संपादकीय : लोगों के हाथ में है तीसरी लहर आने दें या नहीं

Corona-Story

पूरा विश्व एक अनिश्चितता के माहौल से गुजर रहा है। कुछ देशों में टीकाकरण तेजी से हो रहा है, तो कुछ देशों में ऐसे अभियान के बीच में ही कोरोना संक्रमण में बढ़ोतरी की चुनौती सामने आ गई। भारत में टीकाकरण हो रहा है और इस मामले में बहुत सारा काम अभी बाकी है। डेढ़ साल के महामारी के दौर में दुनियाभर में 18 करोड़ के आसपास लोग संक्रमित हुए हैं और करीब 40 लाख लोगों की मौत हुई है। हमारे देश में पहली लहर के दौरान एक दिन में सबसे अधिक मौतों की संख्या 1200 थी, जबकि दूसरी लहर में यह आंकड़ा 4500 से ऊपर रहा।

दूसरी लहर की अत्यधिक संक्रामकता के कई कारण हो सकते हैं। इनमें एक वजह कोरोना वायरस के रूप में बदलाव है। अब जो हमारे सामने वायरस के वैरिएंट हैं, जैसे- डेल्टा, गामा, अल्फा, बीटा आदि- वे पूर्ववर्ती वायरस के म्यूटेंट हैं। किसी भी वायरस में म्यूटेशन होना आम बात है। इन बदलावों में कुछ उसके संक्रमण को बढ़ाने और संक्रमित को गंभीर रूप से बीमार करने का कारण बनते हैं, जिससे वह जल्दी खत्म नहीं होता। डेल्टा के अलावा पहले उल्लिखित सभी वैरिएंट हमारे देश में भी मिले हैं, पर सबसे अधिक संक्रामक अल्फा है, जो सबसे पहले ब्रिटेन में पाया गया था। दूसरी लहर के दौरान ऐसा कहा गया कि वैज्ञानिकों ने समय रहते ऐसी आपदा के बारे में चेतावनी नहीं दी थी। अब सभी तीसरी लहर की आशंका जता रहे हैं, जिसमें शायद बच्चे सबसे अधिक प्रभावित हो सकते हैं।

इस कारण चिंता भी अधिक है। हमारे यहां 18 साल से कम आयु के बच्चों की आबादी 40 प्रतिशत है। इनके लिए देश में अभी वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। पर तीसरी लहर के आने या न आने को लेकर कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकता क्योंकि इसके लिए बहुत सारी जानकारियों की दरकार है। सो, अभी जताई जा रही आशंकाएं अटकलें ही हैं। लेकिन, जो भी लहर आए और जब भी आये, जो हमें बचने के लिए करना है, उसमें कोई खास परिवर्तन नहीं आया है। हम संक्रमण से बचे रहने के लिए जो कुछ आज कर रहे हैं, वही उपाय हमें आगे भी करते रहना है। अगर तीसरी लहर आती भी है, तो ऐसा करने से उसका प्रभाव कम-से-कम होगा। तीसरी बात, जो ध्यान में रखनी है, वह यह है कि वायरस के विभिन्न रूपों का प्रसार कितना बढ़ता या घटता है। यदि उसका फैलाव बढ़ता है, तो फिर हमें अधिक सतर्क हो जाना चाहिए। चौथी अहम चीज यह है कि हमें टीकाकरण अभियान को तेज करना है।

हमें वायरस को कोई भी ऐसा मौका नहीं देना चाहिए कि वह हम पर हमलावर हो सके। हमें ध्यान रखना चाहिए कि वायरस हर स्थिति में हमारे आसपास है यानी वह घरों में है, सड़कों पर है, भीड़-भाड़ की जगहों में है. हमारा पूरा ध्यान इसे रोकने पर होना चाहिए। अब तक उपलब्ध जानकारी के मुताबिक यह वायरस मुंह, नाक और आंख से शरीर में प्रविष्ट होता है। यदि हम यहां सावधान रहें, तो इसका मतलब यह होगा कि वायरस पर बड़ी रोक लगा दी गई। अगर कोरोना वायरस के म्यूटेंट फैलते भी हैं, तो यह हमारे हाथ में है कि हम तीसरी लहर को आने दें या नहीं। अब सब कुछ हमारे व्यवहार और रोधक क्षमता पर निर्भर करता है।

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