Deaddiction: जहाँ पंजाब नशे की दलदल से बाहर निकलने के लिए संघर्ष कर रहा है, वहीं नशा तस्करी (drug trafficking) में राजनेताओं के नाम आने गंभीर चिंता का विषय हैं। पंजाब में हर साल अरबों रुपए की ड्रग बरामद हो रही है। पंजाब में प्रतिवर्ष 7500 करोड़ रुपए का ड्रग्स का कारोबार होने का अनुमान है। नशे के कारण गांव के गांव बर्बाद हो रहे हैं। कई गांव तो अनाथों व विधवाओं के गांव के नाम से जाने जाते है। Deaddiction
‘रोड़मैप फॉर प्रिवेंशन एंड कंट्रोल आॅफ सब्सटेंस एव्यूज इन पंजाब’ नामक इस पुस्तक में पंजाब की 15.4 फीसदी आबादी को नशे की गिरफ्त में दिखाया है जो बहुत ही चिंता का विषय है। नशे की रोकथाम के लिए हर राजनीतिक दल आवाज उठाता रहा है और रोकथाम के लिए प्रयास करता रहा है लेकिन इन सब के बावजूद स्थिति जस की तस है। क्योंकि ये प्रयास दिखावा मात्र ही होते हैं। पंजाब के बड़े-बड़े नेताओं के नाम ड्रग्स के काले धन्धे में आए है। कई बड़े पुलिस अधिकारी भी इस ड्रग्स के कारोबार में संलिप्तता के केस झेल रहे हैं।
जब बड़े व शक्तिशाली लोगों का नशे के कारोबार में हाथ हो तो फिर निष्पक्ष जांच करना व करवाना बड़ा मुश्किल काम होता है। इसी वजह से बड़ी मछलियां बच निकलती है और जनता घुन की तरह पिसती रहती है। हाल ही में पंजाब कांग्रेस के नेता सुखपाल सिंह खैहरा की भी ड्रग्स तस्करी में गिरफ्तारी हुई है। पंजाब कांग्रेस के नेता इसे आम आदमी पार्टी पर बदले की कार्रवाई का आरोप लगा रहे है। जबकि आम आदमी पार्टी इन आरोपों को सिरे से नकार रही है।
उनका कहना है कि सुखपाल सिंह खैहरा को एसआईटी की जांच में नशा तस्करी में संलिप्त पाया गया है। इसीलिए खैहरा की गिरफ्तारी हुई है। आम आदमी पार्टी का कहना है कि उनकी सरकार नशा खोरी व ड्रग्स तस्करी से कोई समझौता नहीं करेगी चाहे इसमें कोई भी क्यों न हो, किसी को बख्शा नहीं जाएगा। drug trafficking
घरों के घर बर्बाद करने वाले नशे रूपी इस दानव को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने ही चाहिए, लेकिन पूरी ईमानदारी के साथ ताकि कोई निर्दोष भी न फंसे और कोई गुनाहगार भी न बच सके। राजनेताओं को अपने पराए का भेदभाव किए बिना एकजुटता से, गंभीरता और ईमानदारी से प्रयास करने होंगे तभी समाज इस कोढ़ से मुक्त हो सकता है। Deaddiction
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