Haryana News: हिसार, डॉ. संदीप सिंहमार। पुंडरी विधानसभा सीट, हरियाणा के कैथल जिले में स्थित है, और इसका राजनीतिक इतिहास बेहद दिलचस्प है। यह सीट 1967 में अस्तित्व में आई थी। 1996 से लेकर 2019 तक की चुनावी अवधि में निर्दलीय उम्मीदवार लगातार इस सीट पर विजय प्राप्त करते आ रहे हैं, जबकि बीजेपी खाता भी नहीं खुला है। जबकि कांग्रेस पुंडरी विधानसभा सीट से चार बार जीत का स्वाद चख चुकी है। पर कांग्रेस को भी आखिरी बार 1991 के विधानसभा चुनाव में जीत मिली थी। उसके बाद से अब तक कांग्रेस यहां से जीत दर्ज नहीं कर सकी।
Haryana Railway: हरियाणा के इस जिले की जल्द बदलेगी तस्वीर, रेलवे विभाग ने दी ये बड़ी जानकारी
2019 में निर्दलीय गोलन बने थे विधायक | Haryana News
रणधीर सिंह गोलन, जो इस समय निवर्तमान विधायक हैं, ने 2019 के चुनाव में कांग्रेस के सतबीर भाना को हराया था। गोलन को 41,008 वोट मिले थे जबकि भाना को 28,184 वोट मिले थे, जिससे गोलन ने 12,824 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। 2019 के चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार वेदपाल एडवोकेट को 20,990 वोट मिले थे, लेकिन वह भी हार गए थे।
इस बार 18 उम्मीदवार मैदान में
इस बार पुंडरी विधानसभा क्षेत्र में 18 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिसमें गोलन को एंटी इनकंबेंसी का सामना करना पड़ रहा है। पुंडरी क्षेत्र को रोड बाहुल्य माना जाता है, जहाँ रोड की आबादी 60 फीसदी से अधिक है। इसके अलावा, ब्राह्मण और जाट वोट भी इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण हैं।
वोट बंटवारे का डर | Haryana News
2014 के चुनाव में कई रोड उम्मीदवार मैदान में हैं, जिससे संभावित वोट बँटवारे का खतरा है। बीजेपी ने सतपाल जांबा और कांग्रेस ने सुल्तान जड़ौला को अपने उम्मीदवारों के रूप में मैदान में उतारा है। पुंडरी विधानसभा सीट का इतिहास, जातिगत विभाजन और वर्तमान चुनावी परिदृश्य इसे एक महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण सीट बनाते हैं। देखते हैं कि इस बार के चुनाव में क्या परिणाम आता है और क्या निर्दलीय उम्मीदवारों का दबदबा बना रहेगा या किसी पार्टी को विजय मिलेगी।