के लिए कुछ विक्रेता सस्ते और हानिकारक रासायनों का उपयोग करते हैं, जो शरीर के लिए धीमा जहर साबित हो सकते हैं। कई बार ये रासायन पेट और आंतों में सूजन, एसिडिटी, अपच जैसी समस्याओं का कारण बनते हैं। मिलावट की यह प्रवृत्ति न सिर्फ स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि समाज में लोगों के बीच अविश्वास की भावना को भी बढ़ाती है।
मिलावट की समस्या पर अंकुश लगाने के लिए प्रशासन और सरकार की जिम्मेदारी है। त्योहारों के दौरान विशेष रूप से मिठाइयों की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए और नियमित रूप से बाजारों की जांच की जानी चाहिए। खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण जैसी संस्थाओं को कड़े मानकों का पालन करवाना चाहिए और जिन दुकानों में मिलावट पाई जाए, उन पर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। इसके लिए दोषी दुकानदारों पर जुर्माने लगाने और जेल भेजने तक के प्रावधान होने चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की गतिविधियों को रोका जा सके।
लेकिन केवल प्रशासनिक कार्रवाई से इस समस्या का समाधान संभव नहीं है। उपभोक्ताओं की जागरूकता भी उतनी ही जरूरी है। उपभोक्ताओं को मिठाइयां खरीदते समय सतर्क रहना चाहिए और हमेशा प्रतिष्ठित ब्रांड या दुकानदारों से ही खरीदारी करनी चाहिए। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि मिठाइयां खाद्य सुरक्षा मानकों का पालन करती हों और उनके निर्माण में उपयोग की गई सामग्री उच्च गुणवत्ता की हो। इसके अलावा उपभोक्ताओं को मिठाइयों की गुणवत्ता जांचने के लिए खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के प्रमाणन की जांच करनी चाहिए।
मिलावट के खतरे से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि त्योहारों के समय मिठाइयां घर पर बनाई जाएं। घर पर मिठाइयां तैयार करने से सामग्री की शुद्धता और गुणवत्ता का ध्यान रखा जा सकता है। घर की बनी मिठाइयां न सिर्फ सुरक्षित होती हैं, बल्कि इनमें प्यार और परिश्रम का अनमोल तत्व भी होता है, जो त्योहार की मिठास को और बढ़ा देता है। अगर किसी कारणवश घर पर मिठाइयां बनाना संभव न हो, तो मिठाई खरीदते समय भरोसेमंद दुकानों से ही खरीदारी करनी चाहिए। ऐसे प्रतिष्ठानों से मिठाई खरीदें जो शुद्धता और गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।
इसके अलावा कोशिश करें कि मिठाइयां खरीदने से पहले उनकी गुणवत्ता की जांच करें। अगर मिठाई में अप्राकृतिक रंग या स्वाद महसूस हो, तो उसे न खरीदें और तुरंत खाद्य सुरक्षा विभाग को इसकी शिकायत करें। हमें अपने त्योहारों की मिठास को मिलावट के कड़वे सच से बचाने के लिए जिम्मेदारीपूर्वक व्यवहार करना होगा। जब हर व्यक्ति अपनी और अपने परिवार की सेहत के प्रति जागरूक रहेगा, तभी त्योहारों की मिठास को सही मायने में संजोया जा सकेगा।
देवेन्द्रराज सुथार (यह लेखक के अपने विचार हैं) Diwali 2024
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