Glanders Disease: हिसार में ग्लैण्डर बीमारी की एंट्री से हड़कंप

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Glanders Disease: हिसार में ग्लैण्डर बीमारी की एंट्री से हड़कंप

एक खच्चर मिला पॉजिटिव, हिसार को नियंत्रित क्षेत्र किया घोषित

हिसार (सच कहूँ/संदीप सिंहमार)। Glanders Disease: हिसार में अश्व प्रजाति की सबसे गंभीर बीमारी ग्लैण्डर्स का संदिग्ध मामला सामने आने से हड़कंप मच गया। एक खच्चर पॉजिटिव मिलने के बाद, जिलाधिकारी और पशुपालन विभाग ने अश्व प्रजाति में कड़ी निगरानी का आदेश दिया है। यह बीमारी एक गंभीर जीवाणु संक्रमण है, जो घोड़ों, खच्चरों और गधों को प्रभावित करती है। संक्रमित पशुओं के जरिए यह बीमारी तेजी से फैल सकती है। भारत सरकार के पशुपालन एवं डेयरी विभाग के दिशा-निर्देशों के मुताबिक, हिसार जिले को नियंत्रित क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। Hisar News

इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य इस बीमारी के प्रसार को रोकना तथा जनस्वास्थ्य को सुरक्षित रखना है। इसका प्रमुख प्रभाव यह है कि इस क्षेत्र में अश्व प्रजाति के किसी भी पशु-जैसे घोड़े, गधे और खच्चर की जिले से बाहर आवाजाही को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया है। यह कदम संक्रमण के जोखिम को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है। पशुपालन विभाग ने जिले के सभी पशु पालकों को अपने पशुओं की नियमित जांच कराने और किसी भी असामान्य गतिविधि या लक्षण दिखने पर तुरंत संपर्क करने का निर्देश दिया है। साथ ही, पशु चिकित्सकों और अधिकारियों की एक विशेष टीम स्थिति की निगरानी और नियंत्रण के लिए गठित की गई है।

सामान्य स्थिति होने तक जारी रहेगा प्रतिबंध | Hisar News

यह प्रतिबंध स्थिति सामान्य होने तक जारी रहेगा। इस बीच, सरकार और पशुपालन विभाग स्थिति का बारीकी से निरीक्षण कर रहे हैं और उचित उपायों को जारी रखेंगे ताकि इस बीमारी को रोका जा सके। यह महत्वपूर्ण है कि पशुपालक और स्थानीय प्रशासन मिलकर काम करें ताकि इस समस्या का समाधान जल्द से जल्द निकल सके। सावधानी और सतर्कता ही इस स्थिति में सबसे आवश्यक कदम हैं।

ग्लैंडर्स घोड़ों की प्रजातियों में एक जानलेवा संक्रामक रोग: डॉ. सुभाष चंद्र

पशुपालन एवं डेयरी विभाग के उपनिदेशक डॉ. सुभाष चंद्र जांगड़ा ने बताया कि अश्व जाति के पशुओं की दौड़, मेले,प्रदर्शनी,खेल आदि आयोजन तथा एकत्रित करने पर भी पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। उन्होंने बताया कि ग्लैंडर्स घोड़ों की प्रजातियों में एक जानलेवा संक्रामक रोग है। इसमें पशुओं की नाक से खून बहना,सांस लेने में तकलीफ, शरीर का सूख जाना, पूरे शरीर पर फोड़े आदि लक्षण हैं। यह बीमारी दूसरे पालतू पशुओं में भी पहुंच सकती है। Hisar News

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