ऐसे करें गुलाबी सुंडी, सफेद मक्खी, जड़ गलन व हरा चेपा बीमारी की रोकथाम
ओढां/सरसा (सच कहूँ/राजू)। Kisan News: मॉनसून ने दस्तक दे दी है। बरसात के बाद नरमा-कपास की फसल में सुंडी, सफेद मक्खी, जड़ गलन व हरा चेपा की शिकायतें सामने आने लगी हैं, जिनमें मुख्यत: जड़ गलन व सफेद मक्खी की समस्या अधिक है। इनकी रोकथाम के लिए किसान क्या-क्या कदम उठाएं और क्या सावधानियां बरतें इस बारे कृषि विभाग ओढां के सहायक तकनीक अधिकारी पवन कुमार ने महत्वपूर्ण जानकारी सांझा की। विभागीय आंकड़े के मुताबिक, इस बार ओढां खंड में 36 हजार एकड़ में नरमा, 300 एकड़ में कपास, 29 हजार एकड़ में ग्वार व 2 हजार एकड़ में समर मूंग की बिजाई हुई है।
पवन कुमार ने बताया कि बरसात के बाद नरमा-कपास की फसल में सफेद मक्खी व जड़ गलन की समस्या काफी बढ़ जाती है। इसकी रोकथाम के लिए सबसे पहले तो किसान को उचित जानकारी व सही मार्गदर्शन की जरूरत है। देखा जाता है कि किसान दुकानदार पर आश्रित होकर महंगे कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं। इससे उन्हें आर्थिक नुकसान तो होता ही है, साथ ही बीमारी भी पूरी तरह से नियंत्रित नहीं हो पातीं।
जड़ गलन में करें कार्बेडाइजिम का प्रयोग | Kisan News
बरसात के बाद नरमे-कपास में जड़ गलन की समस्या सामने आती है। ऐसा अधिक नमी की वजह से होता है। खेत से बरसाती पानी की निकासी का प्रबंध करें। जड़ गलन रोग से ग्रस्त पौधे को उखाड़कर जमीन में दबा दें। जो उसके नजदीक स्वस्थ पौधे हैं, उनमें एक मीटर तक कार्बेडाइजिम (50 प्रतिशत) 400 ग्राम 200 लीटर पानी में डालकर पौधे की जड़ों में डालें। छिड़काव के समय स्प्रै पंप के मोटे फव्वारे का प्रयोग करें।
जड़ गलन के मामले में मिट्टी की जांच अवश्य करवाएं। वहीं उन्होंने पत्ता मरोड़ रोग के बारे में बताया कि या रोग विषाणुओं द्वारा फैलता है। सफेद मक्खी इस रोग को फैलाने में सहायक का रोल अदा करती है। इसलिए सफेद मक्खी पर नियंत्रण करना जरूरी है।
सफेद मक्खी पर ऐसे करें नियंत्रण
जुलाई माह में नरमा-कपास की फसल में सफेद मक्खी व हरा तेला का प्रकोप भी शुरू हो जाता है। सफेद मक्खी यदि 6-8 प्रौढ़ प्रति पत्ता एवं हरा तेला यदि 2 शिशु प्रति पत्ता मिलते हैं तो फ्लॉनिकामिड़ उलाला 50 डब्लूजी दवा 60 ग्राम 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। पहले किसान निम्बीसिडीन या अचुक दवा की 5 मि.ली मात्रा प्रति लीटर पानी में डालकर छिड़काव करें। Kisan News
खेतों में फेरोमॉन ट्रेप का प्रयोग करें
गुलाबी सुंडी के प्रकोप की निगरानी फसल के 40-45 दिन होने के बाद लगातार करें। जहां पर नरमे की फसल के आसपास पिछले वर्ष के नरमे की बनछटियां रखी हुई हैं या उनके नजदीक कहीं कपास की जीनिंग व बिनौलो से तेल निकालने वाली मिल लगती है, उन खेतों के किसानों को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इन खेतों में गुलाबी सुंडी का प्रकोप पहले से ही अधिक होता है। क्योंकि गुलाबी सुंडी
अधखिले टिंडों में नरमे के बिनौलो एवं भंडारित बनछटियों में निवास करती है। इसलिए बनछटियों का भंडारण नरमे की फसल से दूर करें। बनछटियों से टिंडे एवं पत्ते झाड़कर नष्ट कर दें।
पानी निकासी का प्रबंध करें | Kisan News
अधिक बरसात या कई दिनों तक बारिश के कारण कई बार फसलों में पानी लंबे समय तक खड़ा रहता है। किसान पहले तो पानी की निकासी का प्रबंध करें। अगर संभव न हो पाए तो 10 किलोग्राम दानेदार सल्फर मिट्टी में मिलाकर छिड़क दें। जिससे भूमि के रोम (छिद्र) खुल जाएंगे और भूमि पानी को सोखने में सक्षम हो जाएगी।
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