प्यासी रूहें.. पुकार रही हैं, पिया मेरे कब आओगे
दर्शन की ये प्यास ओ रब्बा, आकर तुम्हीं बुझाओगे
तेरे दीवाने, तेरी राहों में फूल बिछाए बैठे हैें
ईद दिवाली साथ मनेगी, आस लगाए बैठे हैें
पतझड़ के इस मौसम में कब बहारें लाओगे??
प्यासी रूहें.. पुकार रही हैं, पिया मेरे कब आओगे
दर्शन की ये प्यास ओ रब्बा, आकर तुम्हीं बुझाओगे
बेरहम हुई दुनिया सारी, दया धर्म की बात नहीे
सब लगता है सूना-सूना जब से तुम साथ नहीे
सूख चुका आँखों का पानी कितना और रुलाओगे??
प्यासी रूहें.. पुकार रही हैं, पिया मेरे कब आओगे
दर्शन की ये प्यास ओ रब्बा, आकर तुम्हीं बुझाओगे
पूरी दुनिया इक पासे…. इक पासे प्यार तुम्हारा हैे
इस धरती से उस अम्बर तक, तुम बिन कौन हमारा हैे
दास तेरा ये पूछ रहा है, क्या- क्या तुम लिखवाओगे??
प्यासी रूहें.. पुकार रही हैं, पिया मेरे कब आओगे
दर्शन की ये प्यास ओ रब्बा, आकर तुम्हीं बुझाओगे
…………. ✍️ त्रिदेव दुग्गल
युवा कवि एवं गीतकार
मुंढाल खुर्द (हरियाणा)
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